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अक्टूबर 2016 में कर्नाटक में तलाक के एक मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया कि, “भारत में यह आम बात या हिंदू बेटे के लिए आदर्श स्थिति नहीं है कि विवाह होने के बाद, अपनी पत्नी के कहने पर वे अपने माता-पिता से अलग रहें। विशेष रुप से तब, जब परिवार में वह बेटा ही एक मात्र कमाऊ सदस्य है। आम तौर पर भारत में लोगों की सोच पश्चिमी सभ्यता जैसी नहीं है, जहां विवाह होने पर या व्यस्क होने पर बेटा परिवार से अलग हो जाता है। सामान्य परिस्थितियों में, विवाह के बाद पत्नी के परिवार के साथ रहने की उम्मीद की जाती है। आम तौर पर, किसी भी न्यायोचित ठोस कारण के बिना, कोई पत्नी अपने पति पर इस बात पर जोर नहीं दे सकती कि वह अपने परिवार से अलग हो जाए और केवल उसके साथ रहे।”

लेकिन जनगणना के नए आंकड़ों से एक बात साफ है कि सुप्रीम कोर्ट की आशंका निराधार नहीं है। आंकड़ों से पता चलता है कि विवाह के बाद मां-बाप को छोड़कर पलायन करने वाले 22.4 करोड़ भारतीयों में से 97 फीसदी महिलाएं हैं। जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, हर 10 भारतीयों (453 मिलियन) में से चार परदेशी हैं। हम बता दें कि यह संख्या कनाडा और अमेरिका, जर्मनी की संयुक्त जनसंख्या से अधिक है।

पलायन या घर-बार छोड़कर परदेश में जा बसने का सबसे बड़ा कारण विवाह है। 49 फीसदी यानी करीब 22.4 करोड़ लोगों ने विवाह के लिए पलायन किया है। परिवार के साथ राज्य से बाहर जाने वाले 15 फीसदी हैं, वहीं काम एवं रोजगार के लिए घर-बार छोड़कर बाहर जाने वाले 10 फीसदी हैं।

शादी की खातिर 22.4 करोड़ भारतीय हुए प्रवासी

Source: Census of India

शिक्षा के लिए ज्यादा और रोजगार के लिए कम महिलाएं करती हैं प्रवास

काम या रोजगार के लिए पलायन करने वाले 4.64 करोड़ भारतीयों में से 74 लाख महिलाएं हैं। यहां यह भी गौर करने की बात है कि भारतीय श्रम शक्ति में महिलाओं की हिस्सेदारी 27 फीसदी से ज्यादा नहीं है। यह दक्षिण एशिया में पाकिस्तान के बाद दूसरा सबसे कम दर है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने अप्रैल 2016 में बताया है।

हालांकि, श्रम शक्ति में वे महिलाएं शामिल नहीं हैं जो "अवैतनिक देखभाल का काम" करती हैं। इसमें लोगों की देखभाल, घर के कामकाज और स्वैच्छिक सामुदायिक कार्य सहित घर के भीतर सभी अवैतनिक सेवाएं शामिल हैं।

ऐसा प्रतीत होता है कि रोजगार की तुलना में व्यवसाय के लिए अधिक महिलाएं पलायन करती हैं। व्यवसाय के लिए पलायन करने वाले 43 लाख लोगों में से 11 लाख यानी लगभग 26 फीसदी महिलाएं हैं। भारत में 14 फीसदी व्यावसायिक प्रतिष्ठान महिला उद्यमियों द्वारा चलाए जा रहे हैं। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने मई 2016 में विस्तार से बताया है।

शिक्षा के लिए पलायन करने वाले भारतीयों में से 40 फीसदी हिस्सेदारी महिलाओं की है। ये आंकड़े राष्ट्रीय स्तर पर पुरुष प्रभुत्व को दर्शाते हैं। प्रति 1,000 पुरुषों पर 1,403 महिलाएं ऐसी हैं जो किसी भी शिक्षण संस्थान नहीं गई हैं। इस संबंध में भी इंडियास्पेंड ने नवंबर 2015 में विस्तार से बताया है।

रोजगार के लिए पुरुष और विवाह के लिए महिलाए करती हैं पलायन

Source: Census of India

78 फीसदी ग्रामीण महिलाएं विवाह के लिए करती हैं पलायन

ग्रामीण इलाकों से कम से कम 22.8 करोड़ महिलाएं प्रवासी हैं। इनमें से 17.9 करोड़ यानी लगभग 79 फीसदी महिलाओं ने विवाह के लिए पलायन किया है। शहरी महिलाओं के लिए ये आंकड़े 46 फीसदी हैं।

औसतन शहरी इलाकों से महिलाएं, अपनी ग्रामीण समकक्षों की तुलना में दो साल देर से शादी करती हैं। इंडियास्पेंड ने इस बारे में मई 2015 में विस्तार से बताया है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2005-06 के अनुसार, शहरी महिलाओं के लिए विवाह की औसत उम्र 18.8 वर्ष है जबकि ग्रामीण महिलाओं के लिए यह 16.4 वर्ष है। शहरी क्षेत्रों में 15 से 49 वर्ष के बीच की महिलाओं में से एक-चौथाई ने कभी विवाह नहीं किया है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के लिए यह आंकड़े 17 फीसदी हैं।

(साहा एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। वह ससेक्स विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज़ संकाय से वर्ष2016-17 के लिए जेंडर एवं डिवलपमेंट के लिए एमए के अभ्यर्थी हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 15 दिसंबर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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