AIr pollution

नई दिल्ली: पिछले पांच वर्षों से 2015 तक, भारत में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में असफल होने वाला हर तीसरा शहर देश के दो सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से थे। यह जानकारी सरकारी आंकड़ों में सामने आई है।

पिछले पांच वर्षों से 2015 तक, केंद्रीय वायु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 94 शहरों में से 17 महाराष्ट्र की ऐसे शहरों की पहचान की गई है, जो राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं, जैसा कि 6 अप्रैल, 2018 को पर्यावरण राज्य मंत्री महेश शर्मा ने लोकसभा को दिए गए एक जवाब में बताया है।

महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश (15), पंजाब (8) और हिमाचल प्रदेश (7) का स्थान रहा है। 94 शहरों में से आधे इन चार राज्यों में थे।

वायु गुणवत्ता में विफल होने वाले शहर, 2011-15

Cities Failing Air-Quality Standards, 2011-15
StateState CountCities
Maharashtra17Akola, Amravati, Aurangabad, Badlapur, Chandrapur, Jalgaon, Jalna, Kolhapur, Latur, Mumbai, Nagpur, Nashik, Navi Mumbai, Pune, Sangli, Solapur, Ulhasnagar
UP15Agra, Allahabad, Anpara, Bareily, Firozabad, Gajraula, Ghaziabad, Jhansi, Kanpur, Khurja, Lucknow, Muradabad, Noida, Raebareli, Varanasi
Punjab8Dera Bassi, Gobindgarh, Jalandhar, Khanna, Ludhiana, Naya Nangal, Pathankot/Dera Baba, Patiala
HP7Baddi, Damtal, Kala Amb, Nalagarh, Paonta Sahib, Parwanoo, Sunder Nagar
Odisha6Angul, Balasore, Bhubneshwar, Cuttack, Rourkela, Talcher
AP5Guntur, Kurnool, Nellore, Vijaywada, Visakhapatnam
Assam5Guwahati, Nagaon, Nalbari, Sibsagar, Silchar
MP5Bhopal, Dewas, Indore, Sagar, Ujjain
Rajasthan5Alwar, Jaipur, Jodhpur, Kota, Udaipur
Karnataka4Bengaluru, Devanagere, Gulburga, Hubli-Dharwad
Telangana3Hyderabad, Nalgonda, Patencheru
Chhattisgarh2Bhillai, Korba
Nagaland2Dimapur, Kohima
Uttarakhand2Kashipur, Rishikesh
Chandigarh1Chandigarh
Delhi1Delhi
Gujarat1Surat
J&K1Jammu
Jharkhand1Dhanbad
Meghalaya1Byrnihat
TN1Tuticorin
West Bengal1Kolkata
Total cities94

Source: Lok Sabha

एक वैश्विक अध्ययन के अनुसार, 2015 में, गैर-संक्रमणीय बीमारियों (एनसीडी) के कारण भारत में हुई 10.3 मिलियन मौतों में से 2.5 मिलियन प्रदूषण से जुड़ी हुई थीं। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 3 जनवरी, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।

अध्ययन में कहा गया है कि शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और इस कारण पुरानी बाधात्मक फुफ्फुसीय बीमारी, कैंसर, मधुमेह और अन्य प्रदूषण से संबंधित बीमारियों की घटनाओं में वृद्धि हुई है। अध्ययन में कहा गया है कि 27 फीसदी भारतीयों की मौत वायु प्रदूषण से संबंधित कारणों से हुई है। यह आंकड़े चीन में समान रूप से मृत्यु के अनुपात से अधिक है।

कम और मध्यम आय वाले समूह प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। उस आय समूह में प्रदूषण के कारण 92 फीसदी मौतें हुईं, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 14 नवंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।

तकनीकी रूप से ‘नान- अटैन्मन्ट सिटी’ कहे जाने वाले 94 शहरों को राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम के हिस्से के रूप में पहचाना गया था। इस कार्यक्रम के तहत देश भर में 300 शहरों / कस्बों में 683 ऑपरेटिंग स्टेशन सप्ताह में दो बार एक दिन के लिए सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन में ऑक्साइड की मात्रा, पीएम-10और पीएम-2.5 की निगरानी होती है।

(विवेक विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड से जुड़े हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 23 अप्रैल, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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