Bengaluru solar power park

बेंगलुरु: 1 मार्च 2018 को कर्नाटक में 2,000 मेगावाट क्षमता वाले सौर ऊर्जा पार्क का उद्घाटन किया गया था।

नई दिल्ली: पिछले सात वर्षों से 2017 तक भारत के बिजली उत्पादन में 34 फीसदी का वृद्धि हुई है, और देश अब जापान और रूस से अधिक ऊर्जा पैदा करता है। जापान और रूस में सात साल पहले भारत की तुलना में क्रमश: 27 फीसदी और 8.77 फीसदी अधिक बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित थी, अब भारत उनसे आगे है।

वित्तीय वर्ष 2017 में, भारत ने 1,160.10 अरब यूनिट बिजली (बीयू) का उत्पादन किया है। एक बीयू एक महीने के लिए 10 मिलियन घरों (प्रति दिन लगभग 3 इकाइयों का औसत उपयोग करने वाला एक घर) के लिए पर्याप्त है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा स्थापित ट्रस्ट, इंडिया ब्रैंड इक्विटी फाउंडेशन (आईबीईएफ) की एक फरवरी 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 के बीच बिजली उत्पादन 1,003.525 बीयू पर रहा है।

वित्त वर्ष 2016 में 1,423 बीयू के उत्पादन के साथ, चीन (6015 बीयू) और संयुक्त राज्य अमेरिका (4,327 बीयू) के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और बिजली का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता था।

2016 में विश्व की अग्रणी बिजली उत्पादक

एक दशक से वित्तीय वर्ष 2017 तक क्षमता में 22.6 फीसदी वृद्धि की वार्षिक दर के साथ, अक्षय ऊर्जा ने अन्य ऊर्जा स्रोतों ( थर्मल, पनबिजली और परमाणु ) को पीछे छोड़ दिया है। हालांकि, उर्जा के स्रोतों में नवीनीकरण ऊर्जा केवल 18.79 फीसदी बनाता है, जो कि 2007 के बाद से 68.65 फीसदी ज्यादा है। लगभग 65 फीसदी स्थापित क्षमता अब भी थर्मल है।

जनवरी 2018 तक, भारत ने 334.4 गीगावाट (जीडब्ल्यू) की बिजली क्षमता स्थापित कर दी है, जिससे यह यूरोपीय संघ, चीन, अमेरिका और जापान के बाद दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा स्थापित क्षमता वाला देश बना है।

आईबीईएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार 2022 तक लगभग 100 गीगावॉट की क्षमता में वृद्धि का लक्ष्य कर रही है, जो कि यूनाइटेड किंगडम का वर्तमान बिजली उत्पादन है।

बिजली उत्पादन में सालाना 7 फीसदी की वार्षिक वृद्धि

भारत ने 2017 में 1,160.10 ब्यू का उत्पादन करके 34.48 फीसदी वृद्धि हासिल की, जबकि 2010 में यह 771.60 ब्यू थी। इसका मतलब हुआ कि इन सात वर्षों में, भारत में बिजली उत्पादन 7.03 फीसदी की एक समग्र वार्षिक वृद्धि दर के साथ बढ़ा है।

भारत में बिजली उत्पादन

उत्पादन क्षमता में 10 फीसदी की सलाना बढ़ोतरी

जनवरी 2018 तक 334.5 जीडब्ल्यू स्थापित क्षमता में से ( 2007 में 132.30 जीडब्ल्यू से 60 फीसदी ऊपर ) थर्मल स्थापित क्षमता 219.81 गीगावॉट थी। रिपोर्ट कहती है कि, हाइड्रो और नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता कुल 44.96 गीगावॉट और 62.85 गीगावॉट थी।

एक दशक से 2017 तक सीएजीआर स्थापित क्षमता में थर्मल पावर के लिए 10.57 फीसदी था, अक्षय ऊर्जा के लिए 22.06 फीसदी था ( सभी स्रोतों में सबसे तेज ) हाइड्रो ऊर्जा के लिए 2.51 फीसदी और परमाणु ऊर्जा के लिए 5.68 फीसदी था।।

स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता

बढ़ती मांग और उच्च निवेश भविष्य के विकास को गति देंगे

रिपोर्ट में कहा गया है कि, बढ़ती आबादी और प्रति व्यक्ति उपयोग में वृद्धि और बिजली कनेक्शन की बढ़ती पहुंच के साथ बिजली क्षेत्र को और तेज प्रोत्साहन मिलेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 में बिजली की खपत 1,160.1 बीयू से बढ़कर 2022 में 1,894.7 बीयू तक पहुंचने का अनुमान है। बढ़ता हुआ निवेश देश में बिजली क्षेत्र के विकास के ड्राइविंग कारकों में से एक रहा है।

ऊर्जा क्षेत्र में, 100 फीसदी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) परमिट है, जिससे क्षेत्र में एफडीआई प्रवाह बढ़ गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली क्षेत्र में कुल एफडीआई प्रवाह अप्रैल 2000 से दिसंबर 2017 तक 12.97 बिलियन डॉलर (83,713 करोड़ रुपये) तक पहुंच गया है, जो भारत में 3.52 फीसदी एफडीआई प्रवाह के लिए जिम्मेदार है।

(त्रिपाठी प्रमुख संवाददाता हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 26 मार्च, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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