नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी ) के आंकड़ो मुताबिक, देश भर में एसिड हमले के मामलों में 9 फीसदी वृद्धि हुई है। साल 2014 में जहां ये आंकड़े 203 थे, वहीं वर्ष 2015 में बढ़ कर 222 हुए हैं। हालांकि 'एसिड हमले के प्रयास’ में 11 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़े 52 से 46 हुए हैं ।‘एनसीआरबी’ ने वर्ष 2014 से ही एसिड हमलों को एक अलग अपराध के रूप में वर्गीकृत करना शुरू किया है।

एसिड हमले, 2014-15

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Source: National Crime Bureau

इसी अवधि के दौरान किसी का पीछा करने या छेड़खानी के मामलों में 33 फीसदी की वृद्धि हुई है। आंकड़े 4,699 से बढ़ कर 6,266 हुए हैं।

कोलकाता स्थित एसिड हमलों के पीड़ितों की मदद करने वाली संस्था ‘एसिड सर्वाइवर्स फाउंडेशन इंडिया’ के अनुसार, ज्यादातर मामलों में छेड़खानी का परिणाम अक्सर किसी न किसी तरह का उत्पीड़न, हमला, हिंसा या एसिड हमलों के रुप में होता है। ‘बाल विकास मंत्रालय’ ने वर्, 2016 में सभी राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों को हिंसा / एसिड हमलों के शिकार लोगों के लिए मुआवजे के रुप में 200 करोड़ रुपए जारी किए हैं। 3 फरवरी,, 2017 को मंत्रालय की ओर से जारी बयान से इस बात का पता चलता है।

उत्तर प्रदेश में एसिड हमलों के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। राज्य के लिए ये आंकड़े 55 रहे हैं। पश्चिम बंगाल में 39 और दिल्ली में 21 मामले दर्ज हुए हैं। इसका खुलासा 7 फरवरी, 2017 को लोकसभा में दिए गए एक जवाब में हुआ है।

ऐसे राज्य, जहां एसिड हमले के मामले ज्यादा हैं

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Source: Lok Sabha

(सालवे विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं। )

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 25 जुलाई,2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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