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भारतीयों की तुलना में अमरिकियों की बंदूक द्वारा मारे जाने की संभावना 12 गुना अधिक है। यह जानकारी गन पॉलिसी द्वारा जुटाए आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण में सामने आई है। गन पॉलिसी सिडनी विश्वविद्यालय द्वारा प्रबंधित और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वित्त पोषित एक डेटाबेस है।

हाल ही में, ऑरलेंडो, फ्लोरिडा के एक गे क्लब में एक बंदूकधारी ने 49 लोगों को गोलियों से भून डाला। इस घटना से संयुक्त राज्य अमेरिका में आसान बंदूक स्वामित्व पर एक बार फिर से नई बहस छिड़ गई है।

भारत में बंदूक द्वारा हत्या की दर 0.3 (प्रति 100,000 आबादी) है जबकि अमरिका के लिए यही आंकड़े 3.4 है। भारत में होने वाले मानव हत्यायों में करीब 10 फीसदी बंदूक का इस्तेमाल होता है जबकि अमरिका में 60 फीसदी में बंदूक का इस्तेमाल होता है।

भारत में होने वाले हत्या की दर अन्य अमीर देश, जैसे कि फिनलैंड, फ्रांस और नीदरलैंड, के तुलनीय है। बंदूक से होने वाले हत्या के अधिक मामले – 10 में से 6.7 मामले - भारत के दो सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्यों, उत्तर प्रदेश और बिहार, से दर्ज हुए हैं। इन दोनों राज्यों में 400 मिलियन या 4000 लाख लोग रहते हैं। यह भी स्पष्ट प्रतीत होता है कि भारत का सख्त बंदूक स्वामित्व कानून सहायक है: भारत के 10 मानव हत्या के मामलों में आठ से अधिक बिना लाइसेंस वाले हथियार से हुए हैं।

दुनिया की सबसे अधिक मानव हत्या की 66.6 दर – भारत की तरह 222 गुना अधिक - दक्षिण अमेरिकी देश होंडुरास के नाम है, जिसकी आबादी दिल्ली से आधी है एवं तेलंगना जितना बड़ा है।

जापान, दक्षिण कोरिया, लक्जमबर्ग और हांगकांग में बंदूक हत्या दर शून्य दर्ज की गई है।

आंकड़ों से आगे पता चलता है कि, टॉप 10 देश जहां उच्चतम बन्दूक संचालित हत्या दर दर्ज की गई है उनमें से छह अमरिका में हैं।

बन्दूक के साथ प्रतिबद्ध हत्या के अनुपात के मामले में सूची में सबसे पहला नाम ब्राज़िल (95 फीसदी) का है। दूसरा नाम वेनेजुएला 90 फीसदी और तीसरा होंडुरास 83 फीसदी का है।

मेक्सिको सिटिज़नस काउंसिल फॉर पब्लिक सेक्युरिटी, एक गैर सरकारी संगठन, द्वारा 2015 की इस रिपोर्ट के अनुसार, विश्व के 50 सबसे हिंसक शहरों में, 21 ब्राज़िल के शहरों सहित, 41 शहर लैटिन अमरिका में हैं। पिछले वर्ष वेनेजुएला की राजधानी कराकास में, विश्व में सबसे अधिक हत्या दर दर्ज की गई थी और सबसे अधिक हिंसक शहर का स्थान दिया गया था।

बंदूक द्वारा हत्या

Source: GunPolicy, National Crime Records Bureau

भारत में बंदूक द्वारा होने वाली 85 फीसदी हत्याएं लाइसेंस रहित हथयारों से

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, 2014 में, भारत में कम से कम 3,655 लोगों की हत्या बंदूक द्वारा की गई है, जिसमें से 3,115 (85 फीसदी) लोग लाइसेंस रहित हथयारों से मारे गए हैं।

अमरिका की तुलना में भारत में हथियार के लिए लाइसेंस मिलना काफी मुश्किल है लेकिन देश में हथियारों की अवैध तस्करी बड़े पैमाने पर होती है, विशेष कर बिहार जैसे राज्यों में जो अन्य देशों के साथ सीमा साझा करते हैं, जैसा कि अप्रैल, 2015 में फर्स्टपोस्ट की इस रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है।

बिनलक्ष्मी नेप्रम, भारत के हथियार नियंत्रण फाउंडेशन के महासचिव, ने हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए बताया कि, “आपको लाइसेंस के साथ हथियार खरीदने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि अवैध रुप से बंदूकें आसानी से उपलब्ध है। अमरिका में जो हुए उसके लिए हमें बहुत दुख है, लेकिन हम यह भी जानते हैं कि यह स्थिति भारत में भी हो सकती है।”

भारत में हत्या, 2010-14

National Crime Records Bureau

भारत में बंदूक संबंधित होने वाली हत्याओं में बिहार, उत्तर प्रदेश की 67 फीसदी हिस्सेदारी

उत्तर प्रदेश और बिहार में कम से कम 2,443 लोगों की हत्या बंदूक द्वारा की गई है: 1,510 और 933, देश में हथियार द्वारा हुए कुल हत्याओं (3,655) में इन दो राज्यों की 67 फीसदी की हिस्सेदारी है।

भारत में उत्तर प्रदेश अवैध हथियारों का केंद्र है और 2014 में 24,583 हथियारों ज़ब्त किया गया है। भारत में, पुलिस हिरासत में लिए गए कुल हथियारों में इन आंकड़ों की 44 फीसदी हिस्सेदारी है; 62 फीसदी लाइसेंस रहित, तात्कालिक देसी हथियार हैं, जैसा कि इंडियास्पेंड ने पहले भी विस्तार से बताया है।

2014 में, भारत में बंदूक द्वारा की गई हत्याएं: टॉप 5 राज्य

National Crime Records Bureau

नोट-

  • देश अनुसार हत्याओं पर आंकड़े GunPolicy द्वारा जुटाए गए हैं; अलग अलग वर्षों से डेटा शामिल किए गए हैं।
  • हमने प्रत्येक देश के लिए सबसे हाल की आंकड़े लिए हैं (लेकिन 2008 से पुरानी नहीं) और कुछ देशों को छोड़ा है जो टॉप 10 देशों में हो सकते थे सिवाय कि उनके आंकड़े दस वर्ष से अधिक पुराने थे।
  • वर्ष के आधार पर हत्या दर पर आंकड़े भिन्न हो सकते हैं, लेकिन प्रवृतियां काफी हद तक समान हैं।
  • आंकड़ों में केवल बन्दूक द्वारा की गई हत्याएं शामिल हैं, आत्महत्या और अन्य अनजाने में होने वाली मौतें शामिल नहीं हैं।

(साहा नई दिल्ली स्थित स्वतंत्र पत्रकार है।)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 14 जून 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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