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वर्ष 2015-16 में टैक्स चुकाने वालों को प्रोस्ताहित करने के लिए 15,080 लाभ कमाने वाली भारतीय कंपनियों को शून्य प्रभावी कर दर और कुछ मामलों में शून्य से कम दर देने की अनुमति दी गई है। यह जानकारी नवीनतम उपलब्ध राष्ट्रीय कर डेटा पर इंडियास्पेंड के विश्लेषण या विशेष रूप से एक सेंट्रल टैक्स सिस्टम के तहत सरकारी विश्लेषण ‘रेवेन्यू इंपैक्ट ऑफ टैक्स इंसेंटिव’ में सामने आई है।

इस तरह की विसंगति से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने 1980 के अंत में ‘मिनमम ऑल्टर्नट टैक्स’ (एमएटी) की शुरुआत की थी। जिसमें कुछ छूट का प्रावधान रखा गया था। लेकिन इस छूट को लेकर घालमेल नजर आ रहा है।

वर्ष 2014-15 में 52,911 कंपनियों ने मुनाफा कमाया है, लेकिन किसी कर का भुगतान नहीं दिया है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने मार्च 2016 में रिपोर्ट किया है।

2015-2016 के लिए बड़ी कंपनियों ने छोटी कंपनियों से भी कम चुकाया कर

प्रभावी कर दर वास्तव में मुनाफे पर कंपनियों द्वारा चुकाया गया टैक्स है, जिसकी गणना टैक्स से पहले मुनाफे से विभाजित कर की जाती है। हालांकि, वर्ष 2012-13 और वर्ष 2015-16 के बीच प्रभावी कर दरों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन कई तरह की कंपनियों के लिए छूट बनी हुई है, विशेष रुप से बड़ी कंपनियों के लिए।

उदाहरण के लिए, कॉर्परट के लिए 34.47 फीसदी की वैधानिक कर दर है, जो उन्हें मुनाफे पर भुगतान करना होगा। वर्ष 2015-16 में प्रभावी कर की दर 28.24 फीसदी थी और वर्ष 2014-15 में 24.67 फीसदी।

एक करोड़ रुपए तक का लाभ कमाने वाली एक कंपनी के लिए प्रभावी कर दर वर्ष 2015-16 में 30.26 फीसदी थी, जबकि 500 ​​करोड़ रुपए से अधिक लाभ कमाने वाली कंपनी के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दर 25.90 फीसदी थी।

मुनाफा कमाने वाली कंपनियों के लिए प्रभावी कर दरें

इसका मतलब यह है कि कम मुनाफा कमाने वाली कंपनियां ज्यादा लाभ बनाने वाली बड़ी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा कर रही है। हालांकि, इन सालों में प्रभावी कर दरों में अंतर कम हो रहा है।

वर्ष 2015-16 में सभी क्षेत्रों में प्रभावी कर दरें बदली हैं

सबसे कम भुगतान करने वाले उद्योगों जैसे- सीमेंट, चीनी, और वित्तीय लीजिंग कंपनियों- के लिए प्रभावी कर दर वर्ष 2014-15 में एकल अंकों में थे। अब काफी हद तक बढ़ गए हैं और लगभग 20 फीसदी तक पहुंचे हैं। हालांकि, इन क्षेत्रों के लिए अन्य उद्योगों की तुलना में कम दर लगाया जाना जारी है।

कई क्षेत्रों में विभिन्न उद्योगों पर कर दर में दिलचस्प विरोधाभास हैं:

1. बैंकिंग कंपनियां 40.3 फीसदी कर चुकाती हैं, जबकि शेयर ब्रोकर / उप दलाल 25.1 फीसदी (दोनों वित्तीय सेवाओं) कर का भुगतान करते हैं।

2. कूरियर एजेंसियों ने 41.7 फीसदी कर का भुगतान किया है। ट्रांसपोर्ट कंपनियों ने 26.4 फीसदी (दोनों सेवाओं) पर कर का भुगतान किया है।

3. वन ठेकेदारों ने 37.6 फीसदी कर का भुगतान किया है। खनन ठेकेदारों ने 28.2 फीसदी पर कर का भुगतान किया है।

4. ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स ने 24.2 फीसदी टैक्स का भुगतान किया और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों ने 35.5 फीसदी की दर से भुगतान किया।

क्षेत्र अनुसार प्रभावी कर दर

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2017-18 के बजट भाषण में कहा, "छूट से बाहर होने की योजना 01 अप्रैल, 2017 से शुरू होगी"।

वर्ष 2015-16 में, सरकार ने कॉरपोरेट सेक्टर को 76,857.7 करोड़ रुपए का कर छूट प्रदान किया है। सबसे बड़ी कर छूट वैज्ञानिक अनुसंधान (बीजों और अन्य बायोटेक प्रयोजनों के लिए) के व्यय पर कटौती है, जो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में इकाइयों में व्यय किए गए और निर्यात मुनाफे से दो गुना छूट की अनुमति देता है।

सरकार ने वर्ष 2015-16 में सीमा शुल्क में 69,25 9 करोड़ रुपए और उत्पाद शुल्क के लिए 79,183 करोड़ रुपए की छूट प्रदान की है।

46 फीसदी भारतीय कंपनियों ने 2015-16 में कोई मुनाफा नहीं कमाया

बढ़ रही हैं घाटे बनाने वाली कंपनियां

वर्ष 2015-16 में कम से कम 43 फीसदी भारतीय कंपनियां घाटे में रही हैं। 03 फीसदी कंपनियों ने कोई लाभ नहीं कमाया है । 47.7 फीसदी कंपनियों ने 1 करोड़ रुपए तक का मुनाफा कमाया है।टैक्स डेटा के अनुसार, करीब 6 फीसदी भारतीय कंपनियों ने 1 करोड़ रुपए से अधिक मुनाफा दर्ज कराया है।

वर्ष 2015-16 के चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों द्वाराप्रदत सूचना और कॉर्परेट द्वारा राजनीतिक दलों को देय राशि में भिन्नता

कर आंकड़ों के मुताबिक, राजनीतिक दलों के लिए कंपनियों द्वारा किए गए योगदान में कटौती हुई है। वर्ष 2014-15 में 112 करोड़ रुपए से यह कम हो कर 2015-16 में 14 करोड़ रुपए हुआ है।

लेकिन यह चुनाव आयोग को दलों द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़ों से अलग है।

‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ के आंकड़ों के मुताबिक, कॉर्पोरेट द्वारा राष्ट्रीय राजनैतिक दलों को 20,000 रुपए से अधिक देय राशि वर्ष 2014-15 में 576 करोड़ रुपए और वर्ष 2015-16 में 77.3 करोड़ रुपए थी। वर्ष 2015-16 में कॉर्पोरेट योगदानकर्ताओं से 20,000 रुपए से ज्यादा दान में क्षेत्रीय दलों को 908.99 करोड़ रुपए मिले हैं।

आंकड़ों में भिन्नता पर संभावित स्पष्टीकरण कॉर्पोरेट द्वारा ‘अंडर-रिपोर्टिंग’ हो सकती है।

(पारख बंगलुरु में एक सामाजिक उद्यम के साथ काम करते हैं। उनसे आप संपर्क कर सकते हैं-rohit.261@gmail.com)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 12 जून 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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