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तो, अंततः, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह का रथ दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा रोक दिया गया है।

एएपी 70 सदस्यीय विधानसभा सीटों में से 67 सीटें जीती और भाजपा केवल तीन सीटें ही जीत सकी । कांग्रेस, वह पार्टी जिसने लगभग पांच दशक तक दिल्ली पर शासन किया था, उसका विधानसभा से लगभग सफाया ही हो चुका है।

भाजपा की क्या गलतियाँ रही और एएपी को किस बात से फायदा हुआ?

1) चुनाव कराने में विलंब

भाजपा ने यदि लोकसभा चुनाव और अन्य विधानसभा चुनावों ( हरियाणा और महाराष्ट्र सहित, जहाँ वे सत्ता में आ चुकी थी ,) के तुरंत बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव कराने का फैसला कर लिया होता तो शायद कहानी अलग हो सकती थी। क्यों चुनावों में देरी हुई और कैसे इस बात से आप को लाब हुआ यह अब इतिहास है।

2) एएपी को निशाना बनाना

चुनावों की घोषणा के बाद भाजपा ने आत्मविश्वास से एएपी और केजरीवाल को हाथों हाथ लेने का फैसला किया। उन्हें नक्सलवादी (एक लेफ्ट पक्षीय अतिवादी) बुलाना और भगोड़ा (भागने वाला) कहने से, भाजपा वास्तव में एएपी के मन अनुसार काम किया । केजरीवाल इसे आम आदमी के लिए संघर्षशील एक दलित पार्टी के रूप में पेश कर एएपी के पक्ष में खेलको हर तरफ से अपनी ओर मोड़ सकते थे ।

3) मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार

भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में किरण बेदी के नाम का प्रस्ताव मतदाताओं को स्वीकार नही हुआ ऐसा प्रतीत होता है। बेदी पहले अन्ना हजारे के आंदोलन के साथ जुड़ी थी, अभियान शुरू होते ही वे भाजपा में शामिल हो गईं । और हो सकता है यह बात उनके विपरीत गई।

यहाँ ध्यान देने की बात है कि भाजपा ने वास्तव में कोई भी वोट शेयर खोया नही है (केवल 1% नीचे आया है ) ।

एएपी की जीत के कारण

1) अरविंद केजरीवाल

पाँच साल केजरीवाल ने एएपी के लिए जादू का काम किया। केजरीवाल ने दलित सिद्धांत पर निपुणता से काम किया और यह सुनिश्चित किया कि आप के उम्मीदवार सभी निर्वाचन क्षेत्रों में सभी विपक्ष का सफाया कर सकें।

2) मुफ्त (निःशुल्क ) प्रस्तावों का आधिक्य

लगता है नि: शुल्क पेयजल, सस्ती बिजली और अधिक स्कूल / कालेज दिल्ली के मतदाताओं को भा गए हैं। एएपी ने दिल्ली संवाद कार्यक्रम को चुनावों से बहुत पहले ही शुरू कर दिया था और अपने द्वारा सुलझाये जाने वाले मुख्य मुद्दों को अन्य दलों से बहुत पहले सूचीबद्ध कर दिया था।

3) स्वयंसेवियों की ताकत

एएपी उत्साही स्वयंसेवकों के आधार पर चुनावी दौड़ जीतने वाली भारतीय राजनीति के क्षेत्र में पहली नवीनतम प्रवेशी हो सकती है। नृत्य, लघु-नाटक और मोहल्ला बैठकों ने एएपी के लिए जादू का काम किया है ।

तो, दिल्ली के लिए पाँच साल केजरीवाल । और आप की सरकार के पास तुरंत काम शुरू करने के लिए चुनौतियों की कमी नहीं है।

नोट: प्रतिलिपि का अद्यतन अंतिम परिणाम दर्शाता है। एक वाक्य जो सुश्री बेदी के पिछले संपर्को को बताता है उसे संशोधित किया गया है।

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