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इस तरह के शीर्षक आमतौर पर जिस शिविर में आपकी आस्था हो उस अनुसार प्रशंसा या बदनामी की भावना उतपन्न करते हैं।

तो, चलिए पहले दावों और अस्वीकरणों की और देखते हैं- चुनावी नतीज़े कई जटिल कारकों का परिणाम होते हैं और उन्हें एक सरल गणितीय समीकरण तक सीमित कर देना साथ बेवकूफी और अभिमान की हद है ।

पिछले परिणामों का यह विश्लेषण भविष्य के रुझान का सूचक नहीं है, न ही यह चुनावी परिणामों के स्पष्ट निर्विवादित कारणों को तथ्य मान लेने का प्रयास है। यह चुनावी आंकड़ों और विश्लेषणों की प्रवृत्ति जो लोकमत के विपरीत भी हो सकती है , का उल्लेख मात्र है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों के बीच आम धारणा है कि कांग्रेस पार्टी की आगामी दिल्ली चुनावों में जो वोट हिस्सेदारी कम होने वाली है , इसका सीधा सीधा लाभ आम आदमी पार्टी (आप) को मिल सकता है, और इसलिए यह एएपी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच एक ज़बरदस्त प्रतिस्पर्द्धा होगी ।

2013 के विधानसभा चुनावों से ले कर 2014 के लोकसभा चुनावों तक दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों के माहौल के विश्लेषण से कुछ और ही पता चलता है ।

2013 से 2014 तक कांग्रेस के सापेक्ष वोट प्रतिशत में 12 प्रतिशत अंक की गिरावट आई है जो कि भाजपा के 11-प्रतिशत और आप के एक-प्रतिशत अंक लाभ के साथ सहसम्बद्धित है । इस तरह के रुझानों के लिए विभिन्न कारण हो सकते हैं जैसे कि विधानसभा चुनाव और विभिन्न मतदाता व्यवहार और लोकसभा चुनाव जिसमे भिन्न भिन्न वोटर व्यवहार और परिणामों को आकर्षित किया।

जैसा कि हमने पहले भी बताया है, जो कुछ कारण कुछ भी हो , 2014 में कांग्रेस द्वारा खोए गए वोटों में 92% वोट का लाभ भाजपा को हुआ और केवल 8% ही एएपी को मिला । इस तरह का भारी बदलाव सिर्फ सरल आख्यानों के माध्यम से समझाया नहीं जा सकता है।

2013 के विधानसभा (बाएं) और 2014 के लोकसभा (दाएँ ) चुनावों के लिए दिल्ली में सापेक्ष वोट हिस्सेदारी %(प्रतिशत )

Relative Voteshare % In Delhi For 2013 Assembly (Left) And 2014 Lok Sabha (Right) Polls

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Source: Election Commission

क्या कहीं कहीं ऐसा मामला भी है की कुछ निश्चित निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा द्वारा प्राप्त वोट शेयर इतना अधिक है कि उसने सभी माप बिगाड़ कर रख दिए हैं ? नहीं।

70 निर्वाचन क्षेत्रों में से कांग्रेस ने 68 में वोट प्रतिशत खो दिया है और उसे दो में फायदा हुआ है । भाजपा ने 64 में वोट शेयर प्राप्त किए और छह में हार दिए । एएपी 39 में वोट शेयर खो दियाऔर 31 में प्राप्त किया है ।

तो, सबसे अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा भारी लाभ मिला है।

दिल्ली निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या जहां वोट हिस्सेदारी प्राप्त हुई /खोई ( 2013 (विधानसभा) से 2014 (लोकसभा) चुनावों तक

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Source: Election Commission

2013 चुनाव से 2014 तक , 25 निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस ने अपना वोट प्रतिशत खो दिया है और भारतीय जनता पार्टी और आप के दोनों ने वोटों में हिस्सेदारी का लाभ उठाया है । इन 25 निर्वाचन क्षेत्रों के विश्लेषण से पता चलता है कि कैसे कांग्रेस के वोट पलट गए ।ई स्पष्ट होता है कि इन 25 निर्वाचन क्षेत्रों में से 15 में भाजपा को एएपी की तुलना में कांग्रेस के वोटों से अधिक फायदा हुआ है। एएपी को 9 निर्वाचन क्षेत्रों में अधिक फायदा हुआ है, और एक निर्वाचन क्षेत्र दोनों के बीच समान रूप से विभाजित हो गया था।

हम जैसे भी 2013 के विधानसभा चुनावों और 2014 के लोकसभा चुनाव के बीच दिल्ली के वोट शेयर का निरीक्षण परीक्षण करें यह स्पष्ट है कि कांग्रेस के 'नुकसान' से भाजपा को एएपी के मुकाबले अधिक फायदा हुआ है जैसा कि काफी लोगों का मत भी है।

पुनः , इस के लिए विभिन्न स्पष्टीकरण हो सकते हैं लेकिन महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या आप 2015 के विधानसभा चुनाव में इस झुकाव को उल्ट सकती है?

(प्रवीण चक्रवर्ती एक चुनावी आकड़ों के विश्लेषक और इंडिया स्पेंड- भारत की पहली गैर लाभकारी, सांख्यिकी पत्रकारिता पहल - के संस्थापक ट्रस्टी हैं । यह लेख सौम्या तिवारी के साथ मिलकर लिखा गया है । )

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