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पिछले पांच वर्षों में ( 2010 से 2014 ) देश भर में पुलिस बल में 10 फीसदी की वृद्धि हुई है जबकि पुलिस बलों में महिलाओं की संख्या में 59 फीसदी बढ़ोतरी पाई गई है।

कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव ( सीएचआरआई ) की रिपोर्ट के अनुसार यदि वर्ष 2009 ( 2013 में दोहराया गया ) में गृह मंत्रालय द्वारा पुलिस बलों में महिलाओं की 33 फीसदी भागीदारी के निर्धारित लक्ष्य के संबंध में इन आंकड़ों को देखा जाए तो लगता है कि पुलिस फोर्स में महिलाओं की भर्ती को गंभीरता से लिया गया है।

देविका प्रसाद, अध्ययन के सह-संपादक के अनुसार अध्ययन में शामिल की गई पांच राज्यों की महिला पुलिस अफसरों ने उनके साथ होने वाले पक्षपात के साथ-साथ बच्चों की देखभाल में समर्थन न मिलना, शौचालयों की कमी एवं कई सुविधाओं के अभाव के विषय में बाताया है। सीएचआरआई एक गैर सरकारी संगठन है जो राष्ट्रमंडल देशों में मानव अधिकारों को सुनिश्चित करने का कार्य करता है।

देश के एक तिहाई राज्यों में अब भी 33 फीसदी के लक्ष्य को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया गया है। यहां तक कि महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों में भी पुलिस फोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 10 एवं 12 फीसदी ही है।

पुलिस बल में महिलाओं की हिस्सेदारी वाले टॉप 5 राज्य, 2014

Source: BPRD

तमिलनाडु की कुल पुलिस बल में महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक दर्ज की गई है। आंकड़ों के अनुसार तमिलनाडु राज्य के पुलिस बल में 12.4 फीसदी ( 13,842 ) महिला अफसर हैं। पुलिस बल में महिलाओं की हिस्सेदारी के मामले में 11 फीसदी के साथ हिमाचल प्रदेश दूसरे स्थान पर है।

ओडिसा पुलिस बल में महिलाओं की हिस्सेदारी 8.5 फीसदी देखी गई है जबकि राजस्थान पुलिस बल में यह आंकड़े सबसे कम, 7 फीसदी दर्ज की गई है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा पुलिस बल में महिलाओं के लिए आरक्षित पद 30 फीसदी से 33 फीसदी बढ़ाने की घोषणा के बाद पुलिस मुख्यालय एवं गृह विभाग ने इसका जमकर विरोध किया है। विरोध के पीछे तर्क दिया गया कि पुलिस फोर्स के अधिकतर काम पुरुषों द्वारा ही किए जाते हैं इसलिए अधिक महिलाओं की भर्ती करना पुलिस बल के लिए हानिकारक होगा।

देश में केवल 12 राज्य एवं केंद्र सरकार (सभी सात केंद्र शासित प्रदेशों के लिए) पुलिस बल में महिलाओं के लिए एक तिहाई पद सुरक्षित रखते हैं। इन 12 राज्यों में महाराष्ट्र, राजस्थान , तमिलनाडु, ओडिशा, बिहार , सिक्किम, गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड , त्रिपुरा, तेलंगाना , और उत्तराखंड शामिल हैं।

पुलिस बल में महिलाओं के लिए आरक्षण वाले राज्य (%)

Source: Common Wealth Human Rights Initiative

नहीं थम रहे महिलाओं के खिलाफ अपराध

पुलिस बलों में हो रही महिलाओं की वृद्धि का महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध से कोई संबंध नहीं है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ( एनसीआरबी ) के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2014 में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 58 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

आंकड़ों के मुताबिक पिछले चार सालों में पुलिस बलों में महिलाओं की संख्या में खासी वृद्धि हुई है। वर्ष 2010 में कुल पुलिस बल में महिलाओं की हिस्सेदारी 4.2 फीसदी थी वहीं 2014 में यह आंकड़े बढ़ कर 6 फीसदी पाई गई है।

पुलिस बल में महिलाएं, 2010 से 2014

पुलिस बलों के % के रूप में महिलाएं, 2010 से 2014


Source: Bureau of Police Research and Development (BPRD)

सीएचआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के मुद्दों के प्रति पुलिस को संवेदनशील होने के लिए पुलिस बल में अधिक महिलाओं का शामिल होना अनिवार्य है। रिपोर्ट कहती है कि पुलिस बलों में महिलाओं के होने से महिलाएं खुद के प्रति होने वाले अपराध को रिपोर्ट करने में अधिक सहज होंगी।

वर्ष 2012 में दिल्ली में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार एवं नृशंस हमला, जिसे बाद में निर्भया कांड के रुप में जाना गया, के बाद पुलिस में और अधिक महिलाओं की भर्ती का मुद्दा तेज हो गया है।

इंडियास्पेंड ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में बताया है कि किस प्रकार मामले के सुनावाई चलती रही एवं निचली अदालत ने गैंगरेप और हत्या के मामले में मृत्युदंड सुनाया था, जिस पर बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने मुहर लगायी थी। इन मुजरिमों की अपील फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

महिलाओं के खिलाफ अपराध, 2010 से 2014

पुलिस बल में महिलाएं, 2010 से 2014

Source: BPRD and National Crime Records Bureau (NCRB)

पिछले चार वर्षों में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 58 फीसदी की वृद्धि हुई है। वर्ष 2010 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 213,585 मामले दर्ज क गई थी जबकि वर्ष 2014 में यह आंकड़े 337,922 दर्ज की गई है।

( प्राची सालवे इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक है। )

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 3 सितंबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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