kashmir_620

अब तक सभी उम्र के लोगों में केरल में जिंदगी की उम्मीद सबसे ज्यादा थी, लेकिन अब वह बात नहीं रही। इस मामले में केरल पीछे हो गया है। जनगणना आंकड़ों के संरक्षक भारत के महापंजीयक (आरजीआई) द्वारा 19 अक्टूबर, 2016 को जारी आंकड़ों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में जीवन की आशा सर्वाधिक है। ताजा आंकड़े कहते हैं कि भारत में जन्म के समय जीवन आशा को छोड़ दें तो अन्य सभी उम्र वर्ग के लिए सबसे ज्यादा जीवन की उम्मीद जम्मू और कश्मीर में दर्ज की गई है।

आरजीआई ने अलग अलग उम्र के लिए राज्य स्तरीय जीवन प्रत्याशा प्रकाशित की है। जीने की क्षमता के आधार पर निर्धारित वह औसत समय सीमा, जितनी की कोई व्यक्ति जीने की उम्मीद कर सकता है, उसे ही जीवन प्रत्याशा कहते हैं। प्रकाशित आंकड़ों में 0 (जन्म के समय), 1, 5, 10, 20, 30, 40, 50, 60 और 70 आयु वर्ग को शामिल किया गया है। याद दिला दें कि 2010 तक भारत में जन्म के समय उच्चतम जीवन प्रत्याशा के साथ सभी आयु वर्गों में केरल का स्थान सबसे ऊपर हुआ करता था।

ताजा आंकड़ों के अनुसार, इन श्रेणियों में से अधिकांश में केरल की जगह जम्मू-कश्मीर ने ले ली है। पिछले हफ्ते जारी आरजीआई के नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि विशेष रूप से, जन्म के समय जीवन प्रत्याशा को छोड़कर, हर आयु वर्ग के लिए केरल की तुलना में जम्मू-कश्मीर की जीवन प्रत्याशा अधिक है। गौर हो कि, आरजीआई के आंकड़े 2010 से 2014 के बीच किए सर्वेक्षणों पर आधारित हैं।

चयनित आयु के समय जीवन प्रत्याशा: केरल, जम्मू और कश्मीर

Source: Sample Registration System, 2016.

भारत की सांख्यिकीय प्रणाली 15 "छोटे राज्यों” और गोवा जैसे संघ शासित प्रदेशों (यूटीएस) पर जीवन प्रत्याशा संख्या प्रदान नहीं करते हैं। यानि कुल 21 "बड़े" राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए आंकड़े मौजूद हैं।

एसआरएस के अनुसार, अभी भी जन्म के समय सबसे ज्यादा कुल जीवन प्रत्याशा केरल की है। यह आंकड़े 74.9 वर्ष पर पुरुषों के लिए 72 और महिलाओं के लिए 77.8 है। इस संबंध में दिल्ली दूसरे स्थान पर है। दिल्ली के लिए यह आंकड़े 73.2 वर्ष पर पुरुषों के लिए 72 वर्ष और महिलाओं के लिए 74.7 वर्ष है। तीसरे स्थान पर जम्मू एवं कश्मीर है जहां 2006-10 के दौरान भी जन्म के समय जीवन प्रत्याशा दूसरे नंबर पर थी। तब दिल्ली को विश्लेषण में शामिल नहीं किया गया था। इसके बाद ही दिल्ली "बड़े राज्य" की सूची में शामिल हुई थी।

क्या आप हैरान हैं?

एक दिन मैंने भारत की जनगणना का वो वेब पेज खोला, जो 2010-14 के लिए एसआरएस-आधारित संक्षिप्त जीवन तालिका रखती है। पहली जिस पंक्ति पर मेरी नजर गई, वह थी "आप हैरान हैं?"। पहले मुझे लगा कि शायद यह किसी अधिकारी द्वारा की गई शरारत है।

जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि स्क्रीन पर लिखे शब्द 90 के दशक के कंप्यूटर वायरस, जिसे शंकर वायरस कहा जाता है, का नतीजा था। यह वायरस अब भी सरकारी दस्तावेजों के साथ खेल रहा था। सभी तरह की संभावना के साथ आरजीआई कार्यालय पृथ्वी पर उन स्थानों में से एक है, जहां कंप्यूटर नेटवर्क पर आप शंकर वायरस देख सकेंगें।

अक्सर हम ऐसा सोचते हैं कि केरल, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे अधिक समृद्ध राज्य, जहां अपेक्षाकृत उच्च मानव विकास दर है, वह जीवन प्रत्याशा या शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) जैसे समग्र स्वास्थ्य संकेतक के संदर्भ में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।

जन्म के समय कुल जीवन प्रत्याशा के मामले में जम्मू-कश्मीर तीसरे स्थान पर क्यों है? इसका जवाब आईएमआर (एक वर्ष के भीतर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर बच्चों की मृत्यु) में निहित है।

केरल का आईएमआर 12 है, जबकि जम्मू-कश्मीर का आईएमआर 34 है। जम्मू-कश्मीर का आईएमआर 39 के राष्ट्रीय औसत के करीब है। यदि आप आयु समूह अनुसार होने वाली मौतों के प्रतिशत वितरण पर विचार करते हैं, तो जम्मू-कश्मीर में कुल मृत्यु दर में शिशु मृत्यु (1 वर्ष से पहले मृत्यु)11.3 फीसदी की हिस्सेदारी है। यह आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर पर औसत शिशु मृत्यु दर 12.3 फीसदी के करीब है।यदि केरल से तुलना की जाए तो केरल में सभी मौतों में शिशु मृत्यु की हिस्सेदारी 2.6 फीसदी है।

शिशु एवं बाल मृत्यु दर, 2009-14

Source: Sample Registration System, Census of IndiaIMR: Infant Mortality Rate (Infant deaths per 1,000 live births)U5MR: Under 5 Mortality Rate (Number of children who die by the age of five, per 1,000 live births)

छोटे बच्चों के आयु वर्ग (1-4 वर्ष) के भीतर, भारत में होने वाली मौतों में सबसे कम अनुपात जम्मू-कश्मीर का है। जम्मू-कश्मीर के लिए ये आंकड़े सभी मौतों में 0.1 फीसदी का है। केरल के लिए यही आंकड़ा 0.4 फीसदी का है। विशेष रूप से, 1-4 वर्ष आयु वर्ग में मरने वाले बच्चों का अनुपात कम है। जम्मू-कश्मीर के उच्च शिशु मृत्यु दर को व्यवस्थित अध्ययन के माध्यम से और अधिक बारीकी से देखा जाना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के लिए जल्द ही रिलीज होने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) -4 का परिणाम इस स्थिति पर ध्यान दिला सकता है।

जम्मू-कश्मीर में उच्च शिशु मृत्यु दर एक विसंगति है?

यह एक तरह की विसंगति ही है। सभी भारतीय राज्यों में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 1 साल की उम्र में मौजूद जीवन प्रत्याशा से कम है। इस संबंध में केरल अपवाद है। दूसरे शब्दों में, उच्च शिशु मृत्यु दर, जन्म के समय समग्र जीवन प्रत्याशा को नीचे खींच लेता है। यहां, जम्मू एवं कश्मीर का उदाहरण लिया जा सकता है।

क्योंकि यह 0 उम्र के अलावा अन्य श्रेणी में जीवन प्रत्याशा के मामले में केरल को पीछे छोड़ता है। यह अब भी केरल और दिल्ली के बाद तीसरे स्थान पर है। याद रहे, दिल्ली की तुलना में भी जम्मू-कश्मीर में महिलाओं के जन्म के समय जीवन प्रत्याशा उच्च है। दिल्ली के लिए यह आंकड़े 74.7 है, जबकि जम्मू-कश्मीर के लिए यह 74.9 है।

केरल की तुलना में जम्मू-कश्मीर की अल्प जीत जीवन प्रत्याशा आईएमआर और समग्र स्वास्थ्य की स्थिति के संकेतक के बारे में दो बातें कहती है। पहली बात यह कि जन्म के समय जीवन प्रत्याशा समग्र स्वास्थ्य की स्थिति या एक समाज की मृत्यु दर की एक पूरी तस्वीर प्रदान नहीं करता है। दूसरी बात यह कि सामान्य स्वास्थ्य की स्थिति के सबसे लोकप्रिय उपायों में से एक होने के बावजूद, आईएमआर हमेशा समग्र स्वास्थ्य की स्थिति या मृत्यु दर का एक अच्छा संकेत नहीं है।

क्या लंबा जीने का मतलब स्वस्थ्य रहना है? यह वह सवाल है जिसे 2014 में ‘इंस्टिट्युट फॉर सोशल एंड इकोनोमिक चेंज’ द्वारा किए गए अध्ययन से कुछ हद तक इस सवाल का जवाब मिलता है। अध्ययन में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण अधिकारी द्वारा दिए गए रोगियों की संख्या के साथ एसआरएस द्वारा दिए गए मृत्यु दर के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। नतीजे प्रोत्साहित करने वाले नहीं हैं। पाया गया कि भारत में कुछ खास रोगों के कारण पुरुषों ने 7.5 और महिलाओं में 9.2 औसत स्वस्थ वर्ष खो दिया है।

अध्ययन के अनुसार, औसतन पुरुषों के 19.7 स्वस्थ वर्ष और महिलाओं को 24.6 स्वस्थ वर्ष रोगों की भेंट चढ़ गए।कम आईएमआर और जन्म के समय एक उच्च जीवन प्रत्याशा केरल को एक स्वस्थ समाज नहीं बनाता है। भारत में मधुमेह और जीवन शैली से जुड़े रोग तेजी से फैल रहे हैं। केरल में भी इसका असर हुआ है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने अक्टूबर 2014 में बताया है। जम्मू-कश्मीर में रोगों के प्रमुख समहों के कारण पुरुषों में 9.1 और महिलाओं में 10.2 औसत स्वस्थ साल खो दिया है।

जम्मू एवं कश्मीर और केरल की यह गुत्थी मानव विकास पर की राय के बारे में भी कुछ कहती है:

  • जम्मू-कश्मीर में, जीवन के संघर्ष और राजनीतिक विवाद के बावजूद आम जनता में वहां भारत का सर्वश्रेष्ठ जीवन प्रत्याशा है।
  • देश भर में सर्वश्रेष्ठ महिला जीवन प्रत्याशा होने के बावजूद, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर दोनों का देश में सबसे कम लिंग अनुपात है।
  • "गॉड्स ऑफ ओन कंट्री" के खिताब के साथ-साथ कई प्रमुख मानव विकास प्रतियोगिताएं जीतने के बावजूद केरल बहुत स्वस्थ जगह नहीं है।

(राजनीतिक और आर्थिक टीकाकार कुरियन स्वास्थ्य पर लगातार लिखते रहे हैं। वह नई दिल्ली के ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में पब्लिक हेल्थ के फेलो हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 25 अक्तूबर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

हम फीडबैक का स्वागत करते हैं। हमसे respond@indiaspend.org पर संपर्क किया जा सकता है। हम भाषा और व्याकरण के लिए प्रतिक्रियाओं को संपादित करने का अधिकार रखते हैं।

__________________________________________________________________

"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.com एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :