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दिल्ली / मुंबई : अगर आप एक शिक्षित और आर्थिक रूपे से संपन्न जैन, क्रिस्टियन या उच्चजातीय हिन्दू हैं तो ज्यादातर संभावनाएं हैं कि आप की शादी व्यस्क उम्र 18 से पहले नही होगी. एक अध्यन के अनुसार |

कुछ प्रमुख उल्लेखनीय बातें ;-

  • अशिक्षित और किशोर वय में गर्भ धारण करने वाली किशोर वय लड़कियों/ महिलाओं की संख्या 9 गुना अधिक है – जब हम शिक्षित लड़कियों से तुलना करते हैं |

  • शहरी लड़कियां औसतन ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों से 2 वर्ष बाद विवाह करती हैं | धनी महिलाऐं – गरीब महिलाओं की तुलना में ज्यादा देर से विवाह करती हैं |

  • आसाम की आदिवासी महिलाऐं जिनके यहाँ पारंपरिक/ वैधानिक शादी के बाद पति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति से भी सम्भोग करनें की सामजिक/ पारंपरिक छूट है – उनकी शादी की उम्र ज्यादा होती है |

दिल्ली स्थित स्वायत्त शासी संस्था “निरंतर” नें 7 राज्यों में विवाहों के उम्र पैटर्न्स पर एक अध्यन में प्रकाशित किया कि अनुसूचित/ निम्न जातियों में लड़कियों की शादी की उम्र क्रमशः धीमी गति से बढ़ रही है, वनस्पति उच्चजातियों में होने वाली शादियों से |

भारत में विभिन्न धार्मिक सम्प्रदायों की लड़कियों की शादियाँ की औसत उम्र क्रमिक बढ़त में है जो कि उम्र अनुसार: जैन लड़कियां – 20.8 वर्ष , क्रिस्टियन- 20.6 वर्ष , सिख लड़कियां – 19.9 वर्ष | हिन्दू मुस्लिम किशोरियों की पहली शादी की औसतन उम्र 16.7 वर्ष पायी गई |

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Source: National Family Health Survey 3, 2005-06

दिल्ली स्थित स्वायत्त शासी संस्था “निरंतर” नें 7 राज्यों में विवाहों के उम्र पैटर्न्स पर एक अध्यन में प्रकाशित किया कि अनुसूचित/ निम्न जातियों में लड़कियों की शादी की उम्र क्रमशः धीमी गति से बढ़ रही है, वनस्पति उच्चजातियों में होने वाली शादियों से |

भारत में विभिन्न धार्मिक सम्प्रदायों की लड़कियों की शादियाँ की औसत उम्र क्रमिक बढ़त में है जो कि उम्र अनुसार: जैन लड़कियां – 20.8 वर्ष , क्रिस्टियन- 20.6 वर्ष , सिख लड़कियां – 19.9 वर्ष | हिन्दू मुस्लिम किशोरियों की पहली शादी की औसतन उम्र 16.7 वर्ष पायी गई |

वर्ष 2011 की भारत जनगणना अनुसार 1.2 बिलियन के 80% जनसँख्या हिन्दू- मुस्लिम मिलाकर 973 मिलियन यानि की भारत की 80% जनसँख्या का बड़ा घटक हिन्दू - मुस्लिम है |

भारत में किशोरवय गर्भावस्था और मातृत्व हिन्दू मुस्लिम सम्प्रदायों में सबसे ज्यादा अन्यों की तुलना में 16% है- जो कि किशोरावस्था गर्भवती होने और कच्ची उम्र में शादी होने के बीच एक निश्चित सम्बन्ध बनाती दिखती हैं |

भारत में किशोरवय में लड़कियों की शादी होने के मुख्य कारक तत्व क्या हैं ;-

निरंतर नामक संस्था द्वारा प्रकाशित अध्यन अर्ली चाइल्ड मैरिज इन इंडिया : ए लैंडस्केप एनालिसिस में कहा है कि भारतीय लड़कियों की शादी उम्र से कुछ महत्वपूर्ण सामाजिक कारक तत्व का सीधा संबंध दिखता है – जैसे, परिवार की आमदनी, ग्रामीण/ शहरी परिवेश समुदाय / संप्रदाय विशेष, जाति और शिक्षा के स्तर / या निरक्षर हैं |

निरंतर संस्था समाज के पिछड़े/ और वंचित वर्ग की महिलाओं के उन्नयन हेतु समर्पित है – और उसका कहना है कि इन वंचित महिलाओं का स्तर को सुधारने के लिए समाज को अपने विचारों (माइंड-सेट) और प्रवृत्तियों को इनके प्रति सकारात्मक करना होगा और इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि इन वंचित महिलाओं को सिर्फ एक बड़ी केटेगरी में बच्चे कहकर- जो वर्गीकरण किया गया है – वह गलत है और इसको हटाना चाहिए |

यद्यपि उक्त आंकड़े विभिन्न तरह की बालिका- वधुओं की चर्चा करते हैं, लेकिन साथ ही साथ बाल विवाहों की संख्या में कमी आ रही है उक्त अध्ययन के अनुसार बीस वर्ष की शादीशुदा भारतीय महिलायें शादी के समय 15 साल की उम्र से कम थी |

भारतीय महिला को बहुत समय से कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता चला आ रहा है |

जैसा कि इंडियास्पेंड ने अपनी खोज में पाया कि लगभग 17 मिलियन लडकियां जो कि 10 साल से 19 साल के बीच की हैं – 6% इस उम्र के गैप की शादी ज्यादा उम्र के आदमियों से होती हैं| यह वर्ष 2001 की जनगणना में पाया गया कि इस समाज की कुरीतिक घटना में 0.9 मिलियन की वृद्धि दर्ज की गयी है |

वैसे तो भारत में शादी की कानूनन उम्र 18 है (लड़कियां) अत: उपरोक्त वर्ग के शादी जोड़ों में एक की उम्र व्यस्क (एडल्ट) हो सकती है लेकिन दोनों साथियों की नहीं | इन शादी शुदा बच्चों में 76% या 12.7 मिलियन लड़कियां उक्त जनगणना आंकड़ों के अनुसार , केवल 4 मिलियन लड़के इस उम्र वर्ग के शादी शुदा हैं| यह संकलन इस बात को पक्का करता है कि लड़कियां इस देश में वंचनाओं की शिकार हैं |

भारत का सर्वाधिक जनसँख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश बाल विवाह में सबसे आगे है |

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Source: Census; *Married back in 2011

विश्व स्तर पर 720 मिलियन किशोरों की शादी 18 से कम उम्र में हुई जबकी तुलनात्मक रूप से 156 मिलियन लड़के 18 से कम उम्र के थे, ऐसा यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रन फंड (UNICEF) रिपोर्ट में कहा | उक्त किशोरियों की पूरी संख्या भारत में लगभग 240 मिलियन है |

व्यस्क या ज्यादा उम्र की शादियों में शिक्षा और आमदनी का प्रमुख रोल दिखता है |

निरंतर संस्था की रिपोर्ट अनुसार भारत में सर्वाधिक धनी परिवार की लड़कियां (जो भारत सरकार के धन- इंडेक्स में वर्णित 33 संपदाओं से सज्जित हैं) उनकी शादियाँ आर्थिक रूप से विपन्न लड़कियों की तुलना में औसतम 4 साल बाद होती है |

2 दशक पहले अतिसंपन्न महिलाओं और निम्नतम रूप से विपन्न महिलाओं के उम्र ग्रुप 45-49 और 25-29 के बीच में शादी के उम्र गैप का औसत साढ़े 3 साल का था जो कि वर्ष 2007 आते – आते बढ़कर साढ़े 5 वर्ष हो गया |

भारत में पुरुषों के अतिधनिक वर्ग में औसतम शादी की उम्र का औसत 25.3 से 26.3 वर्ष है जब कि निम्न आये वाले पुरुषों की शादी की औसत उम्र 19.6 से 20.1 वर्ष के बीच हैं |

18 से 29 उम्र की लडकियों / महिलाओं की कानूनन योग्य उम्र में शादी हो जाने का औसत 45.6% है जब कि कानूनन शादी उम्र की योग्य में – 21 से 29 – तक का औसत 26.6 % है |

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Source: National Family Health Survey 3, 2005-06

शहरी क्षेत्रों के निवासी औसतन ज्यादा उम्र में शादी करते हैं |

निरंतर संस्था के अध्यन के अनुसार शहरी लड़कियां/ महिलाऐं औसतन ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों / महिलाओं से 2 वर्ष बाद शादी करती हैं |

शहरी क्षेत्रों में लड़कियों की शादी का औसत मध्यमान उम्र 18.8 वर्ष और ग्रामीण क्षेत्र में यह 16.4 वर्ष है |शहरी क्षेत्रों में 15-49 उम्र की महिलाऐं / लड़कियों में से एक चौथाई की शादी परिस्थितियां वश नहीं हो पाती हैं – यह ग्रामीण क्षेत्रों में 17% रह जाता है |

शहरी क्षेत्रों में 15-49 वर्ष के लड़के/ पुरुष , जिनकी शादियाँ परिस्थिति वश नहीं होती – वो 42% है और इस उम्र वर्ग के ग्रामीण लोगों का % 32 पाया गया |

अशिक्षित / निरक्षर किशोर उम्र की लड़कियों में गर्भधारण 9 गुना अधिक हैं शिक्षितों की तुलना में |

25-49 उम्र की शिक्षित भारतीय लड़कियों/ महिलाओं (जो लगभग कक्षा 12 तक पढ़ी हों) और इसी उम्र ग्रुप की अशिक्षित/ निरक्षर लड़कियों / महिलाओं की शादियों की औसत उम्र का मध्यमान में 7 साल का गैप नजर आया |

अशिक्षित / या बहुत कम शिक्षित किशोर उम्र की गर्भावस्था/ किशोरी मातृत्व की घटनाएँ 9 गुना ज्यादा हैं – जब हम शिक्षित या कम से कम कक्षा 12 तक पढ़ी लड़कियों से तुलना करते हैं | लगभग 258 मिलियन भारतीय लड़कियां / महिलाएं अशिक्षित है | वर्ष 2001 में यह संख्या 272 मिलियन थी, वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार |

भारत में बीच में स्कूल/कॉलेज लड़कियों द्वारा छोड़े जाने का मुख्य कारण शादी भी होता है | जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में कुल अचानक स्कूल छोड़ने में – 6% और शहर में आज 2%लड़कियां शिक्षा शादी की वजह से छोड़ देती हैं |

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Girls in Murshidabad, West Bengal, who are beneficiaries of a central government scheme SABLA that aims to improve the health and life skills of adolescent girls. Image: Nirantar

कैसे आसामी आदिवासी इलाकों के लोग देर से शादी करते हैं : स्वछंद संभोग द्वारा

उक्त अध्ययन रिपोर्ट में एक महत्वपूर्ण बात पायी गयी है कि असम के आदिवासी इलाकों में और केरल राज्य में बाल विवाहों की निम्न दर पाई गयी है और इस अध्ययन से इन राज्यों में इस संदर्भ में क्या सीखा या निष्कर्ष निकाला जा सकता है |

उक्त दोनों राज्यों में पाया गया है कि केरल राज्य में शिक्षा और आदिवासी इलाकों में मात् सत्तात्मक समाज – दो प्रमुख कारण दिखते हैं जिनकी वजह से किशोर वय लड़कियों की शादी दस और उन्नीस वर्ष की बीच में काफी कम यानि कि 11.7 % केरल में 7 % असम में होती है |

आसामी आदिवासी समुदायों ने स्वछंद सेक्स और शादी की संस्था को अलग मान रखा है और अपने जवान बच्चों को शादी- शुदा जिन्दगी के बाहर भी सम्बंध बनाने में कोई रोक – टोक नहीं है |आसाम की आदिवासी जनसँख्या वहां की पूरी जनसँख्या का 12.6 प्रतिशत है,जबकि हिन्दू 64 प्रतिशत और मुस्लिम 30.9 है |

उपरोक्त कारण से उक्त समाजो में शादिया ज्यादा उम्र में होती है | अत: अध्यन में यह बताया की मूल आसामी आदिवासी जनता मात-सत्तात्मक सामाजिक दर्शन के सिद्धांतों से संचालित है और उनके समाज मे महिला सशक्तिकरण को अत्यंत उच्च प्राथमिकता दी जाती है |

उसी तरह केरल राज्य के विकास में शिक्षा प्रधान कारक है और उसके इन प्रयासों से गरीबी हटाने में मदद मिली और शिक्षा के महत्व के पक्ष की 1930 के मध्य-दशक में पुस्तकालय अभियान चलाया, जिसने महिलाओं के लिए उन्मुक्त वातावरण बनाया जिसके करण वहाँ पर महिला और शिशु केंद्र और स्वस्थ राजनीतिक मीटिंग के द्वार खुले |

सोनी और उसकी इच्छाओं- प्राथमिकताओं का संसार

मेरी जिन्दगी की कहानी काफी रोचक है | मैं 14 साल की थी जब मैंने प्यार किया |

सोनी [उसका केवल एक नाम है] खिलखिला कर हंस पड़ी जब उसने अपने किशोरावस्था के प्यार के बारे मे बताया जो कि उसको शादी के बन्धन में ले गया | उसकी इस शादी में किसी प्रकार की जबरदस्ती नहीं की गई | सोनी ने 14 साल की उम्र मे 16 साल के लड़के के साथ शादी मनाया जिससे वह दक्षिणी राजस्थान स्थित अपने गाँव फतेहनगर में मिली |

सोनी, जिसकी अब उम्र 17 वर्ष है , ने आगे बताया कि मेरे पिता बहुत गुस्सा हुये थे, उसने बताया कि उसका सामाजिक जीवन सुधर गया है क्योंकि उसको अब बहुत गाली गलौज वाले चाचा-चाची के साथ नहीं रहना पड़ता है | सोनी अब अपने पति के साथ गुजरात में , जहाँ उसका पति एक फैक्टरी में मजदूर है और वह एक संतुस्ट जीवन जी रही है |

सोनी की कहानी बाल विवाह के कारण उपजी जटिलताओं का खुलासा करती है |

किशोरों की जिंदगियों की इच्छाओं और चुनाओं की ज्यादातर उपेक्षा की जाती है , जब कि सरकार और NGOs बाल- विवाहों के मामले से उत्पन्न जटिलताओं और उनके कारण और निवारण के अध्यन में जुटे रहते हैं |

यह प्रकट तथ्य है कि बाल विवाह जैसी कुप्रथा नें बालिकाओं की शिक्षा और उनका लेंगिक/ जननांगिक स्वास्थ्य और बहुत से मामलों में घरेलू हिंसा की घटनाओं और संभावनाओं में वृद्धि किया है | यहाँ पर एक बहस का मुद्दा शुरू हो सकता है कि अगर किशोरवय की लड़कियां यह कहें कि वो एक बेहतर जिंदगी जी सकती हैं अगर उनकी शादियाँ जितनी जल्दी हो सके – कर दी जाए |

(यह कहानी एक ग्रामीण साप्ताहिक अखबार खबर- लहरिया के सहयोग से प्रकाशित है | खबर लहरिया उत्तर प्रदेश के 5 जिलों और बिहार के एक जिले की महिला पत्रकारों द्वारा प्रकाशित किया जाता है | प्रत्येक जिला का अपना एक संस्करण है जो की उस जिले की स्थानीय भाषा में होता है | प्राची साल्वे एक नीति विश्लेषक , कार्यरत इंडियास्पेंड में हैं )


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