हैदराबाद के एक प्राथमिक स्कूल में परजीवी कीड़ों की वजह से होने वाली बीमारी ‘शिस्टोसोमासिस’ को रोकने के लिए ‘डिवॉर्मिंग डे’ में हिस्सा लेते बच्चे। विश्व भर में हरेक छह में से एक बच्चा नेग्लेक्टड ट्रापिकल डिजिज यानी उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग से प्रभावित है। अनुमान है कि वर्ष 2015 में 100 करोड़ लोग इस बीमारी से इलाज के लिए डॉक्टरों के पास पहुंचे।

19 अप्रैल, 2017 को जारी एनटीडीएस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की चौथी रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने 82 फीसदी उप-जिलों में ‘कालाजार’ को समाप्त करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है। कालाजार एक नेग्लेक्टड ट्रापिकल डिजिज(एनटीडी) या उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग के रूप में जाना जाता है।

भारत द्वारा एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि, एक अन्य बिमारी ‘यॉज’ का खात्मा है। यह त्वचा से जुड़ी एक पुरानी बीमारी है। वर्ष 2015 में गरीब बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। डब्ल्यूएचओ ने भारत को इस महत्वपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रथम सदस्य राज्य के रूप में मान्यता दी है।भारत ने हाथी रोग या फाइलेरिया के इलाज में भी प्रगति हासिल की है । इस पर मूल्यांकन के बाद 72 जिलों में जन औषध प्रशासन को रोक दिया गया है।

एनटीडीएस सबसे पुरानी और सबसे दर्दनाक बीमारियों में से माने जाते हैं, जिससे दुनिया के गरीब समुदाय पीड़ित हैं। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया के छह लोगों में से एक एनटीडीएस से पीड़ित है- जिनमें से 50 करोड़ से ज्यादा बच्चे हैं।

एनटीडी से बच्चे स्कूल से बाहर हो जाते हैं। माता-पिता काम से बाहर हो जाते हैं। आर्थिक भविष्य अंधकार में डूब जाता है। उम्मीदें टूट जाती हैं और गरीबी का चक्र चिरस्थायी हो जाता है।

वर्ष 2015 में 100 करोड़ लोगों का नेग्लेक्टड ट्रापिकल डिजिज (एनटीडी) से इलाज किया गया। इन बीमारियों में कुष्ट रोग, हाथी रोग, कालाजार और परजीवी कीड़े की वजह से होने वाली बीमारी ‘शिस्टोसोमासिस’ प्रमुख थे।

10 करोड़ से अधिक एनटीडीएस के लिए इलाज और देखभाल की जरूरत वाले लोगों की सबसे बड़ी संख्या भारत, इंडोनेशिया और नाइजीरिया में हैं। इन देशों में करीब 47 फीसदी ऐसी बीमारी के मामले पाए गए हैं।

भारत ने वर्ष 2017 के अंत में ‘लिशमानियासिस’ और ‘लसीका फिलारियासिस’ जैसी बीमारियों को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इस पर इंडियास्पेंड ने 23 फरवरी, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक, मार्गरेट चैन ने कहा है कि, “सोने की बीमारी और हाथी रोग जैसे पुरानी बीमारी को कम करने में डब्लूएचओ ने रिकॉर्ड प्रगति की है। ”

चान ने कहा, "पिछले 10 वर्षों में, लाखों लोगों को विकलांगता और गरीबी से बचाया गया है, आधुनिक सार्वजनिक स्वास्थ्य में सबसे प्रभावी वैश्विक साझेदारी के लिए मैं डब्लूएचओ को धन्यवाद देता हूं।"

डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार अब जब अधिक संख्या में देश एनटीडी समाप्त कर रहे हैं, उपचार की आवश्यकता वाले लोगों की संख्या वर्ष 2010 के दो बिलियन से कम हो कर वर्ष 2015 में 1.6 बिलियन हुआ है।

वर्ष 2010 के बाद से बांग्लादेश, ब्राजील, चीन, मिस्र, भारत, इंडोनेशिया, पाकिस्तान और तंजानिया में उपचार के लिए आवश्यक लोगों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा हुई है।

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 21 अप्रैल 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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