अप्रैल-दिसंबर 2015 में, 58.3 फीसदी बेरोजगार ग्रेजुएट और 62.4 फीसदी बेरोजगार पोस्ट-ग्रेजुएट्स ने कहा कि उनके पास नौकरी नहीं है। उन्होंने इसकी वजह ये बताई कि जिन कामों की भी उन्हें पेशकश की गई, वह उनके शिक्षा / कौशल और अनुभव से मेल नहीं खाती थी। यह जानकारी पांचवें वार्षिक रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण (2015-16) पर श्रम और रोजगार मंत्रालय की रिपोर्ट में सामने आई है।

सर्वेक्षण के मुताबिक, अपर्याप्त वेतन की वजह से 22.8 फीसदी ग्रेजुएट और 21.5 फीसदी पोस्ट-ग्रेजुएट काम न कर पा रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक सर्वेक्षण में शामिल 48.4 फीसदी घरों में केवल एक काम करने वाला सदस्य था। 30.6 फीसदी घरों में दो काम करने वाले सदस्य थे। 10.7 फीसदी घरों में तीन काम करने वाले सदस्य थे और 5.2 फीसदी घरों मे चार या इससे अधिक काम करने वाले सदस्य थे।

सर्वेक्षण के मुताबिक, शेष 5.1 फीसदी घरों में कोई भी काम करने वाला / अर्जक नहीं था। जनगणना 2011 के अनुसार, एक औसत भारतीय परिवार में करीब पांच सदस्य होते हैं।

काम करने वाले सदस्यों के अनुसार भारतीय परिवार

TAble One

Source: MInistry of Labour & Employment

अप्रैल, 2015 में, काम के लिए उपलब्ध 15 वर्ष से अधिक आयु के 5 फीसदी लोगों को काम नहीं मिल पाया। सर्वेक्षण के मुताबिक 4 फीसदी पुरुष और 8.7 फीसदी महिलाओं को काम नहीं मिला और 4.3 फीसदी ट्रांसजेंडर बेरोजगार रहे।

लिंग अनुसार भारतीय बेरोजगारी दर

Table Three

Source: MInistry of Labour & Employment

रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 46.5 फीसदी कामगार लोग 183 दिनों या उससे ज्यादा दिनों के लिए स्वयं का कुछ काम कर रहे थे, 32.8 फीसदी कैजुअल श्रमिक के रूप में कार्यरत थे, 17 फीसदी मजदूरी कर रहे थे और 3.7 फीसदी अनुबंधित श्रमिक थे।

वेतन अर्जक अनुसार भारतीय परिवार

Table Two

Source: MInistry of Labour & Employment

अप्रैल 2015 तक, 15 वर्ष और उससे ऊपर के उम्र के लगभग 61 फीसदी व्यक्तियों को वर्ष भर के सभी 12 महीनों के लिए काम उपलब्ध कराया गया, जो पूरे साल काम करने में सक्षम थे।

57.2 फीसदी नियमित मजदूरी / वेतनभोगी श्रमिकों की मासिक औसत आय 10,000 रुपए थी, और 38.5% ठेका श्रमिकों और 59.3% कैजुअल श्रमिकों की मासिक आय 5000 रुपए तक थी।

(विवेक विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 31 जुलाई 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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