620 mumbai

पिछले महीने 21 वर्षीय युवक, भवतेश नकाते, के मुबंई की लोकल ट्रेन से गिरने का वीडियो वायरल हुआ है। इस हादसे से लोगों का गुस्सा एक बार फिर भड़का है।

चलती ट्रेन से गिरने के बाद नकाते की मौत से ऐसे लाखों लोगों की सुरक्षा पर फिर से सवाल खड़ा हो गया है जो हर रोज़ ट्रेन से सफर करते हैं।

राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी ), महाराष्ट्र से प्राप्त आंकड़ों पर इंडियास्पेंड के विश्लेषण के अनुसार, मुंबई में औसतन हर रोज़ लोकल ट्रेन की पटरियों पर नौ लोगों की मौत होती है।

22 दिसंबर तक वर्ष 2015 में कम से कम 3,159 लोगों की मौत लोकल ट्रेन में हुई है जिनमें से 2,804 (89 फीसदी) पुरुष हैं। इनमें दुर्घटना, आत्महत्या और प्राकृतिक रुप से होने वाली मौत शामिल है।

मुंबई लोकल पटरियों पर होने वाली मौतें

लिंग अनुसार मुंबई लोकल पटरियों पर होने वाली मौतें

औसतन, 31 फीसदी पीड़ित “अज्ञात” रहते हैं यानि कि ऐसे लोग जिनकी पहचान नहीं हो पाती है।

महाराष्ट्र जीआरपी ने ऐसे परिवार, जिनके अपने लापता हैं , उनकी सहायता के लिए 2013 में शोध (खोज ) की पहल शुरू की है। इसी पहल के तहत बोरीवली में रहने वाले परिवार को अपने खोए हुए 18 साल बेटे का पता चल पाया था जिसने आत्महत्या कर अपनी जान ली थी। शोध के ज़रिए ही उन्हें जानकारी मिली थी कि दादर पुलिस को उनके बेटे के हुलिए की एक शव रेलवे ट्रैक पर मिली है।

अज्ञात या लापता पीड़ित , मुंबई लोकल ट्रैक्स

1853 में शुरू की गई, मुंबई उपनगरीय रेल नेटवर्क के चार प्रमुख मार्गों में फैला हुआ है - पश्चिमी , मध्य, हार्बर और ट्रांस – हार्बर, एवं प्रतिदिन 7.5 मिलियन यात्रियों को ले जाने- ले आने का काम करती है।

पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2015 में दुर्घटनाओं के कम मामले दर्ज हुए हैं।

कल्याण और कुर्ला , 452 और 422 दुर्घटनाओं की संख्या के साथ सबसे घातक क्षेत्र साबित हुए हैं।

कल्याण सबसे घातक क्षेत्र रहा है; यदि आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि वर्ष 2013 के बाद से प्रति वर्ष इस क्षेत्र में सबसे अधिक दुर्घटनाओं के मामले दर्ज की गई है।

वर्ष 2012 ( जब से पूरे आंकड़े उपलब्ध हैं ) कुर्ला सूची में सबसे पहले स्थान पर है।

नकते कोपर और दिवा स्टेशनों के बीच ट्रेन से गिरा था जोकि डोंबिवली पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है। मुंबई उपनगरीय लाइंस पर 17 प्रमुख राजकीय रेलवे पुलिस स्टेशन हैं।

Note: Click on each location to see the figures for 2012-14.

बंबई उच्च न्यायालय ने यात्रियों के लिए बेहतर और सुरक्षित सेवा प्रदान करने के असफल रही रेलवे को खासी फटकार लगाई है।

हाईकोर्ट बेंच ने कहा, “लोकल ट्रेनों में भीड़भाड़ की स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है। हैरानी की बात है , संबंधित अधिकारियों से कोई भी इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। यदि रेलवे और राज्य मिलकर तत्काल कदम नहीं उठाते हैं तो ये मौते यूं हीं जारी रहेगी। हर रोज़ ट्रेन ट्रैक पर लोगों की जान जा रही है और संबंधित अधिकारी आंखें बंद कर बैठे हैं। यदि इस ओर अब भी कदम उठा कर एक भी जान बचा पाएं तो यह सराहनीय होगा।”

न्यायालय ने रेलवे को, लोकल ट्रेनों में पीक घंटे के दौरान, भीड़ को कम करने के लिए, यह देखने के निर्देश दिए हैं कि कार्यालय समय और साप्ताहिक छुट्टियों में परिवर्तन लाया जा सकता है कि नहीं।

स्वत: संज्ञान लेते जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे न्यायमूर्ति नरेश पाटिल और न्यायमूर्ति एसबी शुकरे , की बेंच ने कहा, “स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों के समय में परिवर्तन करना चाहिए।”

मध्य रेलवे ने हाल ही में नए कोच जोड़ने की घोषणा की है जिससे अधिक लोगों को बैठने एवं खड़े रहना संभव हो पाएगा।

( साहा नई दिल्ली में स्थित एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। )

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 24 दिसंबर 2015 को प्रकाशित हुआ है।

__________________________________________________________________

"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.com एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :