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मुंबई: एक अध्ययन के अनुसार, नीतिगत बदलावों के बावजूद, वर्तमान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और इससे पहेल कांग्रेस द्वारा संचालित शासन के दौरान, भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के "व्यापक चरित्र में कोई ठोस परिवर्तन नहीं हुआ है।"

यह अध्ययन नई दिल्ली स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट (आईएसआईडी) द्वारा किया गया है और रिपोर्ट जुलाई, 2010 मेंआई है। अध्ययन कहता है कि, "पिछले तीन वर्षों के दौरान रिपोर्ट किए गए बड़े प्रवाह व्यापक रुप से नई सरकार द्वारा उठाए गए कदम की वजह से हैं। हमने देखा है कि... एफडीआई नीति में बदलाव से केवल सीमित प्रभाव हो सकता है।”

बीमा, रक्षा और डॉयरेक्ट-टू-होम टेलिविजन सेवाएं ( जिसके लिए नीति में छूट दी गई थी) जैसे क्षेत्रों में अक्टूबर 2014 और मार्च 2017 (नवीनतम डेटा उपलब्ध) के बीच भारत में 19% एफडीआई रहा है। आईएसआईडी अध्ययन के अनुसार यह पिछले दो वर्षों में 21 फीसदी से दो प्रतिशत अंक कम है। आईएसआईडी अध्ययन में 2007-08 और 2016-17 के बीच एफडीआई का विश्लेषण किया गया है।

विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई प्रवाह केवल 37 फीसदी कंपनियों के पास गया है। 16 फीसदी ने नई क्षमता में योगदान दिया या 29 महीने में मुसीबत में पड़ी कंपनियों को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया है। एफडीआई के प्रत्यावर्तन, तकनीकी रूप से जिसे विनिवेश अनुपात कहा जाता है ( विदेशी मुद्रा को दूसरे देश में भेजने की प्रक्रिया ) पिछले छह वर्षों से 2017 तक छह प्रतिशत अंक बढ़ा है, जैसा कि आईएसआईडी अध्ययन में कहा गया है।

अक्टूबर 2014 और मार्च 2017 के बीच 30 फीसदी से अधिक एफडीआई विनिर्माण में नहीं गया है, जबकि अक्टूबर 2012 से सितंबर 2014 के दौरान ये आंकड़े 48 फीसदी थे।

एफडीआई को आकर्षित करना सरकार के मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के तीन मुख्य लक्ष्यों में से एक था, जिसने 25 क्षेत्रों के साथ एफडीआई का उपयोग करने के लिए विशिष्ट संदर्भ दिया, उनमें से लगभग आधा विनिर्माण में नहीं था, स्पेशल फोकस के लिए इस्तेमाल हुआ।

जैसा कि, 2017-18 में एफडीआई का स्तर 61 बिलियन डॉलर (4,12,887 करोड़ रुपये) के उच्च रिकार्ड तक पहुंच गया है, अध्ययन ने यह आकलन करने का प्रयास किया कि यह निवेश भारत की अर्थव्यवस्था में कितना मदद कर रहा था, जो दुनिया का छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

इसमें "सर्वोत्तम अनुमान" लगाया गया है और आधिकारिक आंकड़ों में विकृतियां, देरी और डुप्लिकेट रिपोर्टिंग और गणना की खामियों को सूचीबद्ध किया गया है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में एफडीआई 2013-14 में 36 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2016-17 में 60 बिलियन डॉलर हो गया है, जो कि अब तक का उच्च रिकॉर्ड है, लेकिन सकल घरेलू उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद) के अनुपात के रुप में यह घटा है, जैसा कि FactChecker ने जून 2018 में बताया है।

कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए -1, अप्रैल 2004 से मई 2009) की अवधि के दौरान, सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में एफडीआई 0.9 फीसदी से 2.7 फीसदी तक बढ़ गया, 2008 में 3.6 फीसदी की चोटी तक पहुंच गया (1975 के बाद से सबसे ज्यादा)। यूपीए -2 (मई 2009 से मई 2014) के दौरान, अनुपात 2.7 फीसदी से 1.7 फीसदी तक गिर गया और वर्तमान एनडीए प्रशासन 2016 में 1.7 फीसदी से 2 फीसदी तक गया है।

भारत के जीडीपी के रुप में एफडीआई, 2005-16

अक्टूबर 2014 और मार्च 2016 के बीच अध्ययन द्वारा पहचाने गए 2.32 बिलियन डॉलर या 137 मूल्यांकन किए गए निवेशों में से 17 फीसदी से अधिक या 385 मिलियन डॉलर से अधिक ने नई क्षमता निर्माण में ( जिसमें कंपनियों में कौशल निर्माण, कर्मचारियों को भर्ती और प्रशिक्षण देना शामिल है, जिससे फर्मों में उत्पादन में वृद्धि होती है ) या या मुसीबत में पड़ी कंपनियों को आगे बढ़ाने में योगदान नहीं दिया गया है, जैसा कि अध्ययन में बताया गया है।

2014 के अगस्त में एफडीआई नीति में बदलाव

भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने रक्षा उद्योगों में विदेशी निवेश पर कैप बढ़ाने और विदेशी निवेश को रेलवे बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने की इजाजत देकर अगस्त 2014 में एफडीआई नीति को उदारीकृत किया था।

भारत के एफडीआई प्रवाह का एक महत्वपूर्ण पहलू प्रत्यावर्तन / विनिवेश की पर्याप्त मात्रा है (धन जो माल और सेवाओं या शेयरों की बिक्री के माध्यम से भारत में कमाई करते हैं जिन्हें मूल के देश में वापस भेजा जा सकता है)।

एफडीआई प्रवाह में विनिवेश / प्रत्यावर्तन का अनुपात, जो कि 2010-11 के दौरान 30 फीसदी था, 2016-17 में लगभग 36 फीसदी तक पहुंच गया। 2017-18 (जनवरी तक) का अनुमान लगभग 47 फीसदी है।

बढ़ते विनिवेश के ये आंकड़े विदेशों में विदेशी कंपनियों द्वारा भुगतान किए गए लाभांश और प्रौद्योगिकी और अन्य सेवाओं के लिए भारतीय कंपनियों द्वारा किए गए भुगतानों के माध्यम से बाह्य प्रेषण के अतिरिक्त हैं।

अध्ययन में कहा गया है, "एफडीआई नीति का असली परीक्षण यथार्थवादी एफडीआई (आरएफडीआई) के रूप में देखते हैं और इससे लाभ लेते हैं। वित्तीय निवेशक जो आरएफडीआई निवेशकों से अलग हैं मुख्य रूप से घरेलू उद्यमियों द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं में निवेश करते हैं।"

एफडीआई प्रवाह को तेजी से ऑफसेट करने के लिए प्रत्यावर्तन / विनिवेश

Source: Institute for Studies in Industrial Development Study Calculations *Data as of January 2018

आईएसआईडी में फेलो और अध्ययन के सह-लेखक, के.एस. चालापति राव ने इंडियास्पेंड को बताया, "यथार्थवादी एफडीआई पूंजी, प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और अन्य कौशल के एक पैक किए गए हस्तांतरण का प्रतिनिधित्व करता है, जो आंतरिक रूप से बहुराष्ट्रीय कंपनियों (जैसे सुजुकी मोटर्स, जो लगभग 40 वर्षों से भारत में रहा है) के बीच होता है।"

अक्टूबर 2014 और मार्च 2016 के बीच, आरएफडीआई का हिस्सा 50 फीसदी से थोड़ा ऊपर था। इस प्रकार, मार्च 2016 तक प्राप्त होने वाले प्रवाह की प्रकृति को देखें तो पिछले वर्षों (2004-05 से 2013-14) की तुलना में प्रवाह के व्यापक चरित्र में कोई बदलाव नहीं आया था।

क्या मेक इन इंडिया एफडीआई को आकर्षित कर रहा है?

मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को विनिर्माण केंद्र में विकसित करना है, और ऐसा करने के तरीकों में से एक एफडीआई के माध्यम से था।

अध्ययन के लिए विश्लेषण किए गए 1,188 कंपनियों में से केवल 37 Hrmor या 442 विनिर्माण क्षेत्र में थे और 746 अन्य गतिविधियों में थे। अक्टूबर 2014-मार्च 2016 के दौरान इन कंपनियों ने 51.7 बिलियन डॉलर के एफडीआई को आकर्षित किया, विनिर्माण क्षेत्र में 26 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि 74 फीसदी सेवाओं सहति गैर-विनिर्माण के लिए के लिए रहे।

विनिर्माण में एफडीआई प्रवाह का वितरण, अक्टूबर 2014 से मार्च 2016 तक

Distribution Of FDI Inflows In Manufacturing, October 2014 To March 2016
IndustryCompaniesRealistic Foreign Direct Investment (RFDI, In $ million)Non-Realistic Foreign Direct Investment (In $ million)Total (In $ million)Share of RFDI (In %)
· Transport Equipment (incl. parts, etc.) (7.9%)753,890.401824,072.4095.5
· Chemicals (4.5%)731,693.40623.92,317.3073.1
· Machinery & Equipment (2.7%)701,109.30269.81,379.1080.4
· Food Products & Beverages (2.2%)46897.7247.31,145.0078.4
· Coke & Refined Petroleum Products (1.8%)3929.56.1935.699.3
· Metals & Metal Products (1.4%)42504.7196.8701.571.9
· Electrical Machinery & Apparatus (1.4%)30503.2196.6699.871.9
· Rubber & Plastic Products (1.3%)20477.9193.3671.371.2
· Non-metallic Mineral Products (0.5%)19195.588.7284.268.8
· Paper & Paper Products (0.4%)7185.620.8206.589.9
· Radio, Television & Communication8100.978.9179.856.1
· Medical, precision & optical instruments,etc. (0.3%)10117.326.1143.581.7
· Office, Accounting & Computing machinery (0.2%)5112.67.9120.693.4
Total44211,070.002,492.3013,562.4081.6

Source: Institute for Studies in Industrial Development Study Calculations

Note: Data for only 1,188 companies analysed by the study.

विनिर्माण क्षेत्र में अकेले परिवहन-उपकरण क्षेत्र में एफडीआई का 30 फीसदी हिस्सा था। इस क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भारतीय सहायक कंपनियों को मूल कंपनियों को रॉयल्टी के रूप में धन वापस भेजने के लिए जाना जाता है। उदाहरण के लिए, मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआईएल) ने रॉयल्टी / तकनीकी जानकारियों के रूप में 3.6 बिलियन डॉलर का भुगतान किया- आठ साल से 2017 तक, जबकि सुजुकी ने मार्च 2016 तक केवल 870 मिलियन डॉलर का निवेश किया था।

वर्ष-दर-साल आधार पर, 2015-16 के दौरान विनिर्माण का हिस्सा 25 फीसदी से बढ़ कर 2016-17 तक 33 फीसदी हुआ है। हालांकि, जैसा कि हमने कहा, अक्टूबर 2014 से मार्च 2017 के बीच 30 फीसदी एफडीआई विनिर्माण को गया है, जबकि अक्टूबर 2012 से सितंबर 2014 के दौरान यह 48 फीसदी था।

एफडीआई प्रवाह का क्षेत्रीय वितरण

Sectoral Distribution Of FDI Inflows
SectorOct 2012 – Sept 2014Oct 2014 – March 172015-162016-17
Services44%64%69%62%
Manufacturing48%30%25%33%
Energy (incl. Petroleum & Natural Gas)6%4%4%5%
Primary2%1%1%0.30%
All Sectors100%100%100%100%
Inflows ($ billion)48.499.74043.5

Source: Institute for Studies in Industrial Development Study Calculations

एफडीआई की रिपोर्टिंग में त्रुटी

अध्ययन के दौरान देर से रिपोर्टिंग, नोशनल इन्फ्लो, अनुचित औद्योगिक वर्गीकरण और "राउंड-ट्रिपिंग" को रिपोर्टिंग त्रुटियों के रूप में रेखांकित किया गया।

राउंड ट्रिपिंग वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पैसा विदेशी देश में प्रवाह होता है ( जैसे बहामा ) जो एक ‘फॉरन एक्सचेंज हेवन’ के रूप में कार्य करता है और एफडीआई के रूप में वापस आता है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की 2016-17 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, अनिवार्य ऑनलाइन फाइलिंग जैसे कठिन डिस्क्लोश़र लॉ ने डुप्लिकेट और गलत प्रविष्टियों, नोशनल इन्फ्लो और अनुचित औद्योगिक वर्गीकरण का खुलासा किया है।

केंद्रीय बैंक की अंतिम रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 में इन उपायों का असर सामने आया था। अगस्त 2017 में नेट एफडीआई की रिपोर्ट 37.3 बिलियन डॉलर थी, जो जून 2018 में 30.3 बिलियन डॉलर (19 फीसदी नीचे) हो गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016-17 के दौरान विश्लेषण किए गए प्रत्येक 50 मिलियन डॉलर के एफडीआई के 137 शाखाओं में डुप्लिकेट और नोशनल इन्फ्लो ने 10 फीसदी और 12 फीसदी का गठन किया है।

उदाहरण के लिए, जिंदल स्टील ने 719 मिलियन डॉलर की डुप्लिकेट प्रविष्टि की सूचना दी, जो 2016-17 के दौरान मेटलर्जिकल इंडस्ट्री में लगभग आधे एफडीआई के लिए जिम्मेदार है।

2017-18 में रीअलिस्टिक एफडीआई के 60 फीसदी को डुप्लिकेट प्रविष्टियों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था, और लगभग सभी रीअलिस्टिक एफडीआई विदेशी प्रवाह था, जैसा कि अध्ययन में पाया गया है।

राव कहते हैं, " नोशनल इन्फ्लो मूल रूप से परिसंपत्तियों का हस्तांतरण होता है और प्रवाह नहीं करता है।" "उदाहरण के लिए, अंबुजा सीमेंट ने 1,660.59 मिलियन डॉलर का प्रवाह दिखाया, जो होलसीम को शेयर जारी कर रहा था,जिसका जो उसके साथ विलय हो गया था। यह 77 फीसदी एफडीआई सीमेंट प्रवाह के लिए जिम्मेदार है।"

एफडीआई रिपोर्टिंग में त्रुटियां

राव कहते हैं, "अकेले प्रवाह पूरी तस्वीर दिखाने में सक्षम नहीं है, यह केवल उस पैसे को दिखाता है जो आने वाला है। जमीन पर क्या हो रहा है, यह जानने के लिए आपको कंपनी स्तर के डेटा को देखने की जरूरत है। विभिन्न स्रोतों से आए डेटा को मिलाने की आवश्यकता है,जैसे कि कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट, केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय, आरबीआई, वाणिज्यिक खुफिया निदेशालय और सांख्यिकी और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय। जिन देशों ने अपने एफडीआई का प्रबंधन किया है, वे एफडीआई द्वारा प्रबंधित किए गए लोगों से अधिक लाभान्वित हैं। "

(सालवे विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं। )

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 5 सितंबर, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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