Patna: Brides and grooms during a mass marriage ceremony, in Patna on July 15, 2018. (Photo: IANS)

मुंबई: 2011 की जनगणना के मुताबिक केवल 5.8 फीसदी भारतीय विवाह अंतरजातीय थे। पिछले 40 वर्षों से इस दर में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है।

जबकि अन्य देशों में शिक्षा स्तर में वृद्धि, अंतजातीय शादी में कमी के साथ सहसंबंधित है। अंतर्विवाही शादी यानी सामुदायिक सीमाओं को मजबूत बनाने के उद्देश्य के लिए एक विशिष्ट सामाजिक, जातीय या जाति समूह के भीतर विवाह होना। एक नए अध्ययन के मुताबिक, भारत में व्यक्तियों के शिक्षा स्तरों का किसी अन्य जाति से शादी करने की संभावना पर कोई असर नहीं पड़ता है।

दूल्हे की मां का शिक्षा स्तर अंतर-जाति विवाह का अग्रणी निर्धारक है। दूल्हे की मां अगर बेहतर शिक्षित है तो अंतर-जाति विवाह की संभावना अधिक पाई जाती है।

यह दिल्ली के इंडियन स्टटिस्टिकल इंस्टीट्यूट द्वारा 2017 के अध्ययन के निष्कर्ष हैं, जिसमें भारत के सबसे लचीला जाति-आधारित प्रथाओं में से एक पर शिक्षा के प्रभाव की जांच करने के लिए भारतीय मानव विकास सर्वेक्षण (आईएचडीएस -2) के नवीनतम दौर (2011-12) से डेटा का उपयोग किया था।

यह पहली बार है जब एक अध्ययन ने भारत में अंतर जाति विवाहों पर शिक्षा के प्रभाव को देखा है, जो अन्य देशों के साथ काफी विरोधाभासों को उजागर करता है। अमेरिका और ब्राजील जैसे अन्य देशों में "बाहर-विवाह" पर अध्ययन आयोजित किए गए हैं, लेकिन वे नस्लीय और जातीय रेखाओं पर थे।

अन्य देशों के साथ यहां की अलग स्थिति का एक महत्वपूर्ण कारण भारत में व्यवस्थित विवाह यानी अरेंज मैरेज की परंपरा का होना है जिसमें संभावित पति / पत्नी को मिलाने में माता-पिता के अहम भूमिका होती है। अध्ययन में कहा गया है कि अंतर जाति विवाह के प्रसार पर शिक्षा के प्रभाव पर किसी भी विश्लेषण में, ‘व्यक्तिगत लोगों के साथ अभिभावकीय गुण पर विचार करना चाहिए।’

बाहर-विवाह आमतौर पर सामाजिक एकजुटता के उपाय के रूप में देखा जाता है और विशेष रूप से अमेरिका में विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच आकलन के एक प्रमुख संकेतक के रूप में देखा जाता है।

जाति सीमाओं से बाहर विवाह करना जो कि भारत के अधिकांश हिस्सों में सामाजिक बहिष्कार और यहां तक ​​कि अंतर-परिवार / सामुदायिक हिंसा का कारण बन सकता है। और यह आजादी के बाद जाति भेदभाव को कम करने के लिए प्रयासों ( जैसा कि संविधान और सकारात्मक कार्रवाई नीतियों में व्यक्तिगत अधिकारों को स्थापित करना ) के बावजूद है।

हाल के हफ्तों में, तेलंगाना में जाति-हत्या की मीडिया रिपोर्टों ने देश भर में सुर्खियां बटोरी है। 23 वर्षीय प्रणय कुमार की दिन-दहाड़े तब हत्या कर दी गई जब वे अपनी गर्भवती पत्नी के साथ स्थानीय अस्पताल से लौट रहे थे। रिपोर्टों के मुताबिक हत्या में लड़की के पिता का हाथ था, क्योंकि वे ऊपरी जाति के थे और प्रणय दलित थे। विवाह से नाखुश पिता ने प्रणय की हत्या करने के लिए व्यावसायिक हत्यारे को पहली किश्त के रुप में 15 लाख रुपए दिए थे।

दूल्हे की मां के शिक्षा स्तर का प्रभाव

अध्ययन के मुताबिक दूल्हे की मां के शिक्षा स्तर में 10 साल की वृद्धि अंतर-जाति विवाह की संभावना में 1.8 फीसदी की वृद्धि करती है, जो नमूना के 36 फीसदी के बराबर है। दूल्हे, दुल्हन या अन्य माता-पिता के शिक्षा स्तर में वृद्धि से कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं दिखता है।

दूल्हे की मां अपने बेटे के विवाह परिणामों को निर्धारित करने में सबसे प्रभावशाली क्यों है?

अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि एक बेहतर शिक्षित मां घर को अधिक संतुलित करती है और उनके पास जोड़-तोड़ करने और निर्णय लेने की शक्ति अधिक होती है।

विकासशील देशों में पिता की तुलना में मां भी अपने हितों में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके अपने बच्चों की जरूरतों के प्रति अधिक प्रतिक्रियाशील होती हैं। पिता आम तौर पर तम्बाकू और शराब पर खर्च करने की अधिक संभावना रखते हैं। इसलिए, यदि सामाजिक लागत बहुत अधिक नहीं है, तो वे अंतर-जाति विवाह के लिए बेटे की वरीयता का समर्थन करने की अधिक संभावना रखते हैं, जैसा कि अध्ययन में कहा गया है। इन दोनों कारकों का संयुक्त मतलब अंतर-जाति विवाह की उच्च संभावना है।

हालांकि, दुल्हन की मां के लिए भी ऐसा नहीं कहा जा सकता है। उनकी अंतर-जाति विवाह का समर्थन करने की कम संभावना है, क्योंकि जाति सीमाओ को पार करने वाले दूल्हे की तुलना में दुल्हन के परिवार आमतौर पर अधिक सोचते हैं। इस संबंध में कुछ ठोस सबूत 'ऑनर किलिंग' जैसे मामले में दिखते हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि निर्णय लेने की शक्ति के असाधारण स्तर के साथ परिवार और करीबी रिश्तेदार अभी भी "भारत के विवाह बाजार में मुख्य कर्ता-धर्ता हैं।"

आईडीएचएस -2 के सर्वेक्षण में 73 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि उनका विवाह अरेंज हुआ था; जिन्होंने अपने साथी चुने थे, उनमें से 34 फीसदी अभी भी अपने शादी के दिन पहली बार अपने भविष्य के पति से मिले थे।

यह अंतर-जाति विवाह के लिए भी सच है, जहां 63 फीसदी अपने शादी के दिन से पहले नहीं मिले थे। इनमें से अधिकतर जोड़े मुश्किल से एक-दूसरे को जानते थे, ऐसे में उनकी शादी को ‘प्रेम विवाह’ के रूप में देखा नहीं जा सकता।

सर्वेक्षण की गई 27 फीसदी महिलाओं ने माना कि उन्होंने अपने साथी को चुना है, लेकिन निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी नगण्य भूमिकाएं हो सकती हैं, और यह संख्या अतिरंजित भी हो सकती है।

इसके अलावा, अंतर-जाति विवाह में 98 फीसदी जोड़े विवाह के बाद माता-पिता के साथ भी रहते थे,जो इस विचार को मजबूती देते हैं कि भारतीय विवाह बाजार के दाव-पेंच और विद्रोह के की जगह दोनों परिवारों द्वारा ही अक्सर स्वीकृत किया जाता है।

आर्थिक विकास से अंतर-जाति विवाह पर अधिक प्रभाव नहीं

अध्ययन में कहा गया है कि जाति सगोत्र विवाह आर्थिक विकास और बाजार बलों के विस्तार में उम्मीद से कहीं अधिक व्यापक है। हालांकि स्वीकार्य धारणा यह है कि औद्योगिककरण, शिक्षा और शहरीकरण द्वारा लागू सामाजिक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप अरेंज मैरेज में कमी और अतंरजातीय विवाह में वृद्धि होती है, लेकिन भारत में अंतर जाति विवाह में कम दर इस प्रवृत्ति को खारिज कर देती है। समय के साथ अंतर जाति विवाह की दर में कोई वृद्धि नहीं हुई है, और उस अवधि के दौरान भी जब भारत में 1970-2012 के बीच शहरीकरण में वृद्धि हुई, तब भी अंतर जाति विवाह की दर में कोई विशेष वृद्धि नहीं देखी गई।

अध्ययन में कहा गया है कि 2000-2012 के लिए औसत 1971-80 और 1981-90 से थोड़ा अधिक है, लेकिन 1990-2000 के पिछले दशक से सांख्यिकीय रूप से अलग नहीं है।

2018 संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक 1901 में शहरी क्षेत्रों में 11 फीसदी से ज्यादा भारतीय नहीं रहते थे, जबकि 2018 में यह आंकड़े 34 फीसदी ( 460 मिलियन ) थे। यह एक ऐसा आंकड़ा है, जो 2030 तक 600 मिलियन तक हो सकता है।

अंतर-जाति विवाह की दर में रुझान, 1970-2011

Inter-Caste Marriages

Source: Whose Education Matters? An Analysis of Inter-Caste Marriages in India

दरअसल, ग्रामीण इलाकों में 5.2 फीसदी की तुलना में मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों में अंतर जाति विवाह की कम दर है, लगभग 4.9 फीसदी।

परिवार के स्थान अनुसार अंतर-जाति विवाह का दर

विवाह के समय दोनों परिवारों की तुलनात्मक आर्थिक स्थिति का भी अंतर-जाति विवाह की दर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।सबसे अमीर परिवारों में अंतर-जाति विवाह दर 4.0 फीसदी थी, जबकि सबसे गरीब के लिए आंकड़े 5.9 फीसदी थे।

संपत्ति अनुसार अंतर-जातीय विवाह दर

विवाह के समय पत्नी के परिवार की तुलना में पति के परिवार की समान, बेहतर, या बदतर स्थिति का अंतर-जाति विवाह दर पर कोई खास असर देखने को मिला है।

भेदभाव अभी भी मौजूद है, हालांकि, आय और वर्ग से जुड़ा प्रीमियम हो सकता है। अनुसूचित जाति (निम्न जाति समूहों) के बीच आय के साथ अंतर-जाति-विवाह में रुचि बढ़ी है लेकिन उच्च जाति समूहों के बीच आय के साथ कम हुई है, जैसा कि 2016 में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से 1,070 ऊपरी जाति की महिलाओं के इस सर्वेक्षण से पता चलता है।

(संघेरा लेखक और शोधकर्ता हैं और इंडियास्पेंड से जुड़ी हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 22 अक्टूबर, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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