वर्ष 2015 में, सिर्फ 88 फीसदी आबादी को बुनियादी पेयजल सेवा देने में विश्व स्तर पर 233 देशों/क्षेत्रों की सूची में भारत 165वें स्थान पर है। यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ द्वारा जल आपूर्ति, स्वच्छता और स्वास्थ्यवर्धक उत्पादन के लिए संयुक्त निगरानी कार्यक्रम की वर्ष 2017 की रिपोर्ट में सामने आई है। वैश्विक औसत 89 फीसदी है।

अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसियों अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका में से भारत केवल अफगानिस्तान से बेहतर रहा है। अफगानिस्तान में 63 फीसदी आबादी को बुनियादी पेयजल सुविधा प्राप्त थी।

12 जुलाई, 2017 को प्रकाशित रिपोर्ट में विश्व स्तर पर जनसंख्या के प्रतिशत के आधार पर 233 देशों / क्षेत्रों का मूल्यांकन है, जो 'बुनियादी सेवाओं', 'सीमित सेवाओं', 'पानी की अपरिष्कृत सेवाओं' या 'सतह के पानी को अपने पीने के पानी के स्रोत की तरह’ इस्तेमाल करने पर आधारित है।

दक्षिण एशिया में पेयजल सुविधा, वर्ष 2015

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Source: Progress on drinking water, sanitation and hygiene

बुनियादी सेवाएं: एक बेहतर स्रोत से मिलने वाला पीने का पानी, जिसमें कतार में लगने सहित पानी एकत्र करने में लगने वाला समय 30 मिनट से ज्यादा न हो।

सीमित सेवाएं: एक बेहतर स्रोत से मिलने वाला पीने का पानी, जिसमें कतार में लगने सहित पानी एकत्र करने में लगने वाला समय 30 मिनट से ज्यादा है।

असंशोधित सेवाएं: एक असुरक्षित खुदे कुएं या असुरक्षित बहते स्रोत से मिलने वाला पानी।

सतह का पानी: एक नदी, बांध, झील, तालाब, धारा, नहर या सिंचाई नहर से मिलने वाला पीने का पानी।

वर्ष 2015 में, भारत की 4 फीसदी आबादी ने अपने लिए पीने का पानी 'सीमित सेवाओं' से, 7 फीसदी ने 'असंशोधित सेवाओं' से और 1 फीसदी ने सतह के स्रोत से पानी प्राप्त किया है। इस संबंध में वैश्विक औसत क्रमश: 4 फीसदी, 6 फीसदी और 2 फीसदी है।

(विवेक विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 26 जुलाई 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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