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प्रधानमन्‍त्री नरेन्‍द्र मोदी (दायें) के साथ मुख्यमंत्री वसुन्‍धरा राजे (बायें) : जुलाई 2014

राजस्‍थान की भारतीय जनता पार्टी की सरकार लगभग अन्‍य विरोधी सरकारों–दिल्‍ली, तमिलनाडु और जम्‍मू-कश्‍मीर की तरह ही अपनी सरकार को केन्‍द्रीय सरकार की कम बजट स्‍वीकृति करने की नीति-के अनुसार ढाल रही है।

हाल ही में राजस्‍थान की मुख्यमंत्री वसुन्‍धरा राजे ने विधानसभा में बजट पेश करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के सामाजिक कार्यक्रमों के लिए बजट कम या बिल्‍कुल खत्‍म करने के निर्णय से दूरगामी प्रभाव होंगे।

केन्‍द्र के उक्‍त निर्णय के सन्‍दर्भ में अपनी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हुए मुख्यमंत्री वसुन्‍धरा राजे ने कहा कि उक्‍त कदम से भारत के सामाजिक रूप से सबसे पिछड़े राज्‍य की जनता को अधिक स्‍वस्‍थ, सम्‍पन्‍न और अधिक शिक्षित करने के लिए आर्थिक-संसाधनों की कोई कमी नहीं रहने देगा।

वर्तमान में 2014 से 2016 तक होने वाला मूल-ढांचा में हुआ/ प्रस्‍तावित बजटीय धन

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Source: Rajasthan Budget; * Budget Estimates

राज्‍य-परिवहन के प्रस्‍तावित बजट में 29 प्रतिशत की कमी आयी जो कि सन 2014-15 में 7277 करोड़ से घटकर 5778 करोड़ (2015-16) हो गया।

वर्तमान वर्ष में कृषि और उससे सम्‍बन्धित सेवाओं के लिए प्रस्‍तावित बजटीय मद में भी 4 प्रतिशत की कमी आई, जो कि 4,128 करोड़ से घटकर 3,876 करोड़ हो गई है।

सामाजिक और सामुदायिक सेवाओं के लिए प्रस्‍तावित बजटीय प्राविधानों में 18 प्रतिशत की बढ़ोत्‍तरी हुई जो कि 24,669 करोड़ से 29,020 करोड़ हो गयी।

बिजली के क्षेत्र में राज्‍य के वर्तमान प्रस्‍तावित बजट में 16 प्रतिशत की बढ़ोत्‍तरी हुई जो कि 14,298 करोड़ से बढ़कर 16,665 करोड़ की गयी।

अधिक बजटीय-प्रस्‍तावित धन वास्‍तव में खर्च होगा-इसमें संदेह का कारण पिछली सरकार द्वारा स्‍वीकृत बजट से कम खर्च करना है। ऐसा आंकड़े प्रदर्शित करते हैं।

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Source: Rajasthan Budget; * till January 2015

आंकड़े बोलते हैं कि राज्‍य सरकार ने पिछले वर्ष में बिजली क्षेत्र को आवंटित धन 14,298.58 करोड़ में से कुल 7,169.43 करोड़ का ही इस्‍तेमाल किया। इस तरह बिजली के लिए उपलब्‍ध धन का 50 प्रतिशत ही इस्‍तेमाल हुआ।

राजस्‍थान सरकार ने सामाजिक और सामुदायिक क्षेत्रों में भी स्‍वीकृति धनराशि का कुल 62 प्रतिशत ही खर्च किया जो कि 24,669 करोड़ से 15,460 करोड़ पर आ गया।

उक्‍त आंकड़े स्‍वयं बोलते हैं कि सरप्‍लस-बजट कैसे/ क्‍यूं हो गया।

उपरोक्‍त आंकड़ों को देखते हुए बजटीय धन के न इस्‍तेमाल करने पर कोई आश्‍चर्य इस बात पर नहीं होना चाहिए कि कैसे वर्ष 2015-16 के लिए मुख्यमंत्री ने 5,56.81 बढ़त का राजस्‍व बजट पेश किया जबकि वर्ष 2014-15 में 4219.60 करोड़ का घाटे का बजट प्रस्‍तुत हुआ।

सिन्धिया ने यह भी कहा कि कैपिटल-खर्चे में सन 2013-14 की तुलना में 2014-15 में 40 प्रतिशत की बढ़त हुई और इस तरह कर्जों को राज्‍य सरकार ने आर्थिक-संसाधनों में बदला।

राज्‍य सरकार ने कैपिटल खर्च में 19,152.74 करोड़ (वर्ष 2014-15) किया जो कि 2013-14 में 13,664.66 करोड़ था जबकि राज्‍य को राजस्‍व व्‍यय 100,887.93 करोड़ हुआ जो कि गत वर्ष 75,509.5 करोड़ था-यानि कि 33 प्रतिशत की राजस्‍व वृद्धि।

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Source: Rajasthan Budget; *2014-15 figures are revised estimates and 2015-16 figures are budget estimates

राजस्‍थान सरकार का सम्‍पूर्ण राजस्‍व-टैक्‍स में 27 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान। इस टैक्‍स में राज्‍य के प्रमुख टैक्‍स कृषि-भूमि, राज्‍य-एक्‍साइज टैक्‍स और केन्‍द्रीय इनकम टैक्‍स और सेवाकर टैक्‍स शामिल हैं । जो पिछले टैक्‍स 59,604 करोड़ से बढ़कर 76,020 करोड़ अनुमानित है।

राज्‍य के राजस्‍व-घाटे, आपदा-कोष, सेक्‍टरवाइज मुख्‍य योजनाओं के लिए केन्‍द्र सरकार से मिलने वाली सहायता-अनुदान राशि में 16 प्रतिशत की कमी अनुमानित है, जो कि 23,595 करोड़ से घटकर 19,844 करोड़ है।

सामाजिक-सेवाओं में वृद्धि की राशि का प्रतिशत 15 है जो कि 40,634 करोड़ से बढ़कर 46,622 करोड़ अनुमानित है।

राजस्‍थान सरकार जिसकी जनसंख्‍या 680 करोड़ है, वह प्रत्‍येक सामाजिक क्षेत्र शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और लिंग-प्रतिशत में राष्‍ट्रीय-औसत के पीछे है जैसे कि शिक्षा का प्रतिशत 66% है- राष्‍ट्रीय-औसत 73% रहते हुए, लिंग-प्रतिशत प्रति 1000 स्त्रियों पर पुरुष 928, जबकि राष्‍ट्रीय औसत 943 पुरुष है।

1000 जन्मे शिशुओं पर राज्य-शिशु- मृत्युदर 47 है, जबकि राष्ट्रीय औसत शिशु-मृत्युदर 40 है।

15 से 49 आयु वर्ग में प्रसूति कारणों से प्रति 100,000 प्रसव में हुई जच्‍चा मृत्‍यु दर राष्‍ट्रीय औसत 167 के सापेक्ष 224 है।

छवि आभार: Flickr/NarendraModiOfficial

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