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राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दोगुने से भी अधिक हुए हैं।

पिछले दशक के आंकड़ों पर आधारित इंडियास्पेंड के विश्लेषण के मुताबिक पिछले दशक में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कम से कम 2.24 मिलियन मामले दर्ज करे गये हैं : हर घंटे महिलाओं के खिलाफ अपराध के 26 मामले या दर दो मिनट में एक शिकायत दर्ज होती है।

किसी भी महिला पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से शारीरिक या मानसिक रुप से चोट पहुंचाना ही “महिलाओं के खिलाफ अपराध” कहलाता है। विशेष रुप से महिलाओं के खिलाफ किया गया अपराध एवं जिसमें पीड़ित केवल महिलाएं ही बनती हैं उसे ही “महिलाओं के खिलाफ अपराध” के रुप में वर्गीकृत किया गया है।

महिलाओं के खिलाफ अपराध, 2005-2014

Source: National Crime Records Bureau

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी ) की धारा 498 - ए के तहत पति और रिश्तेदारों द्वारा किसी भी महिला को शारीरिक या मानसिक रुप से चोट पहुंचाना देश में सबसे अधिक होने वाला अपराध है। आंकरों के अनुसार पिछले दस सालों में आईपीसी 498 ए के तहत 909,713 मामले या यूं कहें कि हर घंटे 10 मामले दर्ज की गई है।

महिलाओं के खिलाफ बड़े अपराध

Source: National Crime Records Bureau; Figures represent cases reported. Note: Cruelty by Husband and Relatives (Section 498‐A IPC); Assault on Women with Intent to Outrage Her Modesty (Section 354 IPC); Kidnapping & Abduction of Women (Section 363,364,364A, 366 IPC); Rape (Section 376 IPC); Insult to the Modesty of Women (Section 509 IPC); Dowry Deaths (Section 304‐B IPC).

धारा 354 के तहत किसी भी महिला की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग करना जैसी वारदातें देश में होने वाला दूसरा सबसे अधिक अपराध है। पिछले एक दशक में इस तरह के करीब 470,556 मामले दर्ज की गई है।

महिलाओं को अगवाह एवं अपहरण ( 315,074 )करने जैसी वारदाते देश में होने वाला तीसरा सबसे अधिक अपराध है। बलात्कार ( 243,051 ) , महिलाओं के अपमान ( 104,151 ) और दहेज हत्या ( 80,833 ) अन्य देश में सर्वाधिक होने वाले अपराध है।

पिछले एक दशक में दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 के तहत कम से कम 66,000 मामले दर्ज की गई है।

देश में हर घंटे महिलाओं पर पति या उसके रिश्तेदार के द्वारा अत्याचार के दस मामले दर्ज की जाती है जबकि महिला की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग करने जैसी 5 वारदातें एवं अपहरण एवं बलात्कार के तीन-तीन मामले दर्ज की जाती है।

एनसीआरबी के अनुसार इनके अपराधों के अलावा वर्ष 2014 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में कुछ नई श्रेणियां भी जोड़ी गई है।

इनमें बलात्कार के प्रयास ( 4,234 ), आईपीसी की धारा 306 के तहत महिलाओं को आत्महत्या के लिए उकसाना ( 3,734 ) एवं घरेलू हिंसा से बचाव ( 426 ) शामिल हैं।

दिल्ली में वर्ष 2010 में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि पिछले एक साल में कम से कम 66 फीसदी महिलाओं ने दो से पांच बार यौन उत्पीड़न का सामना किया है।

आंध्रप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सर्वाधिक मामले

पिछले 10 सालों में आंध्रप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सर्वाधिक मामले ( 263,839 ) दर्ज की गई है।

देश भर में महिलाओं की लज्जा भंग करने के सबसे अधिक मामले ( 35,733 ) आंध्रप्रदेश में दर्ज की गई है जबकि पति या उनके रिश्तेदार द्वारा अत्याचार के मामले ( 117,458 ) में राज्य दूसरे, लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग करने जैसी वारदात मामले ( 51,376 ) में तीसरे एवं दहेज हत्या मामले ( 5,364 ) में चौथे स्थान पर है।

महिलाओं के खिलाफ अपराध : टॉप पांच राज्य

Source: National Crime Records Bureau. Note: Andhra Pradesh figures for 2014 are inclusive of Telangana.

आंध्रप्रदेश के बाद महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले सबसे अधिक पश्चिम बंगाल में दर्ज (239,760) की गई है। पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक मामले पति या रिश्तेदारों द्वारा महिलाओं पर की गई अत्याचार में मामले (152,852) दर्ज की गई है। महिलाओं के खिलाफ अपराध मामले में अपहरण ( (27,371) ) एवं दहेज हत्या मामले (4,891) में पांचवे स्थान पर है।

महिलाओं के खिलाफ अपराध के 236,456 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे, 188,928 मामलों के साथ राजस्थान चौथे एवं 175,593 की आंकड़ों के साथ मध्य प्रदेश पांचवे स्थान पर है।

पिछले एक दशक में देश भर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में करीब आधे अपराध इन पांच राज्यों में हुई है।

महिलाओं के अपहरण में तीन गुना वृद्धि

पिछले तीन सालों में मिहालओं के अपहरण के मामले में 264 फीसदी ( करीब तीन गुना ) की वृद्धि हुई है। वर्ष 2005 में जहां महिलाओं के अपहरण के 15,750 मामले दर्ज की गई थी जबकि वर्ष 2014 57,311 मामले दर्ज की गई है। 58,953 मामलों के साथ इस मामले में उत्तर प्रदेश सबसे पहले स्थान पर है।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस पड़ताल में बात सामने आई है कि दिल्ली, आगरा , मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे स्थानों में अधिसूचित जनजाति (आपराधिक जनजातियों के रूप में भी जाना जाता है) जैसे कि बेड़िया, नेट , कंजर और बंजारा नबालिग लड़कियों के अपहरण में शामिल होते हैं।

यह जनजाति बच्चियों का अपहरण करने के बाद उन्हें अपनी बेटी की तरह बड़ा करते हैं और फिर डांस बार , वेश्यालयों और एस्कॉर्ट सेवाओं में काम करने के लिए मुंबई और मध्य पूर्व के लिए भेजते हैं।

पिछले एक दशक में मध्य प्रदेश में सर्वाधिक बलात्कार का मामले (34,143) दर्ज की गई है। 19,993 मामलों के साथ पश्चिम बंगाल दूसरे, 19,894 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे एवं 18,654 आंकड़ों के साथ राजस्थान चौथे स्थान पर है।

मध्य प्रदेश में महिलाओं की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग करने के सर्वाधिक मामले ( 70,020 ) दर्ज की गई है।

संयुक्त राष्ट्र महिला द्वारा एक 2013 वैश्विक समीक्षा के अनुसार, विश्व स्तर पर करीब 35 फीसदी महिलाओं ने या तो शारीरिक या यौन अंतरंग साथी हिंसा या गैर साथी यौन हिंसा का अनुभव किया है।

संयुक्त राषट्र की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ राष्ट्रीय हिंसा पर की गई अध्ययन कहती है कि करीब 70 फीसदी महिलाओं ने अपने अंतरंग साथी से उनके जीवन में शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव किया है।

( मल्लापुर इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं। )

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 4 सितंबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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