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2016 में सूखे से तबाह हुए 11 राज्यों में से सात - कर्नाटक, आंध्र प्रदेश , तेलंगाना , महाराष्ट्र, गुजरात , झारखंड और छत्तीसगढ़ – राज्यों के जलाशयों में , जून 2016 में औसत से कम पानी पाया गया है।

केंद्रीय जल आयोग के साथ जलाशय आंकड़ों के अनुसार, जून के अंत तक 11 में से चार राज्यों में बांध जलाशयों का स्तर, अपनी क्षमता की तुलना में 10 फीसदी से अधिक नहीं है। और यह स्थिति इस तथ्य के बावजूद है कि 11 में से आठ राज्यों में सामान्य वर्षा हुई है; महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड में वर्षा सामान्य से 30 फीसदी कम हुई है।

तेलंगना के जलाशयों में अपनी क्षमता की तुलना में 2 फीसदी पानी है, महाराष्ट्र में 5.6 फीसदी, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में 9.5 फीसदी, जिसका अर्थ है कि दक्षिण मध्य भारत में विशेष रुप से पानी की कमी है। महाराष्ट्र, 5.6 फीसदी क्षमता वाले जलाशयों और जून में बारिश में 33 फीसदी की कमी के साथ, की जून में स्थिति सबसे बुरी रही है।

2016 की स्थिति, 2009 में पड़े सूखे की याद दिलाते हैं जिसने मुद्रास्फीति को दोहरे अंक में पहुंचा कर भारत की अर्थव्यवस्था को पलटा था। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अगले तीन महीने में मानसून की कैसी प्रगति होती है।

हालांकि,महाराष्ट्र के मध्य और दक्षिणी मराठवाड़ा क्षेत्रों में उचित बारिश होने की सूचना मिली है लेकिन पारंपरिक रूप से सूखा प्रभावित क्षेत्र में जलाशय स्तर अपनी क्षमता का 1 फीसदी ही है - जैसा कि पिछले एक महीने से है – एक अभूतपूर्व स्थिति है।

11 सूखा प्रभावित राज्यों में से मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश चार राज्य हैं जहां सामान्य वर्षा की रिपोर्ट की गई है।

सात सूखाग्रस्त राज्यों में है कम पानी

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राज्यों में सूखा घोषित ज़िले

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Source: Central Water Commission

दक्षिण पश्चिम मानसून ने भारत में आठ दिन देरी से दस्तक दी है,1 जून की बजाय 8 जून , 2016 को केरल पहुंचा है। सामान्य से 10 दिन बाद मानसून से 20 जून को मुंबई के दरवाज़े तक पहुंचा है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश, सूखा प्रभावित राज्यों है जहां 23 जून तक सामान्य से अधिक वर्षा हुई है।

सबसे अधिक सूखा प्रभावित राज्यों में सामान्य से कम वर्षा

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Source: Hydromet, India Meteorological Department; unit - mm)

जबकि मानसून की बारिश के दक्षिणी और पूर्वी भारत तक नहीं पहुंचा है और अधिकतर केंद्रीय मैदानों, गुजरात और राजस्थान में बहुत कम या न के बराबर बारिश हुई है।

जून 2015 में, सामान्य से अधिक बारिश होने के बावजूद, 2015 मानसून के मौसम में सभी राज्यों ने कम बारिश होने की सूचना दी है जो यह दर्शाता है कि जून की वर्षा भविष्य का सूचक नहीं है।

2016 में असमान वर्षा वितरण

Source: Hydromet, India Meteorological Department.

यदि दो पानी संकेतक – जलाशय का स्तर और वर्षा (जून में) – को एकसाथ लिया जाए, तो महाराष्ट्र, जैसा कि हमने बताया, भारत में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है।

आंध्र प्रदेश और कर्नाटक, दोनों समान रूप से सूखे से प्रभावित हैं और जलाशयों में 10 फीसदी से कम पानी होने के साथ सामान्य से अधिक जून वर्षा से लाभान्वित किया है।

आठ साल में महाराष्ट्र के जलाशयों में सबसे कम पानी का स्तर : सरकार

हालांकि,सीडब्ल्यूसी डेटा में महाराष्ट्र में केवल प्रमुख जलाशयों को शामिल किया गया है, राज्य सरकार ने जल संसाधन विभाग महाराष्ट्र के बांधों में पानी के स्तर के क्षमता का 9 फीसदी डालता है, जो आठ वर्षों में सबसे कम है।

महाराष्ट्र जलाशय संग्रहण सबसे खराब स्तर पर

2016 का महाराष्ट्र जून वर्षा, 2014 के जून वर्षा से बेहतर

2014 में जून वर्षा सामान्य से एक चौथाई था; 2016 में, यह सामान्य से आधी थी। 2009 में, राज्य के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र, विदर्भ क्षेत्र में सबसे बद्तर स्थिति रिकॉर्ड की गई है, जो किसानों के लिए आत्महत्या का कारण बन सकता है।

रंजन केलकर, भारत मौसम विज्ञान विभाग के पूर्व महानिदेशक (आईएमडी) ने इंडियास्पेंड से बात करते हुए बताया कि,“अगर हम चार महीने की वर्षा पर विचार करें तो - जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर – जो कृषि के लिए महत्वपूर्ण है, मानसून में देरी होने से निस्संदेह रुप से जून में वर्षा कम होगी। यह हमें शेष तीन महीनों में वर्षा के बारे में कुछ नहीं कहता है; यह सब इस पर निर्भर करता है कि कितना मजबूत मानसून की हवाएं होंगी।”

अप्रैल में, मौसम विभाग ने जून से सितंबर 2016 के दौरान सामान्य से अधिक मानसून वर्षा की भविष्यवाणी की थी, जून में अपने पूर्वानुमान के साथ खड़ी है। जैसा कि केलकर ने कहा, यह सब अगले तीन महीने पर निर्भर करता है।

(वाघमारे इंडियास्पेंड के साथ विश्लेषक हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 28 जून 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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