सुप्रीम कोर्ट ने कहा तीन तलाक असंवैधानिक, तलाकशुदा भारतीय मुस्लिम में 80 फीसदी महिलाएं
22 अगस्त, 2017 को एक ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को समाप्त कर दिया है। 3:2 बहुमत से विभिन्न धर्मों से संबंधित पांच न्यायाधीशों की एक संवैधानिक पीठ ( हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम, सिख धर्म और पारसी धर्म ) ने कहा कि तीन तालाक के लिए कोई संवैधानिक संरक्षण नहीं है।
बेंच ने 1,400 साल पुरानी प्रथा को चुनौती देने वाली मुस्लिम महिलाओं द्वारा दायर सात याचिकाओं को सुना, जिसमें वाट्सएप्प पर तलाक देने वाला एक मामला भी शामिल था।भारत में, हर तलाकशुदा मुस्लिम पुरुष पर चार तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं हैं। इस बारे में वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों विश्लेषण करते हुए 15 अक्टूबर 2016 को इंडियास्पेंड ने अपनी खास रिपोर्ट में विस्तार से बताया है।
तर्क देते हुए कि तीन तलाक भेदभावपूर्ण और एक किस्म की मनमानी है, जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और यू यू ललित ने अपने फैसले में इस अभ्यास को खत्म करने का निर्णय सुनाया, जो बहुमत के फैसले का आधार बना।
दो न्यायाधीशों ने कहा, " अनुच्छेद 13 (1) में तीन तलाक का मतलब है, दवाब में कानून और इसे खत्म कर देना चाहिए। । अनुच्छेद 13 (1) कहती है कि 1950 में संविधान लागू होने से पहले देश में मौजूद सभी कानून अगर निर्धारित मूलभूत अधिकारों के साथ असंगत हैं, उन्हें समाप्त कर देना चाहिए।
मुख्य न्यायमूर्ति जेएस खेहार और जस्टिस अब्दुल नज़ीर की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट बेंच न्यायमूर्ति नरिमन और ललित से सहमत नहीं थे। उनका कहना था कि अदालत व्यक्तिगत कानूनों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता जो कि संविधान के अनुसार मौलिक अधिकार हैं।
अल्पमत निर्णय लिखते हुए, सीजेआई खेहर ने सरकार को तीन तलाक के लिए उचित कानून पर विचार करने का निर्देश दिया।
साथ ही सीजीआई खेहार ने उम्मीद जताई कि कानून बनाते समय दुनिया के अन्य मुस्लिम देशों में बने कानूनों और ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ या ‘शरीयत’ की प्रगति को भी ध्यान में रखा जाएगा।
न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ ने न्यायमूर्ति नरिमन और ललित का समर्थन करते हुए कहा कि वे सीजेआई खेहर के साथ ‘सहमत होना बहुत मुश्किल’ है। अपने निर्णय में, जो निर्णायक बहुमत प्रदान करते हैं, न्यायमूर्ति यूसुफ ने 2002 में अनुसूचित जाति के फैसले को दोहराया, जिसमें एक आपराधिक अपील का मामला (शामिम अरा बनाम उत्तर प्रदेश) था, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही तीन तलाक को अवैध ठहराया था।
भारत में धर्मों के बीच तलाक और तीन तालक के आंकड़ों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए हमने 22 अगस्त, 2017 को कुछ ट्वीट्स चलाए थे।
As #SupremeCourt rules #TripleTalaq unconstitutional. Follow this thread for insights on Triple Talaq. (1/6)
— IndiaSpend (@IndiaSpend) August 22, 2017
In India, for every divorced Muslim man, there are 4 divorced Muslim women. (2/6) #TripleTalaq
— IndiaSpend (@IndiaSpend) August 22, 2017
Among divorced Indian women, 23.3% are Muslims, 68% Hindus; Among men, Hindus account 76%, Muslims 12.7%. (3/6) #TripleTalaq
— IndiaSpend (@IndiaSpend) August 22, 2017
Within religions, highest imbalance of separated women-to-men ratio is among Muslims. (4/6) #TripleTalaq
— IndiaSpend (@IndiaSpend) August 22, 2017
75% of those separated among Muslims are women. (5/6) #TripleTalaq
— IndiaSpend (@IndiaSpend) August 22, 2017
Maharashtra recorded highest number of divorced citizens (2.09 lakh); 73.5% (1.5 lakh) are women. (6/6) #TripleTalaq
— IndiaSpend (@IndiaSpend) August 22, 2017
Judgment of the Hon'ble SC on Triple Talaq is historic. It grants equality to Muslim women and is a powerful measure for women empowerment.
— Narendra Modi (@narendramodi) 22 August 2017
Shia Personal Law Board has been fighting against #TripleTalaq since 2007, welcome this. Great first step: Maulana Yasoob Abbas,Shia Cleric pic.twitter.com/hJRrBM1ufJ
— ANI (@ANI) 22 August 2017
We welcome the Supreme Court's judgement on #TripleTalaq.
— Congress (@INCIndia) 22 August 2017
It is a progressive, secular judgement for equal rights of Muslim women in India. https://t.co/2Xa4KEwEAW
Have respected SC's judgements in past, today's judgement on #TripleTalaq will also be considered by us: Z Jilani, member, AIMPLB pic.twitter.com/whhVOxnp9z
— ANI (@ANI) 22 August 2017
We welcome the judgment of the Hon’ble #SupremeCourt of India. #TripleTalaq
— Ministry of WCD (@MinistryWCD) 22 August 2017
Abolition of #TripleTalaq, 4 times Nikah & Halala will loosen the grip of some Maulvi's
— asmakhan pathan (@PathanAsmakhan) 21 August 2017
It wud free 150million Muslim women from slavery.
(सलदनहा सहायक संपादक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं। मल्लपुर विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 22 अगस्त 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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