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नई दिल्ली: देश भर में विशेषज्ञों की भारी कमी है और इस कमी में गुजरात राज्य का स्थान चौथा है। विशेषज्ञों की इस कमी के भीच गुजरात राज्य में एक ऐसा फैसला सामने आया है, जो विवाद को जन्म दे सकता है। स्कूलों, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए गुजरात ने बाल डॉक्टरों को नियुक्त करने की घोषणा की है। इन डॉक्टरों को बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए एप्रन, बैज, टॉर्च, आयुर्वेदिक किट और पुस्तिकाएं दी जा रही हैं।

इस कदम से एक बड़ा राष्ट्रीय मुद्दा सामने आता है, वह है डॉक्टरों की कमी। वर्ष 2016-17 के ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी के अनुसार, भारत में डॉक्टरों की, विशेष रुप से विशेषज्ञ डॉक्टरों की 81.5 फीसदी कमी है। 1,452 डॉक्टरों की आवश्यकता में से 92 के साथ गुजरात में 93.7 फीसदी विशेषज्ञों की कमी है।

‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने स्वास्थ्य विभाग की ओर से 2 जनवरी 2018 के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि, "ये बाल डॉक्टर छोटे रोगों के मामलों में आयुर्वेदिक उपचार का प्रबंध करेंगे। वे दूसरे छात्रों को दोपहर के भोजन से पहले अपने हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। वे हर बुधवार को आयोजित साप्ताहिक लोहा और फोलिक एसिड अनुपूरक कार्यक्रम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) की निगरानी करेंगे। वे अपने साथी छात्रों को लत से मुक्त बनाने और मौसमी रोगों के बारे में प्राथमिक जानकारी देने के लिए काम करेंगे। "

यह फैसला विवादास्पद इसलिए है, क्योंकि यहां बच्चों के इलाज के लिए बच्चों को काम पर लगाया जा रहा है। यह चिकित्सकों की अनुपलब्धता को दर्शाता है, विशेष रूप से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में - ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों के राष्ट्रीय नेटवर्क के तीसरे स्तर पर।

प्रत्येक सीएचसी 120,000 लोगों की आवश्यकताओं का ध्यान रखता है और और चिकित्सा, सर्जरी, बाल चिकित्सा और स्त्री रोग के चार विशेषज्ञ, रोगियों के लिए 30 बेड; एक ऑपरेशन थिएटर, श्रमिक कक्ष, एक्सरे मशीन, रोग प्रयोगशाला और एक अतिरिक्त जेनरेटर, पूरक चिकित्सा और पैरामेडिकल स्टाफ की जरुरत होती है।

भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य, उत्तर प्रदेश में 2,804 विशेषज्ञों की कमी दर्ज की गई है, जो देश में सबसे ज्यादा है। उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान (1,819), तमिलनाडु (1,462) और गुजरात (1,360) का स्थान है।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली जैसे कई केंद्र शासित प्रदेशों और पूर्वोत्तर राज्यों जैसे त्रिपुरा और मिजोरम में लगभग कोई विशेषज्ञ नहीं है।

समुदाय स्वास्थ्य केंद्र में विशेषज्ञों की कमी

Source: Rural Health Statistics, 2016-17Note: Specialists include surgeons, obstetricians and gynaecologists, paediatricians

भारत को 22,496 विशेषज्ञों की आवश्यकता है, लेकिन 4,156 से अधिक नहीं है या 18,347 विशेषज्ञों या 81.5 फीसदी तक कम है।

विशेषज्ञों के अलावा, भारत में सामान्य तौर पर डॉक्टरों की कमी है। 1: 1,674 के भारत के डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात अर्जेंटीना से 75 फीसदी कम और अमेरिका की तुलना में 70 फीसदी कम है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 16 नवंबर 2016 की रिपोर्ट में बताया है।

सरकारी क्षेत्र में समस्या और भी बदतर है क्योंकि केवल करीब 100,000 एलोपैथिक डॉक्टर वहां काम करते हैं और हर डॉक्टर 11,528 लोगों की आवश्यकताओं का ध्यान रखते हैं, जैसा कि FactChecker ने अप्रैल 2017 की रिपोर्ट में बताया है।

(यदवार प्रमुख संवाददाता हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 03 जनवरी 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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