नोटबंदी की वजह से नए नोट छापने की लागत दोगुनी
जुलाई 2016 और जून 2017 के बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नोटों की छपाई पर 7,965 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट 2016-17 के अनुसार वर्ष 2015-16 में यह लागत 3,420 करोड़ रुपए की थी। यानी 133 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह पिछले 17 वर्षों में हुई सबसे ज्यादा वृद्धि है, जैसा कि ‘ब्लूमबर्ग’ ने 30 अगस्त, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।
आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि खर्च में वृद्धि का कारण उच्च मूल्यवर्ग के नए डिजाइन किए गए नोट और विमुद्रीकरित मुद्रा को बदलने की आवश्यकता है। नोटबंदी के बाद, यह सुनिश्चित करने के लिए कि मुद्रा उपलब्ध हैं, कई बार मुद्राएं प्रेस से देश भर में आरबीआई के कार्यालय तक हवाई जहाज के माध्यम से पहुंचाया गया था। इससे वितरण की लागत दोगुनी हुई ।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को भ्रष्टाचार, काले धन, धनशोधन, आतंकवाद और आतंकवादियों को वित्तीय सहयोग से निपटने के लिए 500 और 1,000 रुपए के नोट बंद करने की घोषणा की थी। और इसके बाद से नोटबंदी की कहानी और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की बातें लगातार बदलती रही थी। इस बारे में इंडियास्पेंड ने 5 दिसंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।
संचरण में 15.44 लाख करोड़ रुपए विमुद्रीकरण मुद्राओं में से 30 जून 2017 तक करीब 99 फीसदी या 15.28 लाख करोड़ रुपए रिजर्व बैंक तक वापस आ गए, जैसा कि वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है।
नोटबंदी के बाद, 9 नवंबर और 31 दिसंबर 2016 के बीच रिजर्व बैंक ने 5.58 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 23.8 बिलियन नोट परिचालित किया था। 4 नवंबर, 2016 की तुलना में 31 मार्च, 2017 को लगभग 74 फीसदी कम मुद्राएं संचलन में थे।
चलन में बैंक नोट
Source: RBI Annual Report 2016-17
मूल्य के संदर्भ में बैंक नोट्स का संचलन पिछले साल की तुलना में, मार्च 2017 तक 20 फीसदी की गिरावट के साथ 13.10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा है, जबकि नोटबंदी के बाद, कम मूल्य के नोटों की संख्या चलन में बढ़ जाने के कारण नोटों की मात्रा में 11 फीसदी की वृद्धि हुई है।
मार्च, 2017 के अंत तक संचालन में नोटों के कुल मूल्य में 500 की हिस्सेदारी और उच्च मूल्यवर्ग 73 फीसदी था, जबकि मार्च 2016 के अंत में यह आंकड़े 86 फीसदी थे। मार्च 2017 के आखिर में, 2000 के नोटों की हिस्सेदारी 50 फीसदी दर्ज की गई है।
2016-17 में नकली नोटों की पहचान 20 फीसदी तक, 2015-16 में 6 फीसदी का आंकड़ा
वर्ष 2016-17 में, 762,072 नकली नोटों की पहचान की गई थी, जिनमें से 96 फीसदी वाणिज्यिक बैंकों द्वारा चिह्नित किए गए थे।
बैंकों द्वारा नकली नोटों की पहचान 2016-17 में 20 फीसदी बढ़ी है, जिनमें से 42 फीसदी पुराने 500 नोट थे।
इसी तरह, 1000 रुपए के नकली नोटों की पहचान में 79 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2015-16 में 143,0 99 नोटों की पहचान की गई जबकि 2016-17 में यह आंकड़े 256,324 थे।
नोटबंदी अनुसार, बैंकिंग प्रणाली में नकली नोटों की पहचान | |||
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Denomination (Rs) | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 |
2 & 5 | 0 | 2 | 80 |
10 | 268 | 134 | 523 |
20 | 106 | 96 | 324 |
50 | 7,160 | 6,453 | 9,222 |
100 | 181,799 | 221,447 | 177,195 |
500 (MG series) | 273,923 | 261,695 | 317,567 |
500 (New design) | 0 | 0 | 199 |
1,000 | 131,190 | 143,099 | 256,324 |
2,000 | 0 | 0 | 638 |
Source: RBI Annual Report 2016-17
2016-17 में बैंकों ने 199 नकली 500 के नोट और और 638 नकली 2,000 के नोटों की पहचान की है।
पिछले साल के मुकाबले 2016-17 में 1,000 रुपए के गंदे नोटों में 142 फीसदी की वृद्धि
निपटान के लिए 1 हजार रुपए के गंदे नोट में 142 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस संबंध में आंकड़े 2015-16 में 625 मिलियन से बढ़कर 2016-17 में 1,514 मिलियन हुए हैं।
गंदे बैंक नोटों का निपटान
Source: RBI Annual Report 2016-17
500 रुपए मूल्य के गंदे नोटों में 25 फीसदी की गिरावट हुई है, इसी अवधि के दौरान यह आंकड़े इसी अवधि के 2,800 मिलियन से 3,506 मिलियन तक हुए हैं।
(मल्लापुर और सालवे विश्लेषक हैं। दोनों इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 5 सितंबर 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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