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सिर्फ 35 वर्ष पुरानी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) वर्ष 2014 के आम चुनावों में पूरी तरह हावी रही है। दूसरी तरफ 130 वर्ष पुरानी कांग्रेस को इसके इतिहास में अब तक की सबसे कम सीटें हासिल हुई हैं। यह देखते हुए ऐसा सोचना मुष्किल नहीं है कि कांग्रेस को सीमित कर दिया गया है और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना सच होने को ही है।

दिक्कत यह है कि आंकड़े ऐसा नहीं कहते।

कांग्रेस ने सत्ता जरूर गंवाई है, लेकिन उसके मतदाताओं का भरोसा उस पर से उठा नहीं है। भाजपा की लोकप्रियता में जो कुछ भी बढ़ोतरी हुई है, वह दूसरे दलों के खुद के नुकसान का फल है।और यह सब भारतीय लोकतंत्र की उस व्यवस्था का नतीजा है, जिसमें जो भी उम्मीदवार सबसे ज्यादा वोट हासिल करता है वह जीत जाता है। ऐसे में अगर आखिरी वक्त पर भी किसी तरह से कुछ मतदाताओं को पाला बदलने के लिए राजी कर लिया जाए, तो चुनाव नतीजे बदल जाते हैं।

राजस्थान विधानसभा चुनाव में सीट और वोट हिस्सेदारी का समीकरण (ग्राफ के साथ)

वर्ष 2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 33.7 फीसदी वोट हासिल कर भी महज 21 सीटों तक सीमित रह गई। दूसरी तरफ वर्ष 2008 के चुनाव में उसे 36.8 फीसदी वोट ही मिले थे, फिर भी वह 96 सीटें हासिल करने में कामयाब रही।

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीट और वोट हिस्सेदारी का समीकरण (ग्राफ के साथ)

मध्य प्रदेष में कांग्रेस वर्ष 2008 के मुकाबले वर्ष 2013 में 13 सीटें गंवाकर 58 पर सिमट गई। लेकिन उसकी वोट हिस्सेदारी में 4.7 फीसदी का इजाफा हुआ। दूसरी तरफ अन्य दलों को हासिल मत प्रतिशत में जबर्दस्त गिरावट दिखी और यह भी साफ दिखा कि भाजपा ने सीधे-सीधे उन्हीं दलों के मतदाताओं में सेंध लगाई।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में सीट और वोट हिस्सेदारी का समीकरण (ग्राफ के साथ)

दिल्ली में कांग्रेस का वोट प्रतिषत हमेषा 40 से ज्यादा रहा है। लेकिन वर्ष 2013 में यह गिरकर 24.7 प्रतिषत रह गई। हालांकि इस गिरावट के पीछे आम आदमी पार्टी (आप) के उदय का भी हाथ रहा, जिसने उस वर्ष दिल्ली में खासी लोकप्रियता पाई।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में सीट और वोट हिस्सेदारी का समीकरण (ग्राफ के साथ)

जम्मू और कश्मीर में वर्ष 2008 में कांग्रेस की वोट हिस्सेदारी 17.8 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2014 में बढ़कर 18 प्रतिशत हो गई। यहां भी भाजपा ने अन्य दलों के मतदाताओं में सेंध लगाकर ही अपनी अब तक की सबसे ज्यादा 23 प्रतिषत वोट हिस्सेदारी हासिल करने में कामयाब रही।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सीट और वोट हिस्सेदारी का समीकरण (ग्राफ के साथ)

महाराष्ट्र में भी वर्ष 2014 में कांग्रेस अपनी सबसे कम सीट संख्या हासिल कर पाई। लेकिन उसकी वोट हिस्सेदारी में सिर्फ 2.9 प्रतिशत की कमी आई थी। यहां भी भाजपा ने अन्य दलों में सेंध लगाकर सीटें बढ़ाने में कामयाबी पाई।हरियाणा जरूर एक अपवाद रहा, जहां कांग्रेस की वोट हिस्सेदारी और सीट संख्या दोनों में जबर्दस्त गिरावट देखने में आई।

(सभी आंकड़े भारतीय निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से)

(देवनिक साहा द पॉलिटिकल इंडियन के डाटा एडिटर हैं)

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