मैंने अक्सर घर खोजने वाले लोगों से सुना है कि मुंबई में भगवान खोजना घर खोजने से आसान काम है

यह मज़ाक तब सत्य सिद्ध हो गया जब मैंने सोचा कि अब समय आ गया है कि मुझे मुंबई में मैंने अपना खुद का मकान खरीद लेना चाहिए। मैं वैसे भी पिछले आठ साल से मुंबई में जिसे एक अच्छा वेतन कहा जा सकता है , पर काम कर रही थी और अब यह उचित समय प्रतीत हुआ कि मैं 33 वर्ष की इस उम्र में मैं "बेशर्म भारतीय बेटी"(जो मैं खुद को बुलाना पसंद करती हूँ ) कहलाना बंद कर दूँ ।

अक्सर, मेरे मन में ख्याल आता था कि पश्चिमी उपनगरों की रानी, बांद्रा में मेरा अपना एक फैंसी अपार्टमेंट होगा। हालाँकि उस जगह कुछ भी खरीद पाने की स्थिति में मैं सक्षम हो सकती हूँ इस पर यकीन नहीं था लेकिन इस दिशा में एक कोशिश करने के लिए मैं तैयार थी ।

मेरी अपार्टमेंट की खोज ने मुझे एक आवासीय वेबसाइट, पर पहुँचा दिया जहाँ मैंने अपनी आवश्यकता डाली - क्षेत्र: बांद्रा; कीमत: 1.5 करोड़ रुपये से ऊपर; बेडरूम्स: 1RK (एक स्टूडियो जो अक्सर भारतीय भाषा में एक कमरा और रसोई होता है ), 1BHK (एक बेडरूम, हॉल या रहने वाला कमरा और रसोई)। खोज ने करीब 50 अपार्टमेंट दिखाए । जिसमे से दो को छोड़कर, सभी मकान 50 लाख रुपये से ऊपर थे। वे दो अपवाद स्टूडियो अपार्टमेंट (या 1RK) थे जिनकी कीमत 23 लाख रु और 27 लाख रू उद्धृत की गई थी

इन कीमतों ने मुझे सुखद रूप से चकित कर दिया। यह अविश्वसनीय था कि उस क्षेत्र में जहाँ जुलाई-सितंबर की अवधि में एक बहुमंजिली इमारत में औसत कीमतें 43,845 रुपये प्रति वर्ग फुट थी, वहाँ कुछ भी उपलब्ध था। जाहिर है मैंने दोनों ही जगहों पर एक नज़र डालने का फैसला किया। मुझे याद है मैंने तब सोचा था कि एक किफायती आवास का सपने , पूरी तरह से दुनिया के सबसे महंगे शहरों अभी खोया नही था।

नाइट फ्रैंक प्रधान अंतर्राष्ट्रीय आवासीय सूचकांक

अविश्वसनीय पर सत्य

मैंने पहले 23 लाख रुपये की कीमत वाले अपार्टमेंट का दौरा किया । वह एक इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल पर था जिसकी सीढ़ियाँ संकीर्ण और खड़ी थीं इमारत स्पष्ट रूप से भूतल पर बने मुख्य घर पर एक ऐड-ऑन थी। अपार्टमेंट के मालिक ने मुझसे पूछा कि मैं फ्लैट के लिए भुगतान कैसे करूंगी और जब मैंने खा कि मुझे बैंक ऋण लेना होगा तब उसने मुझे बताया कि मुझे किसी दूसरी तरह से भुगतान करने का तरीका (मतलब नगद )खोजना चाहिए। कारण: वह फ्लैट एक रिश्तेदार से व्यक्तिगत ऋण पर खरीदा गया था , जो मुझे लगा कि शायद नगद ऋण (गैर-हिसाबी धन या काला धन) था और वह वापस उसी रूप में उस ऋण का भुगतान करने का इरादा रखता है। यदि मैं बैंक ऋण से घर खरीदती हूँ , तो मेरी भुगतान राशि का हिसाब कर अधिकारीयों तक जाएगा और उसे भी कर दायर करते समय इस राशि का हिसाब उल्लेख करना होगा ।

समझदारी इसी में थी कि मैं ये अपार्टमेंट छोड़ दूँ। ना तो मेरे पास इतनी राशि थी और न ही इतना दुःसाहस कि मैं ऐसा फ्लैट खरीद सकूँ जिसमें कुछ गड़बड़ सौदा लग रहा था।

मैंने उस फ्लैट का रूख किया जिसकी कीमत 27 लाख रुपये उद्धृत की गई थी ।यह फ्लैट एक सपने की तरह था : 230 वर्ग फीट में निर्मित (निर्मित क्षेत्र का -अर्थ अपार्टमेंट के भीतर का हिस्सा - जो दीवारों की मोटाई से कवर किया गया है और बालकनी यदि कोई हो ) एक प्रमुख जगह में , खुशहाल वातावरण, बड़ी खिड़कियां और प्रकाश की बहुतायत । यह इमारत (लगभग 15 परिवारों के साथ) कानूनी लग रही थी , और अपार्टमेंट की मालिक और उसके दोनों बच्चे बहुत मददगार लग रहे थे ।

उन्होंने मुझे फ्लैट की खरीद के दस्तावेज़ और सोसाइटी से प्राप्त बिजली और रखरखाव के बिल दिखाए । मैंने उनसे पूछा क्या ये जमीन फ्रीहोल्ड है और क्या सोसायटी का पंजीकरण हुआ है -उन्होंने कहा, हाँ। मैंने इमारत के सचिव से बात की और उससे भी यही सवाल पूछे । उन्होंने भी मालिक द्वारा कही गई बात की पुष्टि की । मैंने फ्लैट की मालिक से यह भी पूछा कि क्या अपार्टमेंट ,ग्रामीण भूमि के अंतर्गत आता है - अर्थात यह शहर या शहर के भीतर स्थित ग्रामीण भूमि पर तो नही बना - और उन्होंने बताया ऐसा नही है । वास्तव में उन्होंने यह भी कहा कि इस इमारत को पुनर्विकसित भी किया जाएगा।

क्योंकि अपार्टमेंट की मालिक और इमारत के सेक्रेटरी इतना सहयोग कर रहे थे कि उनकी बातों पर अविश्वास करने का कोई कारण नही था और जब उन्होंने मुझे टोकन राशि देने किए लिए कहा तो मैंने ख़ुशी ख़ुशी समय सीमा और तय राशि देना स्वीकार कर लिया । मकान मालिक ने कहा उसे यह भुगतान राशि एक और घर खरीदने के लिए चाहिए ।

मुझे जल्द ही पता चल गया कि यदि कोई सत्य अविश्वसनीय लगता है तो वह अविश्वसनीय ही होता है

जब मैंने आवासीय ऋण के लिए बैंक से संपर्क किया तब अपार्टमेंट से जुड़ी समस्याएँ उजागर होने लगीं । यह भवन उस भूमि पर बनाया गया था जहाँ मूल रूप से एक बंगला बना हुआ था । । बैंक , नगर पालिका (बृहन्मुंबई नगर निगम) द्वारा जारी बंगले के लिए एक 'अधिभोग प्रमाणपत्र', दस्तावेज चाहता था जिससे यह पुष्टि की जा सके कि यह इमारत रहने के लिए उपयुक्त है, और सभी अधिनयमों और कानून के अनुरूप बनाई गई है । जब इसके बारे में इमारत के सचिव से पूछा गया तब उन्होंने कहा कि उनके पास यह दस्तावेज़ नहीं हैं । जब मैंने उनसे कहा कि वे बिल्डर से उपलब्ध करवा लें तो उन्होंने बताया कि बिल्डर के पास भी ये दस्तावेज़ नही थे। फिर मैंने इमारत बनने के बाद नगर पालिका द्वारा जारी किए गए एक 'बिल्डिंग समापन प्रमाणपत्र', के लिए उनसे पूछा। सचिव के पास वह भी नहीं था ।

मुझे यह बहुत संदेहास्पद लगा कि किसी भी कानूनन इमारत के पास कोई भी अनुमति या प्रमाण पत्र नही थे जो कि होने चाहिए थे । मैंने आगे और पूछताछ की और सोसाइटी के पंजीकरण की एक प्रति के लिए इमारत के सचिव से पूछा। आश्चर्य नहीं कि उनके पास वह भी नही थी । सोसाइटी के पंजीकरण के लिए आवेदन पत्र की कोई प्रति? वह भी नहीं .

और यह स्थिति और भी खराब हो गई

बैंक से ऋण लेने से पूर्व इस सम्पत्ति के लिए मैंने एक वकील से सलाह ली थी और क्योंकि उसने कोई आपत्ति नही जताई थी , मुझे भी लगा था कि यह सम्पत्ति एक सही और सुरक्षित खरीद है । लेकिन कानून के इतने स्पष्ट गैर पालन ने मुझे किसी और वकील से फिर सलाह लेने पर मजबूर कर दिया । मैंने निर्णय किया कि इस सम्पत्ति के दस्तावेज़ मैं किसी दुसरे वकील को भी दिखाऊँगी ।

इस वकील नंबर 2 से पता चला कि मेरे द्वारा पता किए गए गैर अनुपालन दोष के अलावा , फ्लैट के पिछले तीन मालिकों ने स्टांप शुल्क या पंजीकरण शुल्क का भुगतान नहीं किया था- जिसके कारण फ्लैट का स्वामित्व भी अवैध था ।

और इसके आगे यदि मैं यह संपत्ति खरीद लेती हूँ तो मुझे पिछले मालिकों के स्टाम्प शुल्क का भुगतान और देरी से भुगतान पर लगा जुर्माना भी भरना होगा। यह मुझ पर लगने वाले स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क की भुगतान राशि के अतिरिक्त होगा ।

भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 के तहत, पंजीकरण का प्रयोजन , फ्लैट के मालिकाना हक को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है ; और जब तक किसी का नाम हक आलेख में पंजीकृत या दर्ज नही होता तब तक वह व्यक्ति सरकारी तौर पर घर का कानूनी मालिक नहीं है। दस्तावेजों का इस तरह पंजीकरण अनिवार्य है। एक संपत्ति को रजिस्टर करने के लिए, भुगतान किए गए स्टांप शुल्क के दस्तावेज़ को स्थानीय उप-रजिस्ट्रार आश्वासन के पास पंजीकृत किया जाता है।

इस वकील ने मुझे में स्वामित्व समझौतों की विसंगतियों का भी ज्ञान कराया । आप को हक आलेखों की जानकारी देने के लिए चलिए , # 1, # 2, # 3, # 4 और # 5 के रूप में विभिन्न मालिकों को संबोधित करते हैं।

11 अगस्त 2010 को असली मालिक #1 ने अपनी मूल सम्पत्ति जिसका माप लगभग 1305 वर्ग फुट था 20 लाख रूपये में # 2 बेच दी थी । स्टांप शुल्क के भुगतान दस्तावेज के नाम पर सिर्फ यही "डीड ऑफ़ कन्वेयन्स " उपलब्ध थी । अन्य सभी समझौते 100 रुपये के स्टांप पेपर पर किए गए थे।

#2 ने मूल संरचना पर (एक छत सहित) तीन अतिरिक्त मंजिलों का निर्माण किया। 5 सितंबर 2012 को 10 लाख रुपये के लिए #2 ने तीसरी मंजिल- 1100 वर्ग फुट की छत - # 3 को बेच दिया।

11 जून, 2012 को # 3, ने छत पर बने पांच फ्लैटों में से एक जिसका माप 140 वर्ग फुट था, 2.5 लाख रुपये के लिए # 4 को बेच दिया। 21 सितम्बर 2012 को # 4 मालिक ने 19.80 लाख रुपये में यह फ्लैट # 5 को यह फ्लैट बेच दिया।।

अत: , बिक्री के कर्मों के अनुसार,इससे पहले कि #3 यह मकान #2 से खरीद सकता , # 4 ने # 3 से इसे खरीद लिया !

मुझे लगने लगा कि मैंने इस एक सौदे में इतनी चिंता और कष्ट का अनुभव कर लिया था जो इस पूरे जीवनकाल तक के लिए काफी था और अब मैं फिर से समझौते की आड़ में छिपे ऐसे किसी मकड़े के जाल में नही ग्रीन चाहती थी ।मैंने भुगतान की गई पूर्ण जमा राशि को खोने के जोखिम पर भी इस समझौते से हाथ बाहर खींच लिया (मालिक ने अंततः जमा राशि का 90% लौटा दिया ), और मैंने शपथ ले ली की जब तक बैन और एक वकील किसिस भी सम्पत्ति की पुष्टि नहीं कर देंगे तब तक मई किसी ब्भी सम्पत्ति में निवेश (और भुगतान ) नही करूंगी ।

मुंबई की कड़वी सच्चाई

अचल सम्पत्ति मुंबई में एक घृणित व्यवसाय है, और नगर निगम के अधिकारी डेवलपर्स के साथ अक्सर हाथमिलाए रहते हैं । टाइम्स ऑफ इंडिया ने पिछले साल एक रिपोर्ट में बताया कि मुंबई में निर्माण की मंजूरी मिली इमारतों में से 50 प्रतिशत में अधिकृत प्रमाण पत्र की कमी है। इसलिए यदि आप खरीदना चाहे तो एक किफायती घर मिल तो सकता है, लेकिन सौदा करने से पहले पूरी तरह सावधानी बरतें। मेरे अपने अनुभव से कुछ सुझाव दे रही हूँ :

1) एक सक्षम, अच्छा संपत्ति वकील से सम्पर्क करें । यदि चाहे तो किसी दूसरे की भी राय लें।

2) सुनिश्चित करें कि सभी बिक्री विलेख, हलफनामा और बिक्री समझौते पंजीकृत हैं और स्टांप ड्यूटी का पिछले सभी मालिकों ने भुगतान किया है। एक संपत्ति कानूनी रूप से आपकी नहीं होती जब तक इनका भुगतान नही किया जाता है। यदि पहले मालिकों द्वारा स्टांप शुल्क और पंजीकरण भुगतान नहीं किया गया है, तो उस संपत्ति की कीमत जितना आप सोच रहे हैं उसकी तुलना में बहुत अधिक कीमत पर मिलेगी । अर्थात आपको न केवल अपना स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क भरना होगा अपितु सभी पूर्व मालिकों का स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्भी और जुर्माने का भी भुगतान करना होगा।

3) आप जो संपत्ति खरीद रहे हैं उसके बारे में सुनिश्चित कर लीजिए की सभी हक आलेख स्पष्ट हैं। इसके अलावा, हर पिछले समझौते पर बिक्री की तारीखों को ध्यान से देख लें। यदि वहां कोई विसंगति है, तो आपकी खरीद के पुनर्मूल्यांकन के लिए एक लाल झंडी(चेतावनी ) है ।

4) बैंक ऋण ले कर घर खरीदना ही उत्तम सलाह है । बैंक आमतौर पर जिस संपत्ति के लिए वित्त व्यवस्था करते हैं उसके दस्तावेज़ों और विलेखों के दोषों को पकड़ने ले लिए यथोचित परिश्रम करते हैं ।

5)केवल चेक द्वारा ही भुगतान करें । कम से कम आपके पास राशि देने का सबूत तो रहेगा , यदि किसी जालसाज़ी का शिकार आप बनते हैं तो ।

6) यदि मकान मालिक या इमारत का सचिव आपको कहता है कि सोसाइटी पंजीकृत है तो आँख मूँद कर विश्वास न करें। उनसे पंजीकरण दस्तावेज़ों की प्रति माँगे ।

एक अपार्टमेंट खरीदने का मेरा पहला अनुभव मुझे जीवन की इस वास्तविकता का अहसास करा गया कि ढूँढने पर मुंबई में भगवान तो मिल सकते हैं लेकिन घर नहीं ।

जैसा की एक अन्य कहावत में कहा गया है : भगवान भी उसी की मदद करता है जो अपनी मदद खुद करते हैं।

(छवि आभार : विकिमीडिया)

(एरलीन मुंबई में आधारित एक पत्रकार हैं । वे theyellowindian.blogspot.com पर अपना ब्लॉग लिखती हैं )

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