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उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद में तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम के तट पर फूलों की टोकरी लिए एक बिक्रेता। अगस्त महीने में इलाहाबाद और वाराणसी का वायु प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन स्वीकार्य सीमा से 93 फीसदी और 96 फीसदी पार हुआ है। संभवत: इसका मुख्य कारण वाहन प्रदूषण हो सकता है। अगस्त 2016 में, वाराणसी और इलाहाबाद दोनों बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित थे जिसका असर यातायात भीड़ पर पड़ा है।

इस साल के अगस्त महीने के करीब 90 फीसदी से अधिक दिनों में वाराणसी और इलाहाबाद का प्रदूषण स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के स्वीकृत स्तर के पार हुआ है। यह जानकारी 12 शहरों में लगाए गए एयर मानिटरिंग स्टेशनों से मिली रिपोर्ट के आधार पर इंडियास्पेंड की विश्लेषण में सामने आई है।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, यह एक घातक स्थिति हो सकती है क्योंकि उच्च एकाग्रता वाले वायुवाहित कणिका मृत्युदर को तात्कालिक तौर पर बढ़ा सकती है। 2003 में एक महामारी विज्ञान जर्नल लेख के अनुसार, यह तब होता है जब किसी बीमार व्यक्ति की अस्पताल में या वहां से आने के 30 दिनों के भीतर उसकी मौत हो जाती है।

डब्लूएचओ की दिशानिर्देश के मुताबिक, पीएम 2.5 की 24 घंटे की औसत प्रति घन मीटर 25 है।

पीएम 2.5 ऐसे कण हैं जो 2.5 माइक्रोन से छोटे होते हैं जो कि एक कोहरे या बादल की छोटी बूंद का पांचवा हिस्सा होता है। इसके मुख्य स्रोत वाहन, बॉयलर और बिजली संयंत्र है।

पीएम 2.5 से सबसे अधिक खतरा ऐसे लोगों को होती है जो फेफड़े, दिल और सांस संबंधित परेशानियां जैसे कि अस्थमा से पीड़ित होते हैं।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है कि,किसी शहर में पीएम 2.5 की मात्रा यदि 24 घंटे के बाद भी बढ़ने के संकेत देते हैं तो उन्हें तत्काल कार्रवाई शुरू करनी चाहिए। अगस्त में वाराणसी में यह बढ़ी हुई मात्रा 96 फीसदी अधिक रही है यानि कि निगरानी किए गए 28 में से 27 दिनों में पीएम 2.5 अधिक रहा है।

प्रदूषण स्तर में वृद्धि का मुख्य कारण वाहन प्रदूषण हो सकता है। अगस्त 2016 में वाराणसी और इलाहाबाद, दोनों बुरी तरह बाढ़ से प्रभावित हुए हैं जिससे यातायात संकुलन में वृद्धि हुई है।

26 दिनों में (जांच किए गए दिनों में 93 फीसदी) वाराणसी का औसत पीएम 2.5 स्तर प्रति 30 m³ से ऊपर पाया गया है। भारत सरकार के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) दिशा निर्देशों के तहत 30 और 60 के बीच के स्तर को 'संतोषजनक' माना जाता है। आकलन पता चलता है कि केवल कुछ संवेदनशील ही इसके प्रभाव को महसूस करेंगे और सांस लेने में कठिनाई होगी।

तिथि अनुसार वाराणसी और इलाहाबाद में हवा की गुणवत्ता

Source: IndiaSpend's #Breathe network

लेकिन डब्लूएचओ चेतावनी देती है कि 37.5 का स्तर, अल्पकालिक मृत्यु दर में लगभग 1.2 फीसदी वृद्धि के साथ जुड़ा हुआ है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहती है कि वाराणसी में निगरनी किए गए दिनों में 64 फीसदी दिनों (18 दिनों) में 40 से अधिक औसत स्तर था और और 54 फीसदी (15 दिन) में 50 से अधिक का औसत पीएम 2.5 स्तर था जोकि डब्लूएचओ के रिपोर्ट के अनुसार अनुमानित 2.5 फीसदी अल्पकालिक मृत्यु दर में वृद्धि के साथ जुड़ा है।

निगरानी किए गए 28 में से 11 दिनों में (39 फीसदी) वाराणसी में स्तर 60 के ऊपर था जोकि भारत सरकार के दिशा निर्देशों के तहत 'मामूली प्रदूषित' के रुप में वर्गीकृत किया गया है। और 'दमा, हृदय की समस्याओं, या बच्चों और बुजुर्गों के लिए समस्याएं उत्पन्न कर सकती है।

इलाहाबाद में, अगस्त के 28 दिन (90.3 फीसदी) औसतन डब्ल्यूएचओ दिशानिर्देश के ऊपर था। 24 दिनों (77 फीसदी समय) में पीएम 2.5 स्तर प्रति 30 m³ के ऊपर पाया गया है। महीने के चार दिन यह स्तर 60 से ऊपर था।

पीएम 2.5 स्तर के लिए स्वास्थ्य ब्यौरा

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Source: Ministry of Environment & Forests

पीएम 2.5 के लिए डब्लूएचओ का लक्ष्य

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Source: World Health Organization

ऊपर दिए गए टेबल डब्ल्यूएचओ लक्ष्यों को दिखाती है जोकि लगातार और निरंतर कमी के उपाय के साथ पूर्ण करने योग्य दिखाया गया है। पीएम के प्रति जनसंख्या जोखिम को कम करने की कठिन प्रक्रिया में समय के साथ प्रगति नापने में कई देशों के लिए अंतरिम लक्ष्य विशेष रुप से सहायक हो सकते हैं।

सबसे बद्तर रिकॉर्ड वाले दिन

25 अगस्त, 2016 को, जब पूरा वाराणसी शहर कृष्ण जन्माष्टमी मना रहा था तब शहर 118.6 पर अपनी सबसे खराब 24 घंटे के औसत का सामना कर रहा है, जोकि डब्लूएचओ द्वारा निर्धारित की गई सीमा से 274 फीसदी से अधिक है। डब्ल्यूएचओ के अनुमान के मुताबिक इससे अल्पकालिक मृत्यु दर में करीब 9.4 फीसदी की वृद्धि हो सकती है।

सुबह 1 बजे से 6 बजे के बीच दिन की शुरुआत 151.8 के औसत स्तर के साथ शुरु हुई जो कि डब्लूएचओ की तय सीमा से छह गुना अधिक है। उसके बाद स्तर में गिरावट हुई और फिर बाद में शाम को ऊपर उठा और 136.7 की औसत पर समाप्त हुआ है।

भारत सरकार ने इसे 'बहुत खराब' की स्थिति के रूप में वर्गीकृत किया है जिसमें अधिक समय तक रहने से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, विशेष रूप से फेफड़ों और दिल की बीमारियों के साथ लोगों के लिए।

इलाहाबाद के लिए 29 अगस्त, 2016, सबसे खराब दिन रहा है जब 24 घंटे की औसत पीएम 2.5 एकाग्रता 93.4 पर पहुंचा है। यह मोटे तौर पर 6.8 फीसदी अल्पकालिक मृत्यु दर की वृद्धि के साथ जुड़ा है। सुबह के समय – 12 बजे से 4 बजे के बीच – औसत पीएम 2.5 107.4 पाया गया है।

शुक्रवार को वाराणसी और बुधवार को इलाहाबाद की वायु गुणवत्ता सबसे अच्छी

वाराणसी में, शुक्रवार को 43.4 की औसत आंकड़े के साथ न्यूनतम स्तर दर्ज किया गया है जबकि 35.5 की औसत आंकड़े के साथ बुधवार इलाहाबाद के लिए सबसे कम प्रदूषण वाला दिन रहा है।

सप्ताह के दिन अनुसार वायु गुणवत्ता

Source: IndiaSpend's #Breathe network

अगस्त में गुरुवार का दिन, 64.6 की औसत PM 2.5 स्तर के साथ, वाराणसी के लिए सबसे बुरा रहा है जबकि मंगलवार इलाहाबाद के लिए सबसे खराब रहा है - औसत PM 2.5 स्तर 47.1 पाया गया है।

सबसे बुरे घंटे: 6 बजे से आधी रात, उत्तम समय: 3 बजे

वाराणसी में 71.4 की और इलाहाबाद में 46 की औसत पीएम 2.5 एकाग्रता के साथ सबसे बुरे घंटे 6 बजे से आधी रात तक पाया गया है। इसके अलावा, वाराणसी में, 81.6 की पीएम 2.5 एकाग्रता का साथ केवल 9 बजे ही एकमात्र बुरा घंटा रहा है जबकि इलाहाबाद में 57.9 के साथ 2 बजे सुबह का सबसे ज़हरीला घंटा रहा है।

दिन भर की वायु गुणवत्ता

Source: IndiaSpend's #Breathe network

अगस्त महीने में वाराणसी के लिए 32.6 और इलाहाबाद के लिए 32.1 की औसत स्तर के साथ दोनों शहरों में 3 बजे का समय दिन में बाहर निकलने के लिए सबसे सुरक्षित पाया किया है।

वाराणसी और इलाहाबाद के लिए 2 बजे और 4 बजे की बीच सबसे अच्छी वायु गुणवत्ता पाई गई है जब औसतन स्तर 33.6 और 34.1 पाया गया है। यही समय चेन्नई के लिए भी सबसे अच्छे रहे हैं, जैसा कि इंडियास्पेंड ने अप्रैल 2016 में बताया है।

लेकिन निम्नतम स्तर अब भी डब्ल्यूएचओ की तय सीमा से ऊपर है।

(मुलुनी मल्टीमीडिया पत्रकार है और बर्मिंघम विश्वविद्यालय, ब्रिटेन से बीए (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की है।)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 24 सितंबर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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