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दिल्ली के व्यक्ति भारत में सबसे अधिक अमीर व्यक्तियों में से हैं। वे सड़कों के सबसे अच्छे, सबसे व्यापक नेटवर्क का उपयोग करते हैं , और वे भारत में वाहन स्वामित्व की सबसे उच्चतम दर में शामिल है। वहाँ सेवारत और दिल्ली की अर्थव्यवस्था में निवेश करने की इच्छुक कंपनियों की संख्या बढ़ रही है।

ऊपरी तौर पर देखें तो , दिल्ली, दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है, भारत में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। 'संयुक्त राष्ट्र' का आर्थिक और सामाजिक मामलों का विभाग जो राज्यों में उपनगरों की गिनती करता है , के अनुसार दिल्ली में रहने वाले 25 लाख लोगों की आबादी - 2011 की जनगणना 16.8 मिलियन रिकार्ड की गई थी - को भारत में सबसे अधिक लाड़ प्यार से रखा जाता है ।

दिल्ली (82% हिंदू, 11.7% मुस्लिम) एक महत्त्वकांक्षी और मेहनतकश शहर है जो आजादी के बाद आए पंजाबी शरणार्थियों की सामूहिक वाणिज्यिक लोकाचार की पृष्ठभूमि पर बसा है ।

तब , क्यों आम आदमी पार्टी (आप) -जैसा कि नवीनतम जनमत सर्वेक्षणों द्वारा इंगित हो रहा है - भाजपा को हराने या बंद ही कर देने के लिए कटिबद्ध है?

पर पहले, दिल्ली के सकारात्मक आर्थिक संकेतकों में से कुछ पर एक नज़र:

1. दिल्लीवालों के पास अन्य भारतीयों की तुलना में ज्यादा पैसा है

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Source: Press Information Bureau

2. दिल्ली की सड़कों पर प्रति 1000 वर्ग किमी के अनुसार भारत का उच्चतम घनत्व है

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Source: Ministry of Statistics and Programme Implementation

3. दिल्लीवाले (केवल गोवा और चंडीगढ़ के बाद ) भारत के शीर्ष तीन वाहन मालिकों में से एक हैं

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Source: Data.gov.in

4. दिल्ली में बहुत सी कम्पनियाँ आने को तैयार हैं और उनके निवेश बढ़ रहे हैं

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Source: Delhi Statistical Abstract

5. दिल्लीवासी भारत के सबसे शिक्षित लोगों में से हैं

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Source: Census 2011

निम्न वर्ग को एक राजनैतिक आवाज मिल गई है

लेकिन दिल्ली में एक विशाल, संघर्षशील और निराश निम्न वर्ग भी है जो अब प्रतीत होता है कि मज़बूती से एएपी के शिविर से जुड़ चुका है।

इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि कैसे 10.2 लाख लोगों (जनसंख्या का 60%) प्रति माह 13,500 रुपये से भी कम कमाई कर पाते हैं।

इंडिया स्पेंड द्वारा दिए गए आर्थिक संकेतकों का निरीक्षण करने से दिल्ली में बृहद और बढ़ती असमानता का पता चलता है खासकर जिन मानकों पर एएपी अक्सर प्रकाश डालती रही है ( जिन मुद्दों को एएपी अक्सर प्रकाश डालती रही है) जैसे पानी, बिजली, रोजगार और रहने की स्थितिके आधार पर।

हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि :

पानी: एएपी के दो मुख्य वादों में से एक है ,हर घर के लिए 700 लीटर मुफ्त पानी उपलब्ध कराना। आकंड़ों से पता चलता है भिन्न भिन्न आय स्तरों के लिए पानी की आपूर्ति में बहुत असमानता है।नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अप्रैल 2013 में जारी की गई अपनी एक रिपोर्ट में कहा है,औसतन 24.8% दिल्ली के परिवारों (लगभग 32.5 लाख लोगों के आसपास) को पाइप द्वारा पानी प्राप्त नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रति दिन औसत, 3.82 लीटर मिलता है, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुझावित कम से कम 40 लीटर से 36 लीटर कम।

बिजली: एएपीका एक पसंदीदा विषय ऊंची बिजली की कीमतें हैं जो कई दिल्लीवालों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय हैं। आंकड़ों के अनुसार स्थानीय स्तर पर उत्पन्न की गई बिजली में 49% में कमी आई है जबकि पिछले पांच वर्षों में दूसरे राज्यों से खरीदी बिजली में 51.8% बढ़त हुई है। इस रिपोर्ट में बिजली वितरण कंपनियों में अधिशेष होने के बावजूद भी बिजली कटौतियाँ क्यों होती हैं।

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Source: Delhi Statistical Abstract

नौकरियाँ : दिल्ली के निम्न वर्ग के बीच बढ़ती बेरोजगारी एक बड़ी चिंता का विषय है। आंकड़ों के अनुसार बेरोजगारी की दर बहुत बढ़ गई है और साथ ही महिला बेरोजगारी छह वर्षों में दोगुनी बढ़ गई है ।

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Source: Delhi Statistical Abstract

झुग्गी बस्तियाँ : 2011 की जनगणना के अनुसार, लगभग 15% दिल्ली के परिवार आधिकारिक तौर पर झुग्गी बस्तियों में रहते हैं। यह अन्य शहरों की तुलना में कम है जैसे मुंबई (41.3%) और चेन्नई (28.5%) लेकिन इन आंकड़ों में दिल्ली के वो वृहद ,अनधिकृत कालोनियाँ शामिल नहीं है जहां 3 में से 1 दिल्लीवालों का घर होता है। अनधिकृत कालोनियों को आधिकारिक तौर पर झुग्गी स्तियों के रूप में नही वर्गीकृत किया गया है लेकिन वे उन्ही की तरह अभावों से ग्रस्त हैं: तंग जगह , गंदा रहन सहन , पानी और बिजली की कमी।

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Source: Census 2011

छवि आभार : AamAadmiParty.org

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