(दक्षिण मुंबई के हैंगिंग गार्डन का एक दृश्य)

मुंबई में किसी भी खुले क्षेत्र में जाने पर ही ज्ञात होता है कि यहां के स्थानीय लोगोंकी , जिन्हें मुंबईकर भी कहा जाता है, उनकी वास्तव में खुली जगह की कितनी लालसा है । हर खेल का मैदान, हर उद्यान विहार और हर पार्क पूरी तरह से भीड़ से भरा रहता है , इस बात को इंगित करते हुए की उन्हें किस चीज़ की कमी महसूस होती है -वह है खुली जगह ।

मुंबई में हर व्यक्ति को सिर्फ 12 वर्ग फुट तक जगह उपलब्ध है जिसमें उद्यान, पार्क, मनोरंजन के मैदान और खेल के मैदान शामिल है।

यह स्थिति रिहायशी जगहों के लिए भी कुछ बेहतर नहीं है।

बीएमडब्ल्यू गुग्नेइनिम लैब की एक रिपोर्ट द्वारा पता चलता है की शंघाई में 111.5 वर्ग फुट , न्यूयॉर्क में 1124 वर्ग फुट और वाशिंगटन डीसी में 2248 वर्ग फुट की तुलना में मुंबईकर के पास प्रति व्यक्ति 48 वर्ग फुट क्षेत्र ही रिहाईश के लिए उपलब्ध है

मुंबई में रिहायशी जगह की तंगी

रिहायशी क्षेत्र (वर्ग फुट में। एफटी)

रिपोर्ट में कहा गया है कि : " ऐसे एक शहर में जहां एक ही दिन में एक सार्वजनिक सड़क एक भीड़ भरे परिवहन स्थान से एक जीवंत बाजार में और फिर समूह प्रार्थना के लिए एक सभा के स्थान में और फिर से अपनी मूल स्थिति में वापिस आ जाती है वहां शहर में रहने वाले लोगों में एक लचीलापन होना अत्यंत आवश्यक है। यह भी स्वाभाविक है कि मुंबईकर का निजी गोपनीयता के प्रति दृष्टिकोण और जिन रिक्त स्थानों में यह उपलब्ध हो सकती है वह भी निरंतर परिवर्तनशील रहता है ।"

अध्ययन में कहा गया कि मुंबई के नागरिकों को निजी गोपनीयता सार्वजनिक स्थानों में जैसे समुद्र तट के सामने , पार्कों में , बस स्टॉप पर, क्षेत्रीय लोकल ट्रेनों, मस्जिदों और बाजारों में मिलती है । जहां अध्धयन के लिए चुने 800 उत्तरदाताओं में से 54% ने "घर" को अपना निजी स्थान माना बहुत से प्रतिभागियों ने कहा वह इतना तंग और छोटा है, कि वे घर पर निजी मामलों के बारे में चर्चा करने में सहज नही महसूस करतें हैं ।

छवि आभार : फ्लिकर

This article is a part of our series “Mumbai Special: The Revival Agenda”. You can read the whole series here.

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