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इंडिया स्पेंड के एक विश्लेषण के अनुसार ,मुंबई में भारत की सर्वश्रेष्ठ से भी कहीं अधिक सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना है - लेकिन अब भी इसे अपने सेवा की पहुंच से बाहर नागरिकों तक सक्षम सेवा पहुंचाने के लिए अपनी चिकित्सा कर्मियों और स्वास्थ्य सुविधाओं को कम से कम दोगुना करने की जरूरत है

प्रजा, एक वकालत संस्थान की हाल ही में जारी एक रिपोर्ट "स्वास्थ्य की स्थिति" के अनुसार राज्य और नगर निगम के अस्पतालों में स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता और नर्सों की ज़रूरत अनुसार संख्या में 26 % कमी है और डॉक्टरों 44% तक कम हैं। रिपोर्ट यह भी कहती है कि राज्य के मेडिकल कॉलेज, जो अस्पताल के रूप में भी सेवा करते हैं, उनमे 38% से व्याख्याताओं की कमी है और 25% से पैरामेडिकल स्टाफ भी कम है ।

मुंबई के मौजूदा स्वास्थ्य अवसंरचना योजना 5.2 और 7 लाख लोगों कोसुविधाएँ प्रदान करने के लिए 1950 और 1980 के बीच बनाई गईं थी जबकि वर्तमान में लगभग यह 13 लाख लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं, जैसा की विश्व बैंक के अध्ययन में कहा गया है ।

अधिकांशतः मुंबई के लोग राज्य संचालित अस्पतालों की सुविधाएं सस्ती होने के कारण उन्ही का उपयोग करते हैं । उदाहरण के लिए, जहां एक सरकारी अस्पताल में एक एंजियोप्लास्टी का कुल खर्च 75,000 रुपये के आसपास आता है वहीं एक निजी अस्पताल प्रभार उसी प्रक्रिया के लिए लगभग 3 लाख 3.5 लाख रूपये के बीच खर्चा आता है।

मुंबई की स्वास्थ्य सेवा ,शहरी भारत की स्वास्थ्य सेवा में उभरती चुनौतियों का प्रतिनिधित्व करती है। मुंबई भारत के सबसे तेजी से बढ़ते और सबसे अधिक घनी आबादी वाले शहरों में से एक है। हालाँकि महाराष्ट्र भारत की दूसरी सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है , मुंबई -जिसके पास राज्य के भूमि क्षेत्र का केवल 0.19% हिस्सा है -में राज्य की जनसंख्या (और भारत की आबादी की 1.03%) की 12% हिस्सेदारी है। स्वास्थ्य सेवा में इतनी चुनौतियाँ होना तो स्वाभाविक ही है।

मुंबई की स्वास्थ्य अवसंरचना ग्रेटर मुंबई की नगर निगम (एमसीजीएम), महाराष्ट्र सरकार और सार्वजनिक न्यास और निजी अस्पतालोंके मालिकों द्वारा प्रदान की जाती है। एमसीजीएम प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्तर की स्वास्थ सेवा स्वास्थ्य पदों, औषधालयों और प्रसवोत्तर केन्द्रों के माध्यम से प्रदान करता है। भारत भर में अलग-अलग शहरों में पंजीकृत स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की संख्या से पता चलता है कि कोई भी भारतीय शहर मुंबई की विस्तृत स्वास्थ सेवा से मुकाबला नही कर सकता जैसा की नीचे दिए गए चार्ट से भी स्पष्ट होता है:

भारतीय शहरों में सार्वजनिक और निजी अस्पताल

मुंबई में 16 नगर निगम के सामान्य अस्पताल, पांच प्रसूति घर, 26 विशिष्ट सेवा अस्पताल, 162 नगरपालिका औषधालय और 162 स्वास्थ्य पदों का एक सम्पूर्ण तंत्र है । इसके अलावा, राज्य सरकार का एक मेडिकल कॉलेज अस्पताल, तीन सामान्य अस्पताल और दो स्वास्थ्य इकाइयाँ भी हैं । इन अस्पतालों में निःशुल्क या नगण्य शुल्क द्वारा गरीब मरीजों को स्वास्थ सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं , बहुत से लोग निजी सुविधाएँ पसंद करते हैं; यही कारण है निजी अस्पतालों की संख्या सरकार द्वारा चलाए जा रहे अस्पतालों से अधिक है ।

मुंबई में सरकारी अस्पताल 20,000 रोगियों की सेवा करने में सक्षम हैं ; निजी अस्पताल प्रतिदिन 22,000 रोगियों की देखभाल कर सकते हैं।

यह संख्या भले ही प्रभावशाली हो लेकिन तेज़ी से बदलती दुनिया में यह अन्य देशों की तुलना में फीके पड़ जाते हैं। दुनिया भर के शहरों में प्रति 100,000 लोगों के लिए उपलब्ध डॉक्टरों पर एक नजर डालें।

54 डॉक्टर प्रति एक लाख व्यक्ति के साथ, मुंबई की स्थिति सिर्फ जकार्ता से ही बेहतर है। न्यूयॉर्क शहर में प्रति 100,000 लोगों के लिए केवल 393 डॉक्टर हैं । क्रमश: 355 और 296 के साथ बीजिंग और शंघाई की स्थिति मुम्बई से काफी बेहतर है ।

एमसीजीएम के द्वारा स्वास्थ्य पर किए गए समग्र व्यय पर हम एक नजर डालते हैं।

बीएमसी द्वारा स्वास्थ्य पर व्यय

पिछले तीन साल से स्वास्थ्य पर होने वाला व्यय काफी अधिक बढ़ गया है, लेकिन नीचे दी गई तालिका इंगित करती है की सिर्फ इतना पर्याप्त नहीं है:

मुंबई के सरकारी अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी

(% में आंकड़े)

प्रजा की रिपोर्ट के इस चार्ट से पता चलता है की राज्य और नगर निगम के अस्पतालों डॉक्टरों और सहयोगी स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं । जैसा की एक आगामी इंडिया स्पेंड रिपोर्ट से पता चलता है कि मुंबई में बढ़ती बीमारियों के बोझ को देखते हुए- सरकार की इस विषय में प्राथमिकताऐं स्पष्ट होनी चाहिए।

छवि आभार : विकिपीडिया कॉमन्स

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