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हाल ही में जारी किए गए जनगणना के आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, भारत में कम से कम 19 मिलियन (या 1.9 करोड़ ) महिलाएं सात या अधिक बच्चों को जन्म देती हैं और इनमें से 15 मिलियन (या 1.5 करोड़) – 80 फीसदी - महिलाएं ग्रामीण इलाकों में रहती हैं।

यह आंकड़ें नाइजर की आबादी के बराबर हैं, अफ्रिका का एक देश जहां प्रजनन दर 6.76 है। सबसे अधिक प्रजनन वाले देश अधिकांश अफ्रिका में स्थित हैं।

आंकड़ों से आगे पता चलता है कि उच्च शिक्षा स्तर के साथ महिलाओं की संख्या काफी कम है – इनमें 15 मिलियन (या 1.5 करोड़) महिलाएं अशिक्षित थीं जबकि 0.09 मिलियन (या 0.9 लाख) महिलाएं स्नातक या अधिक पढ़ी हैं।

7 से अधिक बच्चों को जन्म देने वाली महिलाएं

शिक्षा के स्तर अनुसार 7 से अधिक बच्चों को जन्म देने वाली महिलाएं

शिक्षित महिलाएं कम बच्चों को जन्म देती हैं, 2001 से प्रति महिला औसत जन्म में गिरावट

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में प्रति महिला बच्चों का औसत जन्म 3.3 है। यह 2001 में 3.8 के आंकड़े से 13 फीसदी की कम है। आंकड़े 45-49 वर्ष के आयु वर्ग में महिलाओं द्वारा दिए गए कुल जन्मों के आधार पर दिए गए हैं (जो उनके बच्चे पैदा करने की उम्र के अंत को चिन्हित करता है।)

केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) के अनुमान के अनुसार भारत की प्रति महिलाओं का औसत प्रजनन दर 2.48 है जो ब्रिक्स देशों में सबसे अधिक है और उपमहाद्वीप में केवल पाकिस्तान से बेहतर है।

नेपाल, भूटान, श्रीलंका और बांग्लादेश में कम प्रजनन दर है।

हालांकि, सीआईए के आंकड़े जनगणना से अलग है, प्रवृति संकेत देते हैं कि उप -महाद्वीप देशों और इसी तरह की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारतीय महिलाओं के प्रजनन दर अधिक है।

जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक शिक्षा के स्तर में वृद्धि के साथ औसत जन्म में गिरावट हुई है। स्नातक या उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाओं का औसत जन्म 1.9 है जबकि अशिक्षित महिलाओं के संबंध में यह आंकड़े 3.8 है।

द इकोनोमिस्ट द्वारा इस रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं में प्रजनन क्षमता गिरने का संभावित कारण महिलाओं में शिक्षा का प्रसार होना है। जनगणना के अनुसार, भारत में महिला साक्षरता, 2001 में 53.7 फीसदी से बढ़ कर 2011 में 64.6 फीसदी हुआ है।

ग्रामीण इलाकों में, प्रति 1,000 पुरुषों पर में कम से कम 1,423 महिलाएं ऐसी हैं जो किसी भी प्रकार के शिक्षण संस्थान नहीं गई हैं एवं ग्रामीण इलाकों में ही प्रति 1000 पुरुषों पर केवल 577 महिलाएं ऐसी हैं जो कॉजेल गई हैं। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने पहले भी बताया है।

शिक्षा अनुसार प्रति महिला औसत बच्चे

नोट - विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक महिला के लिए बच्चे पैदा करने की उम्र औसत 15-49 साल है। इसलिए, हमने प्रति महिला बच्चों का औसत निर्धारण करने के लिए नमूना सेट के रूप में 45-49 साल ले लिया है

15 वर्ष से कम उम्र की 320,000 लड़कियां दे चुकी हैं दो बच्चों को जन्म

कम से कम 0.32 मिलियन (या 3.2 लाख) लड़कियां ऐसी हैं जो शादीशुदा हैं और 15 वर्ष से कम उम्र की हैं एवं दो बच्चों को जन्म दे चुकी हैं – 2001 से 88 फीसदी की वृद्धि जब आंकड़ा 0.17 मिलियन (1.7 लाख) था।

इसके अलावा, 5-19 वर्ष के आयु समूह में 0.28 मिलियन (2.8 लाख) शादीशुदा लड़कियां चार बच्चों को जन्म दे चुकी हैं, जो 2001 में 0.17 मिलियन के आंकड़ो से 65 फीसदी अधिक है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, किशोर गर्भावस्था से एनीमिया , मलेरिया, एचआईवी और अन्य यौन संचरित संक्रमणों , प्रसवोत्तर रक्तस्राव और मानसिक विकार जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

10-19 आयु वर्ग की कम से कम 12.7 मिलियन (या 127 लाख) लड़कियां शादीशुदा हैं और छह मिलियन या 60 लाख बच्चों को जन्म दे चुकी हैं, जैसा कि इंडियास्पेंड ने पहले भी बताया है।

आयु अनुसार वैवाहिक स्थिति

नोट:

  • “सभी उम्र” में “उम्र नियत” नहीं किया गया है।
  • “साक्षर” में “बिना शिक्षा स्तर के साक्षर” को शामिल किया गया है और “शैक्षिक स्तर वर्गीकरणीय नहीं”।
  • “कभी विवाहित महिलाओं”, में वर्तमान में शादीशुदा, विधवा , तलाकशुदा और अलग हुई महिलाएं शामिल हैं।
  • “मैट्रिक / माध्यमिक लेकिन स्नातक से नीचे” में “गैर तकनीकी डिप्लोमा और सर्टिफिकेट डिग्री के गैर बराबर” शामिल हैं।
  • ऊपर प्रतिवाद के कारण आंकड़ों में अतिव्यापन हो सकता है। इसलिए, उप शीर्षकों को संचयी रुप से जोड़ना समग्र आंकड़ों के बराबर नहीं हो सकता है।

( साहा नई दिल्ली स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं। )

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