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ग्रामीण भारत में 67 फीसदी से भी अधिक परिवार खाने पकाने के लिए ईंधन के रुप में लकड़ियों का इस्तेमाल करता है।

सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी ताज़े आंकड़ों के अनुसार पिछले दो दशकों में लकड़ियों द्वारा ईंधन जलाने के मामले में केवल 12 फीसदी की गिरावट देखी गई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में खाना पकाने के लिए तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) के इस्तेमाल में 7.5 गुना की वृद्धि देखी गई है। साल 1993-94 में यह आंकड़े 2 फीसदी दर्ज की गई थी जबकि 2011-12 में यह 15 फीसदी दर्ज की गई है।

ग्रामीण इलाकों में लगभग 10 फीसदी लोग अभी भी खाना पकाने के लिए उपलों का इस्तेमाल करते हैं। 1993-94 के मुकाबले इसमें ममूली, 11.5 फीसदी की गिरावट देखी गई है।

ग्रामीण भारत में खाना पकाने के लिए उर्जा श्रोत

Source: Ministry of Statistics; Figures in %; #Other sources include gobar gas, charcoal and electricity.

इंडियास्पेंड ने अपनी खास रिपोर्टमें पहले ही बताया है कि कैसे वायु प्रदूषण (खाना पकाने, ताप और प्रकाश गतिविधियों से निकलने वाला धुआं ) के कारण देश के ग्रामीण इलाकों में हर साल एक मिलियन लोगों की जान जाती है।

इसके विपरीत, देश के शहरी इलाकों में करीब 68 फीसदी लोग खाना बनाने के लिए एलपीजी गैस का इस्तेमाल करते हैं।

शहरी इलाकों में भी कई परिवार करते हैं ईंधन के लिए लकड़ी का इस्तेमाल

देश के शहरी इलाकों में करीब 14 फीसदी लोग खाना पकाने के लिए लकड़ियों का इस्तेमाल करते हैं।

शहरी भारत में खाना पकाने के लिए उर्जा श्रोत

Source: Ministry of Statistics; Figures in %; #Other sources include gobar gas, charcoal and electricity.

शहरी इलाकों में मिट्टी तेलके इस्तेमाल में भारी गिरावट आना सबसे सराहनीय पहलू है। आंकड़ों के मुताबकि मिट्टी तेल के इस्तेमाल में 23 फीसदी से 6 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है।

ग्रामीण एवं शहरी, दोनों ही इलाकों में कुछ परिवार ऐसे हैं जो खाना नहीं पकाते: ग्रामीण इलाकों में 1 फीसदी लोगों के पास खाना पकाने की कोई व्यवस्था नहीं है जबकि शहरी इलाकों में ऐसे परिवारों की संख्या 7 फीसदी दर्ज की गई है।

संपन्न राज्यों में एपीजी का इस्तेमाल, गरीब राज्यों में लकड़ी ईंधन का इस्तेमाल

ग्रामीण एवं शहरी इलाकों से मिले आंकड़े दोनों के बीच के असंतुलन को दर्शाते हैं।

छत्तीसगढ़ के 93 फीसदी से भी अधिक परिवारों में खाना पकाने के लिए लकड़ी ईंधन का उपयोग किया जाता है जबकि राजस्थान में यही आंकड़े 89 फीसदी एवं ओडिसा में 87 फीसदी हैं।

ग्रामीण इलाकों में लड़की ईंधन उपयोग करने वाले नीचे से पांच राज्य

Source: Ministry of Statistics; Figures in %

शहरी इलाकों की बात की जाए तो, एलपीजी गैस का इस्तेमाल करने में सबसे पहला स्थान हरियाणा का है। हरियाणा में करीब 86 फीसदी परिवार एलपीजी गैस का इस्तेमाल करते हैं। हरियाणा के बाद एलपीजी गैस मामले में दूसरा स्थान 77 फीसदी के साथ आंध्रप्रदेश एवं 75 फीसदी के साथ पंजाब का है।

शहरी भारत में एलपीजी उपयोग करने वाले टॉप पांच राज्य

Source: Ministry of Statistics; Figures in %

शहरी-ग्रामीण इलाकों में प्रकाश श्रोतों में भी अंतर

ग्रामीण एवं शहरी के बीच का अंतर प्रकाशश्रोतों के अंतर कोभी जारी रखता है। शहरी परिवारों में 96 फीसदी से अधिक परिवार प्रकाश के लिए बिजली का इस्तेमाल करते हैं जबकि ग्रामीण इलाकों में केवल 73 फीसदी परिवार बिजली का इस्तेमाल प्रकाश के लिए करते हैं।

ग्रामीण इलाकों में 26 फीसदी से भी अधिक परिवार प्रकाश के लिए मिट्टी तेल का इस्तेमाल करता है।

ग्रामीण भारत में प्रकाश के श्रोत

Source: Ministry of Statistics; Figures in %

शहरी भारत में प्रकाश के श्रोत

Source: Ministry of Statistics; Figures in %

विमिन्न सरकारों द्वारा देश भर में सभी परिवारों को चौबीस घंटे बिजली उपलब्ध कराने की तमाम कोशिशों के बावजूद भारत के किसी भी राज्य एवं इलाकों में प्रकाश व्यवस्था के लिए केवल बिजली का उपयोग करने की समर्थ नहीं देखी गई है।

ग्रामीण भारत में बिजली उपयोग करने वाले नीचे से पांच राज्या

Source: Ministry of Statistics; Figures in %

ग्रामीण इलाकों में 26 फीसदी के आंकड़ों के साथ बिहार इस मामले में सबसे नीचे स्थान पर है जबकि 40 फीसदी आंकड़ों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे एवं 55 फीसदी के साथ आसाम तीसरे स्थान पर है।

शहरी इलाकों के सबसे अधिक बिजली इस्तेमाल करने के मामले में 99 फीसदी के साथ महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु सबसे पहले स्थान पर है जबकि 98 फीसदी आंकड़ों के साथ कर्नाटक एवं आंध्रप्रदेश दोनों दूसरे स्थान पर हैं। शहरी क्षेत्रों में बिजली मामले में 81 फीसदी के साथ बिहार, 88 फीसदी के साथ उत्तर प्रदेश एवं 90 फीसदी के साथ असाम सबसे नीचे स्थान पर हैं।

शहरी क्षेत्रों में बिजली उपयोग करने वाले टॉप पांच राज्य

Source: Ministry of Statistics; Figures in %

ब्रिक्स देशों के मुकाबले भारत में बिजली की खपत कम

पिछले दो दशकों में मिट्टी के तेल के उपयोग में काफी कमी आई है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र दोनों में प्रकाश के मुख्य श्रोत के रुप में मिट्टी तेल की जगह बिजली का इस्तेमाल होने लगा है। 1993-94 में जहां लगभग 62 फीसदी परिवार मिट्टी तेल का उपयोग करते पाए गए थे वहीं इन आंकड़ों में 26 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।

शहरी इलाकों में बिजली के उपयोग प्रकाश के मुख्य श्रोत के रुप में करने में भी काफी सुधार पाई गई है। 1993-94 में 83 फीसदी घरों में बिजली का उपयोग प्रकाश केलिए होता था जबकि 2011-12 के आंकड़ों के अनुसार अब 96 फीसदी घरों में बिजली के उपयोग से प्रकाश किया जाता है।

ब्राजील सरकार के अध्ययन के अनुसार, कुल मिलाकर ब्रिक्स देशों में (ब्राजील, रूस, भारत , चीन, दक्षिण अफ्रीका ) बिजली की सबसे कम खपत भारत में ही होती है।

भारत में औसत रुप से बिजली की खपत रुस से 75 फीसदी, एवं दक्षिण अफ्रीका से 80 फीसदी कम है। औसत रुप से एक चीनी भारत के मुकाबले सात गुना अधिक बिजली का उपयोग करता है जबकि एक ब्राजील का नागरिक 2.5 गुना अधिक बिजली का उपयोग करता है।

प्रति व्यक्ति बिजली खपत : ब्रिक्स

Source: Brics Statistical Publication 2014, *BP Statistical Review 2015

यह लेख मूलत: 10 अगस्त 2015 को अंग्रेज़ी में indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है.

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