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भारत की थोक मूल्य मुद्रास्फीर्ति शून्य के करीब पहुँच चुकी है लेकिन लाखों माता पिता जो दूध-कुपोषण के खिलाफ एक हथियार - की बढ़ती कीमतों से हर रोज़ जूझते है उन्हें यह नही बताइए।

साल दर साल दूध की मुद्रास्फीति की दर में 10% की वृद्धि हुई है। पिछले छह महीनों से मुद्रास्फीति की दर लगातार दोहरे अंकों में बनी हुई है।

खुदरा उपभोक्ता कीमतों में भी लगातार वृद्धि जारी है।

भारत दूध का 16% वैश्विक उत्पादन करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है जिसके बाद अमरीका, चीन, पाकिस्तान और ब्राजील का स्थान है।

हम अब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के संदर्भ में मुद्रास्फीति की दर पर नजर डालते हैं:

Source: Ministry of Statistics and Programme Implementation

इस वर्ष नवंबर,2014 में दूध और दूध उत्पादों की मुद्रास्फीर्ति की दर , पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में 10.24% रही । वृद्धि ग्रामीण परिवारों के लिए 9.84% थी, जबकि शहरी भारत ने 10.97% की वृद्धि देखी।

सरकार के अनुसार, मुद्रास्फीति का प्रमुख कारण, निवेश लागत में हो रही वृद्धि है। पिछले साल के दौरान दूध की खरीद में औसतन Rs. 4.02 प्रति लीटर और बिक्री में औसतन Rs. 3.73 मूल्यों में बढ़ोतरी हुई है।

खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की 2013 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में दूध उत्पाद में वृद्धि तो हुई है लेकिंग कम खपत के साथ कुपोषण की उच्च दर एक गंभीर मुद्दा है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि दूध और दूध उत्पाद लाखों गरीब भारतीयों के लिए बहुत मंहगें हैं ।

Source: National Sample Survey Organisation 2011-12; ** %age of households reporting consumption during the last 30 days.

2011-12 व्यय सर्वेक्षण के अनुसार ग्रामीण भारत में दूध की प्रति व्यक्ति खपत प्रति माह 4.33 लीटर है, जो भारत के शहरों में 5.42 लीटर है। क्रमशः 106.25 रु और 158.43 रु । सप्ताह के दौरान दूध की खपत कर रहे परिवारों की प्रतिशत ग्रामीण भारत के लिए 78% पायी गई और शहरी भारत के लिए 84.9% पायी गई । अर्थात दूध की खपत ग्रामीण भारत की तुलना में शहरी क्षेत्रों में अधिक है।

दुग्ध उत्पादन लके क्षेत्र में भारत की सफलता की कहानी अच्छी तरह से प्रलेखित है और मुख्य रूप से 1970 के दशक में छोटे पैमाने पर सहकारी समितियों के माध्यम से क्रियान्वित एक क्रांतिकारी आंदोलन, ऑपरेशन फ्लड उपलब्धि का कारण है । डॉ वर्गीज कुरियन की अध्यक्षता (जिन्हें भारत की श्वेत क्रांति का पिता कहा जाता है) राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के तहत की गई पहल ने भारत को एक दूध की ​​कमी वाले देश से एक दूध पर्याप्त राष्ट्र में तब्दील कर है।

Source: Department of Animal Husbandry, Dairying & Fisheries Annual Report 2013-14/*PIB; Figures in Million Tonnes

भारत में दूध उत्पादन में पिछले पांच वर्षों में लगभग 18% की वृद्धि हुई है, वर्ष 2009-10 में 116.4 लाख टन (एमटी) से बढ़ कर वर्ष 2013-14 में 137.68 लाख टन हुआ । इस वृद्धि का कारण पशुधन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किए गए कई उपाय हैं। वर्ष 2012-13 में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता प्रति दिन लगभग 296 ग्राम पाई गई ।

2013-14 के प्रमुख 10 दूध उत्पादक राज्यों पर एक नज़र डालते हैं :

Source: PIB; Figures in Million Tonnes

उत्तर प्रदेश , 24.19 लाख टन दुग्ध उत्पादन के साथ दुग्ध उत्पाद के क्षेत्र में देश में सबसे आगे है, इसके बाद राजस्थान (14.57 लाख टन), आंध्र प्रदेश (13 लाख टन), गुजरात (11.11 लाख टन) और पंजाब (10.01 लाख टन) । मिजोरम ने 0.02 लाख टन की वार्षिक उत्पादन के साथ देश में सबसे कम दुग्ध उत्पादन किया है।

जहाँ सरकार ने दूध और डेयरी उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं बनाई हैं , वहीं उसे इन सभी प्रयासों के द्वारा भारत में दूध की बढ़ती कीमतों से निपटने में सफलता हासिल नही हो रही ।

Image Credit: National Dairy Development Board

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