दिल्ली: उच्च आर्थिक विकास का मतलब जरुरी नहीं कि बेहतर रोजगार प्राप्त हो और जिन राज्यों ने लैंगिक समानता पर बेहतर काम किया है, उन्होंने एक नए रोजगार सूचकांक पर बेहतर प्रदर्शन किया है।

आंध्र प्रदेश (तेलंगाना सहित), महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ लोगों को गुणवत्ता वाली नौकरियां और संख्या प्रदान करने वाले टॉप भारतीय राज्य हैं , जबकि बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश (यूपी) का स्थान नीचे है, जैसा कि एक नए सूचकांक से पता चलता है।

21 जून, 2019 को ‘ए जस्ट जॉब्स इंडेक्स फॉर इंडिया’ के लॉन्च के मौके पर, रिसर्च ऑर्गनाइजेशन जस्टजब्स नेटवर्क की अध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक सबीना दीवान ने कहा, ''अच्छी गुणवत्ता वाली उत्पादक नौकरियां, जो अच्छा वेतन देती हैं, टिकाऊ आर्थिक विकास को गति देती हैं।”

थिंक टैंक, ‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ के साथ साझेदारी में ‘अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय’ द्वारा समर्थित यह सूचकांक समान रूप से संकेतक के एक सेट के आधार पर रोजगार, औपचारिकता, लाभ, आय समानता और लिंग समानता द्वारा राज्यों के प्रदर्शन को ट्रैक करता है।

आर्थिक विकास के बावजूद, रोजगार सृजन की गति धीमी रही है, जैसा कि रिपोर्ट में कहा गया है। अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत 71 फीसदी श्रमिकों और राज्यों में असंगत रोजगार सृजन के साथ देश को बढ़ती बेरोजगारी का सामना करना पड़ा रहा है।

31 मई, 2019 को जारी सरकार के पीरिओडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) के अनुसार, 2017-18 में भारत की बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी है-ग्रामीण में 5.3 फीसदी और शहरी इलाके में 7.8 फीसदी थी।

गुजरात, जिसने 2012-13 से 2016-17 की अवधि के दौरान 10 फीसदी या उससे अधिक की शुद्ध राज्य मूल्य वर्धित (एनएसवीए) विकास दर को लगातार बनाए रखा है, भी गुणवत्ता वाली नौकरियों के लिए अवसर बनाने में चूक गया है । सूचकांक पर गुजरात 18वें स्थान पर है।

Source: JustJobs Index, 2019 Note: Data for Andhra Pradesh are pre-bifurcation, and include those for Telangana.

57.3 अंकों क साथ आंध्र प्रदेश और तेलंगाना इनमें सबसे ऊपर हैं, जैसा कि हमने पहले बताया है। इसके बाद महाराष्ट्र (57.2) और छत्तीसगढ़ (56.39) का स्थान है, जबकि यूपी (32.04) बिहार से नीचे (37.28) और ओडिशा (37.70) से नीचे, सूची में सबसे नीचे के स्थान पर है।

प्रत्येक संकेतक के लिए, सूचकांक 2010-2018 की अवधि के लिए उपलब्ध मूल्यों के औसत का उपयोग करता है। इसके लिए विभिन्न सरकारी स्रोतों से डेटा का उपयोग किए गए हैं, जैसे कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा किए गए सर्वेक्षण,श्रम ब्यूरो, उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण, भारतीय रिज़र्व बैंक और पीएलएफएस।

उपलब्ध आंकड़ों में नमूने के छोटे आकार के कारण सूचकांक सात पूर्वोत्तर राज्यों को ध्यान में नहीं रखता है।

‘डिमांड साइड’ पैमाने ( जैसे कि रोजगार, औपचारिकता, लाभ, आय समानता और लैंगिक समानता ) का चयन किया गया, क्योंकि वे नौकरियों की गुणवत्ता और मात्रा का मूल्यांकन करते हैं, और ‘सप्लाई-साइड’ संकेतक, जैसे कि शिक्षा और कौशल स्तर का नहीं किया गया है, जैसा कि लेखक दीवान और जस्टजॉब्स नेटवर्क के रिसर्च एसोसिएट दिव्य प्रकाश ने रिपोर्ट में लिखा था।

लिंग समानता एक बेहतर समग्र स्कोर प्रदान करता है

भारत की महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर 24 फीसदी है और विश्व बैंक द्वारा 2018 में 131 देशों में से 120 वें स्थान पर रखा गया है, लेकिन जॉब्स इंडेक्स ने पाया कि लैंगिक समानता पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों को बेहतर समग्र स्कोर के साथ जोड़ा गया है।

लिंगानुपात में हिमाचल प्रदेश (72.9) सबसे ऊपर है, जबकि बिहार (13.5) सबसे नीचे स्थान पर है।

रिपोर्ट के लॉंच होने के मौके पर ‘फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ के सेक्रेट्री जेनरल, दिलीप चिनॉय ने कहा, “रोजगार में लैंगिक असमानता के मुद्दे को हल करने के लिए, कम महिला कार्यबल की भागीदारी वाले राज्यों को महिलाओं के लिए सार्वजनिक स्थान, आवास और कार्यस्थलों को अधिक सुरक्षित बनाना चाहिए और यदि जरुरी हो तो महिलाओं को शहरों की ओर पलायन करना चाहिए।

अपनी उच्च श्रम शक्ति भागीदारी दर के कारण छत्तीसगढ़ (95.29) ने रोजगार आयाम पर सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। उच्च युवा बेरोजगारी (2018 में 28.7 फीसदी) दर के कारण गोवा ने 15.88 फीसदी,यानी सबसे कम स्कोर किया है।

एक लिखित अनुबंध के साथ श्रमिकों के एक बड़े हिस्से के साथ एक राज्य को सूचकांक के उस हिस्से पर उच्च स्थान दिया गया था, जिसने औपचारिक नौकरियों के अनुपात को मापा था। गोवा (87.59) इस स्कोर पर सूचकांक में सबसे ऊपर है; उत्तर प्रदेश (16.92) नीचे आ गया है।

श्रमिकों को अधिक लाभ और सुरक्षा वाले राज्य, जैसे कि यूनियन एसोसिएशन, सकल राज्य घरेलू उत्पाद के हिस्से के रूप में पेंशन पर उच्च व्यय और पेंशन / भविष्य निधि के साथ श्रमिकों का एक उच्च हिस्सा भी उच्च स्थान पर रहा।

जम्मू और कश्मीर (55.47), दिल्ली (52.47) और केरल (51.99) लाभ आयाम पर सबसे ऊपर है, जिसके लिए रिपोर्ट के लेखकों ने पेंशन अपेक्षाकृत उच्च राज्य व्यय और केंद्र की भागीदारी को जिम्मेदार ठहराया है।

केंद्र की कम भागीदारी के कारण राजस्थान (17.19), छत्तीसगढ़ (14.14) और गुजरात (12.67) सबसे नीचे थे।

आय असमानता के लिए, सूचकांक औसत मजदूरी के न्यूनतम मजदूरी के एक उच्च अनुपात को मानता है, एक लो गिनी कोअफिशन्ट - असमानता का एक संकेतक- खपत का, और औपचारिक मजदूरी के लिए अनौपचारिक मजदूरी का एक उच्च अनुपात। छत्तीसगढ़ (83.03), महाराष्ट्र (76.84) और उत्तराखंड (73.39) सबसे ऊपर थे, जबकि उत्तर प्रदेश (39.45), जम्मू और कश्मीर (36.24) और केरल (36.24) सबसे नीचे थे।

“वास्तविक समय डेटा और संकेतक की कमी”

रिपोर्ट के लेखकों ने भारत के श्रम बाजारों के बारे में वास्तविक समय के आंकड़ों की कमी और बेहतर संकेतकों की कमी पर ध्यान दिया है, जिसके कारण ‘ग्रोस डमेस्टिक प्राडक्ट’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग’ ( जिसमें भारत 190 देशों के बीच 77 पर था ) को रोजगार सृजन के लिए संकेतक के रूप में प्रतिस्थापित किया जाए।

सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत कहते हैं, "सूचकांक, जिसे सार्वजनिक क्षेत्र में रखा जा रहा है, राज्य सरकारों को जवाबदेह ठहराएगा और उन्हें अधिक उत्पादक रोजगार प्रदान करने और युवाओं के लिए अवसरों को बढ़ाने के लिए जोर देगा।"

कांत ने ‘भविष्य के लिए कौशल’ पर ध्यान देने के साथ कौशल विकास के लिए शिक्षा के पुनरुद्धार का सुझाव दिया है - दूरस्थ क्षेत्रों में लोगों के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण और मोबाइल-आधारित प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने के साथ डिजिटल साक्षरता। उन्होंने कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों के युवा नौकरी चाहने वालों के बदले नौकरी सृजक बनेंगे

(शर्मा, पुणे के ‘सिम्बायोसिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स’ में एमएससी के द्वितीय वर्ष के छात्रा हैं और इंडियास्पेंड में इंटर्न हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 15 जुलाई 2019 को IndiaSpend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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