अक्सर इसकी आलोचना होती है कि यह दुनिया की सबसे अधिक भीड़, भरी हुई, धीमी और गंदी रेलवे प्रणाली है , 23 लाख लोगों के के यातायात के इस साधन से हर दिन बहुत सी गलतियां हो जाती हैं ।

लेकिन यहां कुछ है जो भारतीय रेलवे सही कर रही है - अपने आप को सुरक्षित बनाने के लिए इसने तीन साल में- 4,000 करोड़ रुपए ($ 645मिलियन) खर्च किए ताकि - खूनी दुर्घटनाओं के लिए कुख्यात 4,450 से अधिक मानव रहित समपारों को खत्म किया जा सके।

संसद में लगभग 30 सांसदों ( भारतीय जनता पार्टी सहित कांग्रेस, बीजू जनता दल और पांच अन्य पार्टियों के सांसद) द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में रेल राज्य मंत्री, मनोज सिन्हा द्वारा पिछले सप्ताह संसद के समक्ष रखे आंकड़ों के अनुसार, रेलवे ने ऐसा ऊंची सड़कों या अंडरपास के निर्माण द्वारा किया।

मानवरहित समपारों का प्रतिस्थापन *, वित्तीय वर्ष 2012-वित्तीय वर्ष 2015

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Source: Lok Sabha; *Up to January, 2015

मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग के प्रति राजनीतिक रुचि में पक्षपात इसलिए भी है क्योंकि इन क्रॉसिंग पर नियमित अंतराल पर मौत और विनाश होते रहते हैं ।

मानवरहित क्रॉसिंग पर दुर्घटनाएँ और मृत्यु , वित्त वर्ष 2012 -वित्त वर्ष 2015*

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Source: Lok Sabha; *Up to January 2015

ऐसी कई दुर्घटनाएँ असामान्य रूप से नृशंस हैं क्योंकि एक ट्रेन अपनी पूरी शक्ति से बस, ट्रक, कार, मोटर साइकिल या बैलगाड़ी से टकराती है । । ऐसी जगहों पर दुर्घटनाओं में बुरी तरह से क्षत विक्षित शरीर और धातु की मात्र लुगदी बने वाहन देखने को मिलते हैं ।

"जब एक ट्रेन 90 किमी / घंटा पर चलती है, इसे 800 मीटर की दूरी लगती है रुकने के लिए (लगभग1,200 मीटर, ट्रेन वजन और गति के अनुसार ); एक कार में 70 मीटर के भीतर रुक जाती है। " ऐसा, पिछले वर्ष अंतरराष्ट्रीय रेल संघ ने इंटरनेशनल लेवल क्रॉसिंग जागरूकता दिवस (आईएलसीऐडी ) के अवसर पर कहा ।

" धन की उपलब्धता के अनुसार ,मैनिंग / समाप्त करने / विलय और सबवे/ आरयूबीस द्वारा, सभी मानव रहित समपारों को खत्म करने के लिए यह रेलवे का प्रयास है" संसद मंत्री में ने अपने उत्तर में कहा।

भारतीय रेल के संचालन पर एक नजर डालने से यह स्पष्ट होता है कि क्यों क्रॉसिंग पर ट्रेन और अन्य यातायात के बीच संपर्क को कम करना इतना महत्वपूर्ण है:

* 65,808 किलोमीटर का रेल नेटवर्क

* हर दिन 7000 यात्री और 4000 मालगाड़ियाँ

* हर दिन 23 लाख यात्री और 3 लाख टन माल ढुलाई

* 18,785 मानव युक्त और 11,563 मानवरहित क्रॉसिंग

यह अंतिम बिंदु महत्त्वपूर्ण है क्योंकि पिछले चार वर्षों में 400 से अधिक लोगों की मानव रहित समपारों पर दुर्घटनाओं के कारण मृत्यु हो गई है

2011 और 2015 के बीच, सबसे अधिक मानव रहित समपारों को हटाने वाला राज्य उत्तर प्रदेश था जिसके उपरान्त आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और कर्नाटक थे :

सबसे अधिक मानव रहित समपारों को हटाने वाले राज्य, वित्त वर्ष 2012 - वित्त वर्ष 2015 *

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Source: Lok Sabha; *Up to January 2015

इंडिया स्पेंड ने पहले भी रिपोर्ट किया था कि हालाँकि रेल दुर्घटनाएँ हो रही हैं लेकिन पहले से कम लोग अब मर रहे थे। हमने यह भी बताया था कि 2011-12 और जून 2014 के बीच 312 लोग मारे गए और 1202 घायल हो गए थे।

रिपोर्ट में कहा गया कि "इन आंकड़ों में मानव रहित समपारों पर होने वाली दुर्घटनाएँ शामिल नहीं हैं। उन्हें मिला लिया जाए तो गृह मंत्रालय के एक प्रभाग राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी), के अनुसार केवल 2013 में ही 27,765 दुर्घटनाओं की खबर मिली है"।

डॉ अनिल काकोदकर, परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष की अध्यक्षता में भारतीय रेल की एक उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा समिति ने 2012 में सिफारिश की है कि सभी समपारों (मानव और मानव रहित) को अगले पांच वर्षों में समाप्त किया जाना चाहिए जिसकी अनुमानित लागत 50,000 करोड़ रुपये ($ 8 बिलियन) तक होगी।

अंतर्राष्ट्रीय रेल संघ की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 600,000 से अधिक लेवल क्रॉसिंग हैं जिसमे अमेरिका 210,000 साथ चार्ट ऊपर है जिसके उपरान्त यूरोपीय संघ (114,000) और कनाडा (37,000) है।

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