गुवाहाटी,श्रीनगर अधिकतम भूकंपीय खतरों के क्षेत्र
एक आदमी नेपाल में शनिवार को आए भूकंप में विनाश हुए क्षेत्रों में भक्तपुर के क्षतिग्रस्त मकानों से गुजरता हुआ|
सरकारी आंकड़ों के अनुसार गुहाटी और श्रीनगर सबसे ज्यादा संभावित भूकंप से प्रभावित होने वाले क्षेत्र हैं और उनके साथ भारत के 36 और शहर – जो भूकंप के प्रति अति- संवेदन शीलता के विभिन्न मानकों के अनुसार चिन्नहित किए गए हैं |
गुहाटी और श्रीनगर – zone – v, यानि की अति तीव्र सक्रिय क्षेत्र – very severe intensity zone, भूकंप के संदर्भ में चिन्हित किए गए हैं |
इंडियन ब्योरो ऑफ स्टैण्डर्ड्स द्वारा जारी और नेशनल डिसस्टर मैंनेजमेंट (NDM) द्वारा किए गए कथन में भूकंप क्षेत्रमापी ग्राप्फ़ में दर्शाया गया है, कि कुल 8 भारतीय शहरों में दिल्ली मिलाकर , zone – v यानि की ‘ तीव्र सक्रियता के क्षेत्र – severe intensity zone के अंतर्गत आते हैं | अन्य 30 शहर ‘मध्यम सक्रियता के क्षेत्र – medium intensity zone – zone iii – के अंदर चिन्हित किए गए हैं |
निम्न मैप भारत के 38 चिन्हित शहर जो कि भूकंप के प्रति संवेदनशील हैं, उनको दर्शाता है |
सोर्स : नेशनल डीजेस्टर मैनेजमेंट |
उक्त नेशनल डीजेस्टर मैनेजमेंट की रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में बहुत से अति-घने बसे जनसंख्या वाले शहर हैं , जिसमें भारत की राजधानी दिल्ली प्रमुख है , जो कि उच्च भूकंप सक्रियता के क्षेत्र में स्थित है | यह चिंता का विषय है कि इन शहरो के बड़े भू-भाग पर निर्मित बिल्डिंग्स भूकंपरोधी नहीं हैं | इस प्रकार यह स्पस्ट है की इन शहरों में किसी संभावित भूकंप से भारी जन-धन की हानि होगी |
नेपाल के भूकंप (2015) : भारत को भूकंप संवेदनशील क्षेत्रों के प्रति अत्यंत जागरूक करने वाला |
नेपाल के भूकंप , जिसने अब तक 3000 लोगों की जान ले लिया है और NDM के आंकड़े भारत के अधिकांश बड़े शहरों की भूकंप के प्रति संवेदनशीलता की त्रासद याद दिलाते हैं और रहेंगे |
इंडियास्पेंड नें अभी हाल में रिपोर्ट किया था कि भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 60% भू-क्षेत्र भूकंपों के प्रति संवेदनशील है |
भू वैज्ञानिकों के अनुसार 50 मिल्यन वर्ष यानि की 500 करोड़ वर्ष पहले आज का भारत एक द्वीप था जो की गोंडवाना नाम के महाद्वीप से टूटकर अलग होता हुआ – यूरेसियन मेनलैंड मैं जा घुसा , साथ ही साथ नवजात हिमालय पर्वत का निर्माण करता हुआ |
शायद स्मृति धरोहर के रूप में आज भी छत्तीसगढ़ को लोग कभी – कभी गोंडवाना के नाम से बुलाते हैं |
पृथ्वी पर मौजूदा समस्त जमीन , कुछ टेक्टोनिक प्लेट्स के ऊपर अवस्थित है – ये प्लेट्स एक बहुत बड़ी आंतरिक चट्टानी पर्त पर ‘ उतराती रहती हैं ’ | भारतीय टेक्टोनिक प्लेट्स निरंतर यूरेसियन प्लेटों से घिसते हुए टकराती रहती हैं – और जब यह टकराहट तीव्र हो जाती है तो उत्तरी भारत और हिमालय क्षेत्र में भूकंप आ जाते हैं |
भारत प्रत्येक वर्ष लगभग 5 c.m. एशिया के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की ओर बढ़ जाता है जिसके कारण भूतलीय दाब बढ़कर – अत्यंत विशाल मात्रा में ऊर्जा का विसर्जन करता है, जो कि भूकंप के रूप में यहाँ वहाँ आते रहते हैं |
भूकंपीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों की मॉनिटरिंग संभव – पर भूकंप की भविष्यवाणी अब तक असंभव |
भारत और विदेशों में बहुत से सेंसर यंत्र लगे है जो कि भूतलीय टेक्टोनिक प्लेटों की कंपन्न युक्त सक्रियता को निरंतर रेकॉर्ड करते रहते हैं पर तब भी भूकंप आने की भविष्यवाणी असंभव है | इस तरह की बहुत सी वैज्ञानिक बातों का प्रकटन जागरूक लोगों ने ट्विटर और व्हाट्स ऐप्प्स पर दिये संदेसों में कहा है |
The five ridiculous rumors circulated on social media and WhatsApp after the #NepalEarthquake http://t.co/oHRSYPYNJ3 pic.twitter.com/YIN1ZWO9cW
— The Quint (@TheQuint) April 28, 2015
आज के मनुष्य ज्ञान के अनुसार भूकंपीय संवेदनशील क्षेत्रों के निम्न आंकड़े उपलब्ध हैं : -
गुजरात और उत्तर प्रदेश, 2 अत्यंत भूकंपीय संवेदनशील राज्य हैं , जिनमें प्रत्येक में 6 शहर अत्यंत भूकंप संवेदित हैं | दोनों राज्यों में एक-एक शहर zone – iv और पाँच – पाँच शहर zone iii के अंतर्गत हैं | महाराष्ट्र में 4 शहर zone iii में आते हैं |
इंडियन मेटेओरोलीजिकल डिपार्टमेंट (आई०एम०डी०) और अन्य कई सहयोगी संस्थानों के सहयोग से प्राप्त आंकड़ों का अध्ययन करके ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्डस (आईएस-१८९३-पार्ट-१:२००२) ने भारत को चार भूकंपीय संवेदित क्षेत्र – II, III, IV और V में विभाजित किया है|
मोडीफाइड मरकल्ली (एमएम) सक्रियता स्केल जो कि पृथ्वी पर आने वाले भूकंप की विभिन्न स्तरों पर नापने के लिए एक मेजरिग का मान्य पैमाना या स्केल है| यह पैमाना भारत के भूकंप संवेदनशील क्षेत्रों में निरंतर कंपन्नों को रेकॉर्ड कर बताता है |
Intensity Of Earthquakes In Different Zones | ||
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Seismic Zone | Intensity on Modified Mercalli scale | % Of Total Area |
Zone II (Low intensity zone) | VI (or less) | 43 |
Zone III (Moderate intensity zone) | VII | 27 |
Zone IV (Severe intensity zone) | VIII | 18 |
Zone V (Very severe intensity zone) | IX (and above) | 12 |
भू-विज्ञान मंत्रालाय के अंतर्गत आने और संचालित होने वाले भारत के 42 डिजिटल भूकंपन्न ग्राफ स्टेशनस जिनका कार्य भूकंपों की तीव्रता और भूकंपीय सक्रियता को नापना है| देश में वर्ष 2015-16 के दौरान 78 नए डिजिटल भू ग्राफ स्टेशन स्थापित होने की संभावना है|
अब हम 19वीं शताब्दी से आए हुए कुछ मुख्य भूकंपों जो कि भारत में घटित हुए के बारे में बता रहें हैं |
स्रोत: इंडियन मेटेओरोलीजिकल डिपार्टमेंट
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एपिदेमिओलोजी ऑफ डिजास्टर्स कि रिपोर्ट के अनुसार चीन, अमेरिका, फिलीपींस और भारत विश्व के पाँच देशों में से है जोकि पिछले दस वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं से घिरते रहें हैं|
No country without risk of being hit by natural disasters. #earthquakes biggest killer in Asia http://t.co/GRu68HeHpg pic.twitter.com/oKdi3UeZuq— Syed Nazakat (@SyedNazakat) April 27, 2015
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