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मौजूदा लोकसभा में, भारतीय जनता पार्टी के बुजुर्ग सांसदों की संख्या में आई है। ‘पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च’ नाम की संस्था की ओर से जारी आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि भाजपा में 70 वर्ष की आयु से ऊपर के कम ही सासंद हैं। जबकि 25 से 40 वर्ष की आयु के बीच के सासंदों की संख्या में वृद्धि हुई है। यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो 15 वीं लोकसभा में 14.2 फीसदी बुजुर्ग सासंद थे। मौजूदा लोकसभा में ये आंकड़े घटकर 8.8 फीसदी हुए हैं। यदि युवा सासंदों के आंकड़ों को देखा जाए तो 15 वीं लोकसभा में यह आंकड़े 5.8 फीसदी थे, जो अब बढ़ कर 7.8 फीसदी हुए हैं।

दिलचस्प बात यह है कि विपक्षी दल कांग्रेस में अलग नजारा है। कांग्रेस में युवा सांसदों के आंकड़े 8.1 फीसदी से कम हो कर 6.7 फीसदी हो गए हैं। कांग्रेस में पुराने सांसदों की संख्या 11.9 फीसदी से बढ़कर 20 फीसदी हुई है।

सांसदों की औसत उम्र पहली लोकसभा (1952) में 46.5 वर्ष से बढ़ कर 16वीं लोकसभा में (2014 से) 56 वर्ष हुई है। पहली लोकसभा में सांसदों की संख्या 489 थी। मौजूदा लोकसभा में 550 सांसद हैं।

15 वीं लोकसभा में सबसे ज्यादा औसत उम्र के सांसद

Source: Press Information Bureau, PRS Legislative Research

मौजूदा लोकसभा स्वतंत्र भारत की दूसरी ऐसी सभा है, जहां सांसदों की औसत उम्र सबसे अधिक है। इस संबंध में पहले स्थान पर 15वीं लोकसभा है।

युवा भारत में अधिकांश सांसदों की उम्र 56 से 70 वर्ष के बीच

मौजूदा लोकसभा में सबसे युवा सांसद की उम्र 28 वर्ष है और सबसे अधिक उम्र 88 वर्ष है। सां सदों की औसत उम्र 58 है यानी आधे सांसदों की उम्र 58 या अधिक है। वर्ष 2011 में भारत की औसत उम्र 24 साल थी। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने सितंबर 2016 में विस्तार से बताया है।

आयु-समूह अनुसार 16वीं लोकसभा

वर्तमान लोकसभा के सीटों पर सबसे ज्यादा हिस्सेदारी 56 से 70 वर्ष आयु वर्ग के सांसदों की है। यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो इस आयु वर्ग की मौजूदा सांसदों की संख्या में 44 फीसदी की हिस्सेदारी है। यहां गौर करने लायक बात यह है कि जनसांख्यिकीय में यह केवल 8 फीसदी की हिस्सेदारी है।

निर्वाचित होने के योग्य भारतीय जनसंख्या में से एक चौथाई लोग 25 से 40 वर्ष के बीच हैं, लेकिन 10 फीसदी से अधिक सांसद इस आयु वर्ग से नहीं हैं। बुजुर्ग (71-100) सांसद 9.6 फीसदी सीटों पर कब्जा करते हैं, जबकि कुल आबादी में उनके आयु वर्ग की हिस्सेदारी 2.4 फीसदी है।

लोकसभा: आयु अनुसार प्रतियोगिता व निर्वाचित होने योग्य जनसंख्या

Source: PRS Legislative Research and Census 2011

उत्तर प्रदेश और बिहार में हैं सबसे अधिक युवा सांसद, 41 से 55 उम्र से बीच के सासंद का प्रदर्शन बेहतर

भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश का लोकसभा सीटों में सबसे अधिक हिस्सेदारी है। 63 फीसदी सांसद जो राज्य के 20 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनकी आयु 56 वर्ष से कम है। बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से आधे लोकसभा सांसदों की उम्र 56 वर्ष से कम है।

20 वर्ष की औसत उम्र के साथ उत्तर प्रदेश और बिहार के अधिक सांसद युवा हो सकते हैं, क्योंकि इन राज्यों की आबादी में युवाओं की संख्या ज्यादा है। हम आपको बता दें कि देश की औसत उम्र 24 वर्ष है।

केरल से लोकसभा सांसदों की संख्या 20 सांसद है, लेकिन वहां के एक भी सांसद 25 से 40 वर्ष के बीच के नहीं है। केरल में 65 फीसदी सांसदों की आयु 55 वर्ष से अधिक है। 31 वर्ष की औसत उम्र के साथ केरल की आबादी अपेक्षाकृत बुजुर्ग है। यह जापान जैसे बढ़ते उम्र वाले देशों की तुलना में कम है। जापान में आबादी की औसत उम्र 46.9 वर्ष है।

सांसदों की उम्र 41-55: 16 वीं लोकसभा में सबसे अच्छा प्रदर्शन

16 वीं लोकसभा में 41 से 51 के बीच के उम्र के सांसदों ने औसतन 81 फीसदी सत्र में भाग लेते हुए सबसे ज्यादा उपस्थिति बनाई है। 76.3 फीसदी से आंकड़ों के साथ पुराने सांसदों की उपस्थिति कम दर्ज हुई है।

41 से 55 वर्ष आयु वर्ग के सांसद लोकसभा में सबसे अधिक सक्रिय रहे हैं। इसी आयु वर्ग के सांसदों ने सबसे अधिक सवाल पूछे हैं और बहसों में हिस्सा लिया है। 41 से 55 आयु वर्ग ने 168 सवाल पूछे हैं । बुजुर्ग सांसदों ने केवल 91 सवाल पूछे हैं।

आयु अनुसार लोकसभा सांसदों का प्रदर्शन

सबसे कम सक्रिय सांसदों की उम्र 71 से 88 वर्ष के बीच रही है। इनमें से 34 फीसदी सांसदों ने लोकसभा में 10 से भी कम सवाल पूछे हैं।

53 वर्षीय राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने सबसे अधिक सवाल पूछे हैं। सुले ने 619 सवाल पूछे हैं।

क्या भारत को युवा नेताओं की आवश्यकता है?

गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने अपनी सेवानिवृत्ति के लिए 75 साल की उम्र में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की भाजपा की परंपरा का हवाला देते हैं।

जनसेवकों के लिए भाजपा के अघोषित आयु सीमा संबंधी नियम का पालन करते हुए नेता बाबूलाल गौर ने मध्य प्रदेश के कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके पिता और समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव के बीच हुए संघर्ष के दौरान विधान सभा के कई सदस्यों अखिलेश यादव को समर्थन देने के लिए एकजुट देखा गया।

विधायक मोहम्मद रिजवान ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “नेताजी की उम्र अधिक हो रही है और जनता जानती है कि लंबे समय तक उनके लिए राज्य को चलाना संभव नहीं हो पाएगा।”

विधायक इन्डाल कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “अखिलेश एक स्वच्छ छवि वाले एक निर्विवाद नेता हैं, जिन्होंने विकास में एक मील का पत्थर स्थापित किया है। जनता उनकी प्रशंसक है और युवा उसके अनुयायी हैं।”

(अलेक्जेंडर स्वतंत्र डिजिटल पत्रकारिता की एक स्वतंत्र इकाई बूम से जुड़ी हैं और नीति विश्लेषक हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 02 नवम्बर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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