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16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली की छात्रा के साथ बरबरतम गैंग बलात्कार में आरोपित एक किशोर (मुंह तौलिये से ढका) को बाल अपराध न्यालय से बाहर ले जाती पुलिस अगस्त 2015 में

बाल अपराधों में बलात्कारों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि, विभिन्न प्रकार के अपराधों में आरोपित किए गए 86% बाल अपराधी गरीब प्रष्ठभूमि से, पिछले दस वर्षों में जुटाये गए आंकड़ों में पाया गया कि केवल 6% होमलेस और कुल बाल अपराधों में 6% ही लड़कियां आरोपित पायी गयी हैं|

पिछले बीते दशक (2003 से 2013) में बाल अपराधों में गिरफ्तारी 16 से 18 आयु के वर्ग में आरोपित मामलों 60% की वृद्धि पायी गयी , उक्त आंकड़ें भारत के गृह मंत्रालाय के आधीन कार्यरत राष्ट्रीय अपराध रेकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) से संकलित |

उक्त पीरियड में बलात्कार में आरोपित किशोर अपराधियों की संख्या में अप्रत्याशित 288% की चिन्हित वृद्धि हुई और चोरी के अपराध में गिरफ्तारी की संख्या में वृद्धि ६८% पायी गयी आंकड़ों के अनुसार|

किशोर वय अपराधियों के बारे में एक प्रचलित मनोवैज्ञानिक विश्वास है कि वो ज्यादातर ऐसे परिवारों से जिनके माता पिता न हों या मर गए हों | या माता पिता अलग-अलग रहते हों लेकिन इन विश्वासों को तोड़ते हुए आंकड़ें बताते हैं कि 68 % बच्चे अपने माता पिता के साथ रहे – वर्ष 2013 के आंकड़ों के अनुसार| और उसमें से आधे गरीब परिवार से थे|

उपरोक्त आंकड़ों से कुछ ऐसे निष्कर्ष निकलते हैं – जो कि एक नयी – राष्ट्रीय बहस को बल प्रदान कर सकते हैं और ये बहुत जरूरी हो गया है | इस समय भारत की संसद में एक कैबिनेट मीटिंग लगभग यह कानून पास करने जा रही है जिसमें किशोर अपराधियों को “वयस्क” कि तरह माना जावे और सजा दी जावे |

इस तरह कि मांग उस समय उठी जब 17 वर्ष के किशोर अपराधी को बाल अपराध न्यालाय से तीन वर्ष की सजा सुनाई गयी और उसके साथ पाँच अन्य वयस्क अपराधियों को जिन्होने उस किशोर के साथ मिलकर – 16 दिसम्बर 2012 में दिल्ली की एक फिजियोथेरेपी की छात्रा के साथ चलती बस में बरबरतम रूप से गैंग बलात्कार किया |

प्रस्तावित अधिनियम पास होने के लिए विचाराधीन है जिसमें कहा गया कि इस तरह के बर बर अपराधो में लिप्त पाये गए – बाल अपराधी जिनकी उम्र 16 से 18 वर्ष के बीच में हो – उनको पहले किशोर अपराध बोर्ड के सामने पेश किया जायेगा – तब अगर बोर्ड सदस्य यह निर्णय देते हैं कि इस अपराधी वयस्क – अपराध की श्रेणी में आता है और इस कारण से उसको संदिग्ध वयस्क मानकर सामान्य कानून के अनुसार दंडित किया जाना चाहिए |

माता पिता के साथ रह रहे किशोरों ने ज्यादा अपराध किए बनिस्पत उनके जो अनाथ किशोर थे |

एनसीआरबी की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013 में कुल गिरफ्तार हुए 35,244 किशोर अपराधियों में से 80% ऐसे अपराधी थे जो कि अपने माँ बाप के साथ ही रह रहे थे |

वर्ष 2013 में २,४६२ यानि कि मात्र 6%किशोर अपराधी और बेघर थे और 5800 अपने माता पिता के साथ रह रहे थे|

वर्ष 2013 में हुए कुल गिरफ्तार आरोपी किशोर में 77% अपराधी गरीब परिवार से थे, जिनकी वार्षिक आय लगभग 50000 के आस पास थी | 8392 किशोर अपराधी निरक्षर पाये गए और 13,984प्राइमरी स्कूल तक गए थे |

कब गिरफ्तार किए गए बाल अपराधी कानून की पकड़ से बाहर हो जाते हैं ?

एन सीआर बी के अनुसार भारतीय दण्ड संहिता और स्थानीय विशेष अधिनियमों के अनुसार 379,283 किशोर उम्र के बच्चों को गिरफ्तार किया गया वर्ष 2003-13 के बीच |

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Source: NCRB

वर्ष 2013 में 16 -18 आयु के बच्चे जिनकी संख्या 28,230थी , भारतीय दंड संहिता (आई० पी० सी०) के और स्थानीय विशेष अधिनायमों के तहत गिरफ्तार किए गए जो कुल भारत में किशोर दण्ड अधिनियम संहिता के अंतर्गत गिरफ्तार हुए का 66% है |

2013 में कुल बाल दण्ड अधिनियम के अंतर्गत गिरफ्तार हुए बच्चों 43,506 कि संख्या में बालिका अपराधियों कि संख्या 1867(4.3%)थी गत दशक (2003 से 2013) के दौरान 35,7935 लड़के और 21,348 (लड़कियां) को गिरफ्तार किया गया |

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र बाल अपराध के क्षेत्र गिरफ्तारी म्रें सबसे आगे हैं

गत दशक (2003-13) के दौरान मध्य प्रदेश में बाल अपराधियों कि संख्या 75,037 और महाराष्ट्र में 72,154 की गिरफ्तारी हुई |

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Source: NCRB/Data.gov.in

वर्ष 2013 में 43,506 कुल बाल अपराधी, उसमें महाराष्ट्र ने 8,012 गिरफ्तारी में प्रथम स्थान रहा , उसके बाद मध्य प्रदेश (7,365) और तमिलनाडु (3,142), आंध्र प्रदेश (3,133), और राजस्थान (2,882) |

भारत में सबसे तीव्र गति से बढ़ता अपराध : बलात्कार |

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श्रोत : एन0सी0आर0बी0/ डाटा : gov.in : उक्त दर्शित आंकड़ें कुल मिलाकर भारतीय दण्ड संहिता sec-143-145,447-151,153,153A,153B,157,158,160/ संदर्भित सांप्रदायिक दंगे के अंतर्गत गिरफ्तार हुए लोगों के बारे में है | उक्त गिरफ्तार लोगों के आंकड़ों में वो लोग शामिल हैं जिनको धारा 354 ( महिलाओं पर उनकी अस्मिता को छेड़ने के नियोजित इरादों से किया गया आक्रामक आधात और भारतीय दण्डसंहिता कि धारा 509 (महिलाओं कि अस्मिता का अपमान) |

जैसे कि इंडियास्पेंड नें पहले ही रिपोर्ट किया कि बलात्कार के मामलों में हुई कुल गिरफ्तारियाँ वर्ष 2003 में 535 से 2074 जिसमे 288% के चिंता जनक वृद्धि हुई है | उक्त दशक (2003-13) के दौरान कुल बलात्कार के मामलों में गिरफ्तार हुए लोगों कि संख्या 10,693 थी |

उसी तरह आई0 पी0सी0 की धारा 354 महिलाओं पर उनकी अस्मिता के उपर आक्रमण के इरादे और धारा 509 महिलाओं के अस्मिता के अपमान को लेकर हुई कुल गिरफ्तारियों में 117% की वृद्धि दर्ज हुई , पिछले वर्ष की तुलना में |

भारत की संसद की ओर

संसद में बहस का मुद्दा बनने जा रहा है कि, क्या एक किशोर अपराधी को वयस्क (Adult) करार दिया जा सकता है ?

बहस का मुद्दा यह होने जा रहा है कि क्या गंभीर अपराधियों के अभियोजन में जो वयस्क की उम्र कि सीमा 21 वर्ष और उसी तरह के गंभीर अपराध जब बाल अपराधियों द्वारा किए जाते हैं तो उनकी आयु सीमा 16-18 मानने के कारण प्रास्ताविक दण्ड की मात्रा भी बदल जाती है- तो क्या समान गंभीर अपराध के क्षेत्र में आयु का अंतर समाप्त कर दिया जाए यानि की 16-18 वर्ष के बीच आयु वर्ग के बाल अपराधियों को भी वयस्क ही क्यों ना मान लिया जाए ?

उक्त प्रास्तावित संसोधन बाल अपराध न्यायालय बोर्ड द्वारा (16-18) किए गए संगीन अपराधों में प्राथमिक एंक्वायरी के पीरियड को भी बढ़ाने का प्रस्ताव रखने जा रहा है |

उक्त संसोधित बाल अपराध अधिनियम (बाल रक्षा और सहायता बिल – 2014) को संसद के वर्तमान सेशन में रखा जाएगा |

अमेरिका, चीन और यूनाइटेड किंगडम में किशोर

युनाइटेड स्टेट्स: अमेरिका में बाल अपराध अधिनियम में वर्णित निम्नतम और उच्चतम आयु की सीमा विभिन्न राज्यों में अलग-अलग हैं | यहाँ के ज्यादातर राज्यों में निम्नतम उम्र की सीमा घोषित नहीं | यानि की not specified (ns) और उच्चतम आयु सीमा 17 हैं | उदाहरण के लिए कैलिफोर्निया में निम्नतम उम्र घोषित नहीं (NS), न्यूयोर्क में निम्नतम उम्र 7, उच्चतम – 15, टेक्सक्स में निम्नतम 10, उच्चतम 16 है |

चीन: चाइनीस कानून में सामान्य अपराधों में आरोपित करने की जिम्मेदारी की उच्चतम आयु सीमा 16 वर्ष है | चीन में जान – बुझ कर गंभीर आपराधिक कार्य जैसे नर हत्या , बलात्कार और डकैती करने की आपराधिक ज़िम्मेदारी 14 और 16 आयु वर्ग के किशोरों पर मान्य है |

युनाइटेड किंगडम: इंग्लैंड और वेल्स में किशोर अपराध अधिनियम के अनुसार दंडित करने की न्यूनतम आयु 10 है | इस उम्र से कम आयु वाले किशोरों को अपराधिक इच्छा करने में अक्षम माना जाता है | इंग्लैंड और वेल्स में दंडित किशोरों को वयस्क अपराधियों के साथ जेल में रखना अमान्य है |यहा पर कानूनन दंडित किशोरों को पुलिस संरक्षण में नहीं दिया जाता बल्कि स्थानीय प्रसासन द्वारा संचालित बाल किशोर होमस में रखा जाता है|


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