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मुंबई में सुपरमार्केट में डब्बाबंद भोजन की खरीदारी करते लोग। ‘एक्सेस टू न्यूट्रिशन इंडेक्स’ के अनुसार, नौ कंपनियों के मूल्यांकन में दिल्ली की मदर डेयरी के उत्पाद सबसे ज्यादा स्वास्थ्यप्रद पाए गए, जबकि हिंदुस्तान यूनिलीवर और ब्रिटानिया दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे ।

‘एक्सेस टू न्यूट्रिशन इंडेक्स इंडिया स्पॉटलाइट’- 2016 के अनुसार, नौ प्रमुख भारतीय खाद्य और पेय कंपनियों द्वारा बेची जाने वाली 12फीसदी से अधिक पेय पदार्थ और 16फीसदी खाद्य पदार्थ ‘उच्च पोषण गुणवत्ता’ वाले नहीं हैं। भारत में इस तरह का सर्वेक्षण पहली बार हुआ है।

बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित एक डच गैर-लाभकारी संस्था एक्सेस टू न्यूट्रिशन फाउंडेश द्वारा बनाए गए सूचकांक में भारत एवं विश्व स्तर के निर्माताओं के नीतियों, प्रथाओं और पोषण संबंधी प्रकटीकरण का मूल्यांकन किया गया है। मूल्यांकन में शामिल किए गए नौ कंपनियों ने कहा कि वे अल्पोषण से लड़ने के लिए समर्पित हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश कंपनियां फोर्टिफाइड पैक किए गए खाद्य उत्पाद तैयार नहीं करती हैं या कुछ ही कंपनिंयां ऐसे उत्पाद तैयार करती हैं।

पोषण संबंधी कमी से निपटने के लिए खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म पोषक तत्वों (विटामिन और खनिज) को मिलाने की प्रक्रिया फोर्टिफिकेशन कहलाती है। यह बड़ी आबादी के बीच सूक्ष्म पोषक तत्वों की स्थिति में सुधार करने के लिए एक सस्ता और कारगर तरीका माना जाता है।

अभी भारत दो तरह के परस्पर विरोधी पोषण चुनौतियों का सामना कर रहा है। कुपोषण और बढ़ता मोटापा, खासकर बच्चों के बीच। इस संब्ध में अप्रैल 2016 में इंडियास्पेंड ने अपनी रिपोर्ट में विस्तार से बताया है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 2015/16 (एनएफएचएस-4) के नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत में पांच वर्ष से कम आयु के कम से कम 38.4 फीसदी बच्चे स्टंड हैं यानी कद के अनुसार कम कम वजन के हैं। ये आंकड़े विश्व भर में सबसे ज्यादा हैं।

इसी तरह इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की ओर से वर्ष 2015 में एक अध्ययन के अनुसार, 13.5 करोड़ भारतीय मोटापे से ग्रस्त हैं।

देश भर में डब्बाबंद खाद्य पदार्थों की खपत लगातार बढ़ रही है, विशेष रुप से शहरी इलाकों में। नए पोषण सूचकांक ने पाया गया है कि इनमें से ज्यादातर का फोकस भारत के दोहरे पोषाहार चुनौतियों पर नहीं है।

मूल्यांकन किए गए नौ कंपनियों में से दिल्ली की मदर डेयरी के उत्पाद सबसे ज्यादा स्वास्थ्यप्रद पाए गए हैं, क्योंकि मदर डेयरी के 77 फीसदी उत्पाद दूध से तैयार होते हैं। हिंदुस्तान यूनिलीवर और ब्रिटानिया दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। नेस्ले इंडिया को सातवां स्थान दिया गया ।

भारतीय खाद्य और पेय कंपनियों की स्थिति

Source: Access to Nutrition Index, India Spotlight, 2016
Note: Amul did not provide information to ATNI

यह सूचकांक उत्पादों में पोषण की गुणवत्ता पर "उत्पाद-प्रोफ़ाइल रेटिंग" और अधिक स्वस्थ उत्पादों के सापेक्ष बिक्री पर आधारित है। इसमें नौ कंपनियों द्वारा भारतीय पोषण लेबलिंग नियमों के अनुपालन पर भी गौर किया गया है।

नेस्ले इंडिया के प्रवक्ता ने ई-मेल के जरिए इंडियास्पेंड को बताया कि, “नेस्ले इंडिया उन क्षेत्रों को बारीकी से देख रहा है, जहां सूचकांक में सुधार की सिफारिश की गई है। ”

प्रवक्ता ने बताया कि, “हम सभी विभागों में उत्पादों को मजबूत बनाने की संभावनाओं का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे मौजूदा उत्पादों में से कुछ ‘मसाला-ए-मैजिक’ और ‘सेरेग्रो’ जैसे उत्पाद हैं। ”

मदर डेयरी ने टिप्पणी के लिए हमारे अनुरोध का जवाब नहीं दिया है।

सूचकांक में कम आय वाले उपभोक्ताओं के लिए पोषक उत्पादों को और अधिक किफायती बना कर उत्पाद प्रोफाइल को बेहतर बनाने, सरकार की ओर से उद्योग संगठनों के लिए फंडिंग की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने और उत्पादों को मजबूत करने की सिफारिश की गई है।

सर्वेक्षण में पाया गया कि भारतीय आहार उत्पादों में 2 से 5 फीसदी तक सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी थी। गेहूं और दूध उत्पादों को मुख्य रूप से विटामिन ए, डी, सी और लोहे के साथ मिलाया गया था, लेकिन अधिकांश आहार निर्माता स्वस्थ उत्पादों को शक्तिवर्धक या स्वास्थ्यप्रद नहीं बनाते हैं।उदाहरण के लिए भारत में आयरन की कमी आम है, क्योंकि अधिकांश भारतीय अनाज का उच्च अनुपात और मांसाहार उत्पाद का कम उपभोग करते हैं। भारत में आयरन की कमी से एनीमिया भी एक बड़ी समस्या है। यह विकलांगता का भी एक प्रमुख कारण है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने अक्टूबर 2016 में विस्तार से बताया है।

सूचकांक के अनुसार, “ अपने उत्पादों को बनाने के लिए आयोडीन वाले नमक का उपयोग एक दो उत्पादों में तो दिखे। इसके अलावा अधिकांश कंपनियां अपने उत्पादों को फोर्टिफाइड करने के लिए गेहूं या दूध जैसे अवयवों के इस्तेमाल में विशेष रूप से प्रतिबद्ध नहीं दिखे। ”

पोषण और कुपोषण पर नीतियां, व्यवहार और प्रकटीकरण के साथ कॉर्पोरेट प्रोफाइल रैंकिंग में नेस्ले इंडिया सबसे ऊपर है। ‘एक्सेस टू न्यूट्रिशन फाउंडेशन’ के कार्यकारी निदेशक इंज कौएर कहते हैं, “खाद्य और पेय निर्माताओं के पास भारत की पोषण संबंधी चुनौतियों पर प्रभाव डालने की क्षमता है, क्योंकि जीवन शैली और आय में परिवर्तन के साथ डब्बाबंद आहार के मार्केट शेयर में वृद्धि होती है। ”

नीदरलैंड्स में यूट्रेक्ट से एक टेलीफोनिक साक्षात्कार में कौएर ने इंडियास्पेंड से कहा कि “कंपनियां सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ अपने उत्पादों के छोटे पैकेट बेचकर और अपने उत्पादों को सस्ता बना कर लोगों तक बड़ी आसानी से पहुंच सकती है। ”

(यदवार प्रमुख संवाददाता हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 14 मार्च 17 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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