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मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% का , महाराष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद में 33% का योगदान देता है, और यह 2012 में भारत की शहरी आबादी के 5% हिस्से के लिए जिम्मेदार है। 2030 तक केवल एमएमआर अकेले ही आज के अन्य देशों के मुकाबले जनसांख्यिकीय और आर्थिक स्थिति में सबसे आगे होगा ।

21 लाख की बड़ी आबादी के साथ, यह ऑस्ट्रेलिया की तुलना में अधिक आबादी वाला क्षेत्र होगा और $ 230 अरब डॉलर के अपने सकल घरेलू उत्पाद के साथ 2030 तक इसकी अर्थव्यवस्था आज के थाईलैंड या हांगकांग से भी विशाल होगी ।

अपनी आश्चर्यचकित (आँखे चौड़ी कर देने वाली) जनसांख्यिकी और आर्थिक क्षमता के बावजूद, मुंबई में जीवन की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आई है और यह यदि शहर के प्रबंधन के मौजूदा तरीके इसी प्रकार रहे तो यह गिरावट ज़ारी रहेगी। उदाहरण के लिए, उत्पन्न मल में से केवल 47% ही साफ़ किया जाता है, और शिखर वाहनों की संख्या प्रति लेन किलोमीटर की आदर्श संख्या 112 की तुलना में 170 है।

यह स्थिति बुनियादी ढांचा परियोजनाओं , जैसे कि मुंबई मेट्रो लाइन 1, वर्ली-बांद्रा सी लिंक, और पूर्वी एक्सप्रेस फ्रीवे में ज़ोर शोर से किए गए मौजूदा निवेश के बावजूद बनी हुई है।

एमएमआर में जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए और पूरी तरह से आर्थिक क्षमता का एहसास करने के लिए राज्य सरकार को अगले पांच से दस वर्षों में तीन मोर्चों-नियोजन, वित्त पोषण, और शासन पर एक बड़ा दबाव बनाने की जरूरत है। इस अनुच्छेद में इन तीन क्षेत्रों में से प्रत्येक क्षेत्र में किए गए कार्यों की रूपरेखा का उल्लेख किया गया है :

योजना

योजना पर अपर्याप्त ध्यान केंद्रित करना भी एमएमआर में आई गिरावट के मुख्य कारणों में से एक है। इस क्षेत्र में परिवर्तन की शुरुआत करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को उल्लेखित इन तीन कार्यों पर ठोस रूप से प्रयास करने पर गंभीर विचार करना चाहिए:

    1. 1. एमएमआर की संकल्पना योजना 2030 को मानना और उसकी अधिसूचना देना : एमएमआर उन कुछ भारतीय शहरों में से एक है जिन्होंने शहर की आबादी और 2011-12 की जीडीपी विकास दर के अनुमान के आधार पर 2030 और 2050 की अवधारणा योजना को प्रारूप देने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रथा का पालन किया है । लेकिन अभी यह औपचारिक रूप से महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है। केवल यह है कि इसे स्वीकृत कर ,इसकी अधिसूचना दिए जाने के बाद यह महानगर में सभी नगर पालिकाओं के लिए बाध्यकारी हो जाता है। महाराष्ट्र क्षेत्रीय नगर एवं नियोजन अधिनियम में कुछ संशोधन तो किए गए हैं लेकिन लेकिन अभी बहुत कुछ और किया जाना बाकी है।

  • 2. घरेलू अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और महाराष्ट्र के कुछ चुनी हुई 6 -8 योजनाबद्ध जगहों को 'स्मार्ट' मिनी शहरों' का रूप देने की संकल्पित योजना के लिए मेक इन महाराष्ट्र की शीघ्र शुरुआत: महाराष्ट्र सरकार के पास एमएमआर क्षेत्र में रोजगार सृजन और समग्र विकास को प्रोत्साहित करने के लिए विशिष्ट क्षेत्रों में 1,000 से लेकर 10,000 एकड़ तक भूमि खंडो के विकसित एवं पुनर्विकसित करने का एक बड़ा अवसर है। आज, शायद, बांद्रा कुर्ला (बीकेसी) परिसर एमएमआर में वित्तीय सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए योजनात्मक तरीके से विकसित किया गए "रिक्त स्थानों " में से एक है। हालांकि बीकेसी में भी , परिवहन नेटवर्क, मेट्रो कनेक्टिविटी और महत्वपूर्ण जंक्शनों पर भारी ट्रैफिक जाम की कमी से योजना में रह गई कई खामियाँ स्पष्ट होती है । अन्य कई "रिक्त स्थानों " में भी बेतरतीब योजनाएँ बनाई गई हैं।

आगे देखें, तो हमारे पास एक दुर्लभ अवसर अभी है , अगले कुछ "रिक्त स्थानों " को चुन कर उनके लिए आर्थिक, परिवहन और बाह्य मुख्य योजनाएं बना कर उनका निर्माण स्मार्ट पारगमन शहरों के रूप में कर सकने का , जहां गैर मोटर चालित सार्वजनिक परिवहन अपेक्षाकृत अधिक हिस्सेदारी हो ( की बहुतायत हो )। इन मिनी शहरों में कुछ स्मार्ट प्रौद्योगिकियों जैसे की सड़क सफाई मशीनों और स्मार्ट मीटरिंग को अपनाया जा सकता है। उदाहरणार्थ , नवी मुंबई, पुणे,महाराष्ट्र की शिक्षा राजधानी से अपनी निकटता के कारण, राज्य का एक उच्च तकनीकी केंद्र बन सकता है।

इसी तरह, मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की 750 हेक्टेयर भूमि को विकसित करते समय , उसका उपयोग आवासिक और वाणिज्यिक विकास के माध्यम से पर्यटन गतिविधियों द्वारा रोजगार के लाखों अवसर उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल किया जाए -मरीना , होटल, कन्वेंशन सेंटर, समुद्र के सामने रेस्तरां और सामाजिक विकास के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और निम्न आय वर्ग के लिए आवास विकसित किए जा सकते हैं और पार्क , नागरिकों के लिए पैदल सैर पथ (वाकिंग ट्रैक ) जैसे सार्वजनिक स्थलों के निर्माण किया जा सकता है। इसी तरह, गोरई एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में , अलीबाग एक तटीय शहर के रूप में, उल्हासनगर एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी के रूप में ,कल्याण-डोम्बीवली एक मोटर वाहन केंद्र के रूप में , और पनवेल एक शिक्षा शहर के रूप में विकसित किया जा सकता है।

3. मुंबई को अन्य विश्व स्तरीय शहरों की श्रेणी में लाने के लिए सार्वजनिक परिवहन तंत्र को शीघ्रता से क्रियान्वित करना और एकीकृत महानगर परिवहन प्राधिकरण (UMTA) स्थापित कर मल्टी मॉडल एकीकरण सुनिश्चित करना : एमएमआर को विश्व स्तरीय शहर बनाने के लिए ($ 20000000000 की लागत वाले ) 10-12 मेट्रो गलियारों की आवश्यकता है । उसके लिए शहर को चारों ओर से घेरने वाली एक रिंग रोड की आवश्यकता है जिसकी लागत लगभग $ 5 अरब डॉलर होगी। एक वृद्धिशील दृष्टिकोण की अपेक्षा प्रत्येक राज्य को 2020 तक इस पूरे नेटवर्क का निर्माण करने का लक्ष्य रखना चाहिए। साथ ही शहर में परिवहन के इन विभिन्न तरीकों के बीच बहुत कम एकीकरण है क्योंकि सभी भिन्न भिन्न संस्थाओं द्वारा प्रदान किए जाते हैं उदहारण के लिए बसें बेस्ट द्वारा चलाई जाती हैं और मुंबई मेट्रो रेल निगम को मेट्रो के विकास का काम सौंपा है।

फीडर (शाखापथ) मार्गों की (सिंक्रोनाइझेशन) समक्रमिकता नागरिकों के लिए डोर-टू-डोर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए आवश्यक है, लेकिन अक्सर ऐसा होता नहीमामला नहीं है। महानगर प्राधिकरण के साथ, UMTA की स्थापना कानून द्वारा समर्थित एक संस्था के रूप में करना , जैसे की चेन्नई में की गई है , शायद इस मुद्दे के समाधान के लिए एक रास्ता है। इस बोर्ड में भिन्न भिन्न संस्थाओं जैसे रेलवे, यातायात पुलिस, और मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के सम्मिलन से योजना और एकीकरण मुद्दे को बढ़ावा दिया जा सकता है।

वित्त पोषण

मुंबई के विकास के लिए योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए अत्याधिक पूँजी व्यय की आवश्यकता है। हमारे अनुमान अनुसार , एमएमआर को अगले 15 से 20 वर्षों में लगभग $ 180,000,000,000 निधि की आवश्यकता होगी। इसमें से, मोटे तौर पर $ 60 बिलियन शहर के जन पारगमन परियोजनाओं और और एक अन्य $ 60 बिलियन किफायती मकानों के वित्तपोषण के लिए आवश्यक हो जाएगा। इतना पैसा जुटाने के लिए शहर की प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष निवेश को $ 75 से $ 367 तक बढ़ाने की आवश्यकता है। यह कोई आसान काम नहीं है।

विश्व स्तरीय अनुभव और हमारे कार्य के अनुसार इसका एक तिहाई जो कि लगभग $120 है, भूमि मुद्रीकरण के माध्यम से इकट्ठा किया जा सकता है ।इस दृष्टिकोण की पुष्टि इस बात से हो जाती है कि नगर निगम के हाल के अनुभव के अनुसार, प्रतिस्थापित (फंगीब्ल) फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) वित्तीय वर्ष 2013-14 में दी गई चुंगी के बाद दूसरा सबसे बड़ा राजस्व जनक बन गया है। शेष धनराशि संपत्ति कर, उपयोगकर्ता परिवर्तन और केन्द्रीय / राज्य सरकार के वित्त पोषण को इकट्ठा करके उठाई जा सकती है ।

4. ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) पर दबाव बनाने और उसे हर वर्ष 2 अरब डॉलर लागत वाली, परियोजनाओं पर अमल करने के लिए सशक्त बनाना : हर साल नगर निगम के पास ग्रेटर मुंबई की प्रयोजनाओ पर कार्य के लिए राजस्व और सम्पत्ति के रूप में 2 अरब डॉलर तक परिसंपत्ति होती है । मुख्यमंत्री द्वारा हाल में ही तटीय सड़क को विकसित करने का निर्णय एक उत्साहजनक विकास (विषय) है। मुंबई क्षेत्र में परिवर्तनकारी परियोजनाओं को शुरू करने के लिए निगम पर दबाव बनाने और उसे सक्षम करना ही मुंबई के बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए एक समाधान बन सकता है। ऐसा करने के लिए एमसीजीएम में , अतिरिक्त नगरपालिका आयुक्त के नेतृत्व में बड़ी पूंजी परियोजनाओं के लिए एक अलग विभाग के द्वारा जिसमे आधुनिक तकनीक जैसे कि विशेष प्रयोजन वाहनों और राज्य सरकार के समर्थन की मदद से इस तरह के निवेशों को खोला (अनलॉक) किया जा सकता है ।

5. मुंबई विकास कोष की स्थापना: जैसे जैसे मुंबई विकसित और पुनर्विकसित होता जा रहा है वैसे वैसे इसे मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के तहत शहर के बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए भूमि मुद्रीकरण से प्राप्त आय को इकट्ठा करके एक रिंग फेन्सड मुंबई विकास कोष की स्थापना करनी चाहिए। उदाहरण के लिए, इस कोष के लिए उपकर या सभी भूमि संबंधी राजस्व पर कुछ फीस एकत्रित की जा सकती है । ये फीस अतिरिक्त एफएसआई, स्टांप शुल्क, समुन्नति के प्रभार, प्रभाव फीस, भूमि उपयोग रूपांतरण शुल्क और हरे-क्षेत्र की भूमि की नीलामी से प्राप्त आय से वसूली जा सकती है। इसी प्रकार से सिंगापुर और शंघाई जैसे दुनिया के बड़े शहरों को भी वित्तपोषित किया गया है। भारत में इस तरह के नागपुर और अहमदाबाद जैसे कुछ शहरों में किया जा रहा है जो मुंबई के लिए एक मॉडल बन सकता है ।

शासन

मुंबई के 17 संस्थाओं द्वारा संचालित है। ज्यादातर विशेषज्ञों के अनुसार इस प्रकार के शासनकी कमी के कारण ही राज्य के वित्त पोषण और योजना में कमी आई है । हमारे अनुसार, दो विशिष्ट कार्यों द्वारा नेतृत्व में आए इस शून्य को संबोधित किया जा सकता हैं :

6. एमएमआर में एक पूर्णकालिक नेता की अल्पावधि में नियुक्ति: आदर्श अनुसार , सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में सम्मानित नेता को मुंबई में एक पूर्णकालिक नेता के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री कार्यालय में स्थित इस पद पर राज्य मंत्री स्तर से नियुक्ति होनी चाहिए और इसे मुंबई के नवीकरण और विकास के उद्यम के लिए पर्याप्त मानव और वित्तीय संसाधनों की सहायता मिलनी चाहिए । मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में इस पद पर नियुक्त व्यक्ति को पर्याप्त रूप से , मुंबई के लिए कल्पित योजनाओं को कार्यान्वित करने और विभिन्न अंतर-एजेंसी मामलों के समन्वय, और रोज उभरते मुद्दों से निपटने के लिए सशक्त किया जाना चाहिए।

7. मेट्रोपोलिटन महापौरों की नियुक्ति के लिए सीधे-निर्वाचित प्रणाली लागू करने की ओर प्रयास करना : भारत दुनिया में कुछ ऐसे संसदीय लोकतंत्रों में से एक है जहां अपने शहरों के लिए सीधे निर्वाचित महापौरों की नियुक्ति प्रक्रिया नहीं है। नतीजतन, शहर के लिए कोई एक जिम्मेदार व्यक्ति नहीं है। इसके बजाय, कई संस्थान अतिव्यापी भूमिकाओं द्वारा नागरिकों को विभिन्न सेवाएं प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं, आवास से ले कर सड़को और पानी की आपूर्ति तक । इसके अलावा, कई राज्य-स्वामित्व संगठनों को भी शहर-स्तरीय सेवा प्रदान करने का काम सौंपा गया है। इस तरह के संस्थागत विभाजन शहर के वित्तीय पोषण और योजना प्रक्रिया में आए अंतराल और जीवन की गुणवत्ता में गिरावट के लिए भी ज़िम्मेदार है । इस संवैधानिक संशोधन को सम्भव करने के लिए राजनीतिक रूप से प्रचार की क्रिया एमएमआर के लिए ही नही अपितु भारत के सभी महानगरों के लिए महत्त्वपूर्ण है। हमारे अनुमान अनुसार भारत में महानगरों की संख्या वर्ष 2012 में 54 से बढ़ कर वर्ष 2030 तक 70 से अधिक हो जाएगी ।

संक्षेप में , हमे विश्वास है कि निरंतर कार्रवाई के क्रम से एमएमआर में बदलाव आ सकता है। लेकिन इस बदलाव के लिए ठोस राजनीतिक संकल्प और एकाग्र प्रयास महत्वपूर्ण है।

यदि महाराष्ट्र सरकार यदि इस प्रकार कार्यवाही करने की इच्छुक हो तो उसके पास इस बदलाव को लाने का मौका है जिससे आमची मुंबई, वास्तव में अच्छी मुंबई बन सकती है ।

(शिरीष सांखे एक निदेशक हैं और सुनाली रोहरा, मैकिन्से एंड कंपनी, के साथ एक विशेषज्ञ हैं । दोनों मुंबई में आधारित हैं )

( छवि आभार : विकिमीडिया )

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