Desk Jobs_620

मुंबई: ब्लू-कॉलर व्यवसायों में काम करने वाले लोगों की तुलना में, दिन में बेहद कम गतिविधियों के साथ व्हाइट-कॉलर नौकरियां करने वाले भारतीयों का औसत बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) ज्यादा होता है, जो मोटापे का एक संकेतक है। यह जानकारी एक नए अध्ययन में सामने आई है।

उदाहरण के लिए कृषि श्रमिकों, मछुआरों और घरबारी की तुलना में इंजीनियरों, तकनीशियनों, गणितज्ञों, वैज्ञानिकों और शिक्षकों का बीएमआई ज्यादा होता है,जैसा कि इकोनॉमिक्स एंड ह्यूमन बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया है।

बीएमआई एक व्यक्ति के शरीर द्रव्यमान को शरीर की ऊंचाई के वर्ग द्वारा विभाजित करके प्राप्त किया जाता है और इसे kg / m2 की इकाइयों में व्यक्त किया जाता है।

ब्लू-कॉलर व्यवसायों में काम करने वालों की तुलना में, व्हाइट कॉलर नौकरियों में पुरुषों का औसत बीएमआई 1.17 kg / m2 ज्यादा था। महिलाओं में यह अंतर 1.51kg / m2 था, जैसा कि अध्ययन से पता चलता है। कम बीएमआई, ज्यादा से बेहतर है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति का बीएमआई 18.5 किलोग्राम / m2 से कम है तो इसे कम वजन माना जाता है, अगर यह 18.5 से 25 किग्रा / m2 की सीमा में है तो सामान्य वजन, अगर यह कहीं 25 से 30 किग्रा / m2 के बीच है तो अधिक वजन और अगर इंडेक्स, 30 किग्रा / m2 से अधिक है तो इसे मोटापा माना जाता है। भारत ने पिछले दो दशकों में आर्थिक विकास की उच्च दर का अनुभव किया है, और आय में वृद्धि का परिणाम मोटे लोगों के अनुपात में वृद्धि से संबंधित है, जैसा कि इस अध्ययन से पता चलता है। सभी देशों में, वर्तमान में भारत में अधिक वजन वाले या मोटे व्यक्तियों की तीसरी सबसे ज्यादा संख्या है।यहां 20 फीसदी वयस्कों और 11 फीसदी किशोरों को मोटे के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसा कि अध्ययन में उद्धृत सितंबर 2014 के इस पेपर से पता चलता है।

बीएमआई का उच्च स्तर ऊर्जा सेवन के उच्च स्तर और ऊर्जा व्यय के निम्न स्तर से जुड़ा हुआ है। लेकिन भारत में औसत ऊर्जा की खपत में एक दीर्घकालिक, लगातार गिरावट आई है, जैसा कि अध्ययनों से पता चला है। इसे देखते हुए, बीएमआई में वृद्धि को गतिहीन व्यवसायों में वृद्धि का पता लगाया जा सकता है। इसे आर्थिक विकास का प्राकृतिक परिणाम भी माना जाता है।

अध्ययन की सह-लेखक अर्चना डांग ने इंडियास्पेंड को बताया, “ कार्य स्थल पर कम शारीरिक गतिविधि का स्तर संभवतः बीएमआई बढ़ने के कारकों में से एक है, जिसे देखते हुए, औसतन भारत में शारीरिक ऊर्जा की खपत में गिरावट देखी है, जैसा कि डीटन एंड ड्रेज, 2009 और रामचंद्रन, 2014, जैसे अध्ययनों में दिखाया गया है।

अध्ययन के अनुसार, बीएमआई का अस्वास्थ्यकर स्तर सीधे उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे रोगों से संबंधित है। ये ऐसे रोग हैं, जो घरेलू बजट पर पर्याप्त प्रभाव डाल सकते हैं।

"भारी काम में लगे श्रमिकों के अनुपात में कमी और मध्यम और गतिहीन व्यवसायों में श्रमिकों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए," राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन की गणना कैसे की जानी चाहिए, यह निर्धारित करने के लिए एक गठित समिति ने प्रति सिर (वयस्क) न्यूनतम कैलोरी की आवश्यकता को कम करके 2,400 कैलोरी की सिफारिश की, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 5 मार्च, 2019 की रिपोर्ट में बताया है।

हालांकि, समिति ने इस बात पर जोर दिया कि फार्मूला में उपयोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों के मौद्रिक मूल्य में 50 ग्राम प्रोटीन और 30 ग्राम वसा वाले वयस्क आहार शामिल होने चाहिए।

डेस्क जॉब में महिलाओं के बीच औसत बीएमआई एशियाई मानक से ऊपर

अध्ययन में पुरुषों और महिलाओं के बीएमआई का विश्लेषण किया, जो उनके व्यवसाय के क्षेत्र, काम पर गतिविधि के स्तर और उनकी तीव्रता के आधार पर किया गया था। इसने 18 से 60 वर्ष की आयु के ऐसे वयस्कों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिन्होंने पूर्ववर्ती वर्ष में कम से कम 180 दिनों तक काम किया।

कम-गतिविधि वाली नौकरियों में महिलाओं और पुरुषों में क्रमशः 24.26 किग्रा / m2 और 24.20 किग्रा / m2 के औसत बीएमआई दर्ज किए गए।

नौकरियों में महिलाओं के लिए यह औसत 1.62 किग्रा / m2 से कम था, जिसमें उच्च स्तर की गतिविधि शामिल थी। पुरुषों के लिए, यह 1.39 किग्रा / m2 से कम था।

Source: Labor market engagement and the body mass index of working adults: Evidence from India Note: Figures are in kg/m2

डांग कहते हैं, " लेकिन डब्ल्यूएचओ ने 23 पर एशियाई लोगों के लिए कट-ऑफ को फिर से परिभाषित किया है, क्योंकि वे बीएमआई के निचले स्तर पर गैर-संचारी रोगों के लिए अन्य आबादी की तुलना में कम जोखिम वाले दिखाई देते हैं। क्योंकि यहां उसी उम्र, लिंग और बीएमआई की यूरोपीय आबादी की तुलना में शरीर में वसा का प्रतिशत अधिक है।"

डांग ने कहा कि सफेद कॉलर वाली नौकरी पाने वाली महिलाओं में औसत 24.26 किग्रा / m2 का बीएमआई "एशियाई कट-ऑफ से ऊपर है, जो खतरनाक है"।

डेटा विश्लेषण के लिए, इस मई 2011 के अध्ययन के आधार पर अध्ययन ने एक चयापचय समतुल्य (एमईटी) मूल्य के साथ प्रत्येक व्यवसाय को लिया गया। एक गतिविधि का एमईटी गतिविधि के दौरान खर्च की गई ऊर्जा दर पर विश्राम के लिए खर्च की गई ऊर्जा दर का अनुपात होता है। एक एमईटी वह ऊर्जा है, जो निष्क्रिय रूप से बैठने या आराम करने के लिए होती है।

उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो 4 के एमईटी मान के साथ किसी गतिविधि में लगा हुआ है, आराम के दौरान शरीर द्वारा उपयोग की जाने वाली ऊर्जा पर चार गुना खर्च करता है। व्यवसायों को उनके एमईटी मानों के आधार पर वर्गीकृत किया गया था: हल्का (एमईटी <3.00), मध्यम (एमईटी> 3.00 और एमईटी <6.00), और जोरदार (एमईटी> 6.00)।

इंजीनियरों, तकनीशियनों, गणितज्ञों, वैज्ञानिकों और शिक्षकों को 1.80 से कम एमईटी का मान दिया गया था। घरबारी, मछुआरे, खनिकों औऱ कृषि श्रमिकों को मॉडरेट यानी मध्यम रेंज में एमईटी सौंपे गए थे। कृषि और वृक्षारोपण मजदूर 6.0 से अधिक एमईटी के साथ जुड़े थे।

हल्के एमईटी वाली नौकरियों के साथ महिलाओं और पुरुषों की औसत बीएमआई क्रमशः 1.58 किलोग्राम / m2 और 0.94 किलोग्राम / m2 अधिक थी, जो कि जोरदार एमईटी के साथ नौकरियों में कार्यरत थे। व्हाइट कॉलर नौकरियों के लिए औसत एमईटी 1.87 है, जबकि ब्लू कॉलर नौकरियों के लिए यह 3.23 है।

इसी प्रकार, शामिल गतिविधि के स्तर के आधार पर, निम्न-स्तर की गतिविधियों का औसत एमईटी 1.87 है, जबकि मध्यम-स्तरीय और उच्च-स्तरीय गतिविधियों में क्रमशः 2.78 और 3.42 का एमईटी है। अध्ययन में पाया गया कि जनसांख्यिकीय विशेषताओं, शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और अन्य घरेलू विशेषताओं को नियंत्रित करने के बाद भी कम गतिविधि वाली नौकरियों और उच्च बीएमआई के बीच संबंध महत्वपूर्ण रहे।

बीएमआई में वृद्धि से स्वास्थ्य के लिए खतरा

पुणे में रहने वाले एन्डोक्रनालजस्ट उदय फड़के कहते हैं “अमेरिका जैसे विकसित देशों में, कम आय वाले समूहों में अधिकतम मोटापा बढ़ रहा है, ऊपरी वर्गों में नहीं, क्योंकि फास्ट-फूड ज्वाइंट वास्तव में सस्ते भोजन परोसते हैं। हालांकि, यह भारत जैसे विकासशील देशों में अलग है जहां फास्ट-फूड प्वाइंटो में खाना सामाजिक स्थिति से जुड़ा है।”

फडके के अनुसार, एशियाई लोग मोटापे की पूर्व-मौजूदा स्थितियों, या पेट में वसा के अधिक संचय और अस्वस्थ जीवन शैली से उत्पन्न होने वाली वसा (अत्यधिक मोटापा) की संभावना रखते हैं।

उन्होंने कहा कि बीएमआई के स्तर में मामूली वृद्धि एक खतरा हो सकती है। इसके अलावा, बढ़ते बीएमआई के कारण खतरा उत्तरोत्तर बढ़ता है, 30 से 31 की वृद्धि- 20 से 21 की वृद्धि से अधिक खतरनाक है। "

शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में सरकार के कदम

इस पत्र में प्रस्तुत परिणामों से पता चलता है कि भारत में बीएमआई में वृद्धि संभवतया एक 'संरचनात्मक परिवर्तन' से प्रेरित है, जिसके कारण ब्लू-कॉलर क्षेत्र में रोजगार में गिरावट आई है।

अध्ययन उच्च बीएमआई स्तर जैसे कि शारीरिक गतिविधि और एक बेहतर आहार के साथ जुड़े व्यवहार जोखिम वाले कारकों से निपटने के लिए प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है। इस अध्ययन ने एक अभियान में सक्रिय दैनिक दिनचर्या के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की सिफारिश की है, जैसे कि टहलना आदि।

अध्ययन में बताया गया है कि स्थानीय सरकारें ऐसे वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, जो अपनी भूमि-उपयोग नीतियों के माध्यम से शारीरिक गतिविधियों के लिए अधिक अनुकूल हों। उदाहरण के लिए, बिल्डरों को नए विकास में पार्क और मनोरंजक सुविधाएं प्रदान करने के लिए बाध्य किया जा सकता है।

(रायबागी एक डेटा विश्लेषक हैं। वह कार्डिफ विश्वविद्यालय से कम्प्यूटेशनल और डेटा पत्रकारिता में ग्रैजुएट हैं और इंडियास्पेंड में इंटर्न हैं। ) यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 14 मार्च, 2019 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

हम फीडबैक का स्वागत करते हैं। हमसे respond@indiaspend.org पर संपर्क किया जा सकता है। हम भाषा और व्याकरण के लिए प्रतिक्रियाओं को संपादित करने का अधिकार रखते हैं।

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मुंबई: ब्लू-कॉलर व्यवसायों में काम करने वाले लोगों की तुलना में, दिन में बेहद कम गतिविधियों के साथ व्हाइट-कॉलर नौकरियां करने वाले भारतीयों का औसत बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) ज्यादा होता है, जो मोटापे का एक संकेतक है। यह जानकारी एक नए अध्ययन में सामने आई है।

उदाहरण के लिए कृषि श्रमिकों, मछुआरों और घरबारी की तुलना में इंजीनियरों, तकनीशियनों, गणितज्ञों, वैज्ञानिकों और शिक्षकों का बीएमआई ज्यादा होता है,जैसा कि इकोनॉमिक्स एंड ह्यूमन बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया है।

बीएमआई एक व्यक्ति के शरीर द्रव्यमान को शरीर की ऊंचाई के वर्ग द्वारा विभाजित करके प्राप्त किया जाता है और इसे kg / m2 की इकाइयों में व्यक्त किया जाता है।

ब्लू-कॉलर व्यवसायों में काम करने वालों की तुलना में, व्हाइट कॉलर नौकरियों में पुरुषों का औसत बीएमआई 1.17 kg / m2 ज्यादा था। महिलाओं में यह अंतर 1.51kg / m2 था, जैसा कि अध्ययन से पता चलता है। कम बीएमआई, ज्यादा से बेहतर है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति का बीएमआई 18.5 किलोग्राम / m2 से कम है तो इसे कम वजन माना जाता है, अगर यह 18.5 से 25 किग्रा / m2 की सीमा में है तो सामान्य वजन, अगर यह कहीं 25 से 30 किग्रा / m2 के बीच है तो अधिक वजन और अगर इंडेक्स, 30 किग्रा / m2 से अधिक है तो इसे मोटापा माना जाता है। भारत ने पिछले दो दशकों में आर्थिक विकास की उच्च दर का अनुभव किया है, और आय में वृद्धि का परिणाम मोटे लोगों के अनुपात में वृद्धि से संबंधित है, जैसा कि इस अध्ययन से पता चलता है। सभी देशों में, वर्तमान में भारत में अधिक वजन वाले या मोटे व्यक्तियों की तीसरी सबसे ज्यादा संख्या है।यहां 20 फीसदी वयस्कों और 11 फीसदी किशोरों को मोटे के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसा कि अध्ययन में उद्धृत सितंबर 2014 के इस पेपर से पता चलता है।

बीएमआई का उच्च स्तर ऊर्जा सेवन के उच्च स्तर और ऊर्जा व्यय के निम्न स्तर से जुड़ा हुआ है। लेकिन भारत में औसत ऊर्जा की खपत में एक दीर्घकालिक, लगातार गिरावट आई है, जैसा कि अध्ययनों से पता चला है। इसे देखते हुए, बीएमआई में वृद्धि को गतिहीन व्यवसायों में वृद्धि का पता लगाया जा सकता है। इसे आर्थिक विकास का प्राकृतिक परिणाम भी माना जाता है।

अध्ययन की सह-लेखक अर्चना डांग ने इंडियास्पेंड को बताया, “ कार्य स्थल पर कम शारीरिक गतिविधि का स्तर संभवतः बीएमआई बढ़ने के कारकों में से एक है, जिसे देखते हुए, औसतन भारत में शारीरिक ऊर्जा की खपत में गिरावट देखी है, जैसा कि डीटन एंड ड्रेज, 2009 और रामचंद्रन, 2014, जैसे अध्ययनों में दिखाया गया है।

अध्ययन के अनुसार, बीएमआई का अस्वास्थ्यकर स्तर सीधे उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे रोगों से संबंधित है। ये ऐसे रोग हैं, जो घरेलू बजट पर पर्याप्त प्रभाव डाल सकते हैं।

"भारी काम में लगे श्रमिकों के अनुपात में कमी और मध्यम और गतिहीन व्यवसायों में श्रमिकों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए," राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन की गणना कैसे की जानी चाहिए, यह निर्धारित करने के लिए एक गठित समिति ने प्रति सिर (वयस्क) न्यूनतम कैलोरी की आवश्यकता को कम करके 2,400 कैलोरी की सिफारिश की, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 5 मार्च, 2019 की रिपोर्ट में बताया है।

हालांकि, समिति ने इस बात पर जोर दिया कि फार्मूला में उपयोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों के मौद्रिक मूल्य में 50 ग्राम प्रोटीन और 30 ग्राम वसा वाले वयस्क आहार शामिल होने चाहिए।

डेस्क जॉब में महिलाओं के बीच औसत बीएमआई एशियाई मानक से ऊपर

अध्ययन में पुरुषों और महिलाओं के बीएमआई का विश्लेषण किया, जो उनके व्यवसाय के क्षेत्र, काम पर गतिविधि के स्तर और उनकी तीव्रता के आधार पर किया गया था। इसने 18 से 60 वर्ष की आयु के ऐसे वयस्कों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिन्होंने पूर्ववर्ती वर्ष में कम से कम 180 दिनों तक काम किया।

कम-गतिविधि वाली नौकरियों में महिलाओं और पुरुषों में क्रमशः 24.26 किग्रा / m2 और 24.20 किग्रा / m2 के औसत बीएमआई दर्ज किए गए।

नौकरियों में महिलाओं के लिए यह औसत 1.62 किग्रा / m2 से कम था, जिसमें उच्च स्तर की गतिविधि शामिल थी। पुरुषों के लिए, यह 1.39 किग्रा / m2 से कम था।

Source: Labor market engagement and the body mass index of working adults: Evidence from India Note: Figures are in kg/m2

डांग कहते हैं, " लेकिन डब्ल्यूएचओ ने 23 पर एशियाई लोगों के लिए कट-ऑफ को फिर से परिभाषित किया है, क्योंकि वे बीएमआई के निचले स्तर पर गैर-संचारी रोगों के लिए अन्य आबादी की तुलना में कम जोखिम वाले दिखाई देते हैं। क्योंकि यहां उसी उम्र, लिंग और बीएमआई की यूरोपीय आबादी की तुलना में शरीर में वसा का प्रतिशत अधिक है।"

डांग ने कहा कि सफेद कॉलर वाली नौकरी पाने वाली महिलाओं में औसत 24.26 किग्रा / m2 का बीएमआई "एशियाई कट-ऑफ से ऊपर है, जो खतरनाक है"।

डेटा विश्लेषण के लिए, इस मई 2011 के अध्ययन के आधार पर अध्ययन ने एक चयापचय समतुल्य (एमईटी) मूल्य के साथ प्रत्येक व्यवसाय को लिया गया। एक गतिविधि का एमईटी गतिविधि के दौरान खर्च की गई ऊर्जा दर पर विश्राम के लिए खर्च की गई ऊर्जा दर का अनुपात होता है। एक एमईटी वह ऊर्जा है, जो निष्क्रिय रूप से बैठने या आराम करने के लिए होती है।

उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो 4 के एमईटी मान के साथ किसी गतिविधि में लगा हुआ है, आराम के दौरान शरीर द्वारा उपयोग की जाने वाली ऊर्जा पर चार गुना खर्च करता है। व्यवसायों को उनके एमईटी मानों के आधार पर वर्गीकृत किया गया था: हल्का (एमईटी <3.00), मध्यम (एमईटी> 3.00 और एमईटी <6.00), और जोरदार (एमईटी> 6.00)।

इंजीनियरों, तकनीशियनों, गणितज्ञों, वैज्ञानिकों और शिक्षकों को 1.80 से कम एमईटी का मान दिया गया था। घरबारी, मछुआरे, खनिकों औऱ कृषि श्रमिकों को मॉडरेट यानी मध्यम रेंज में एमईटी सौंपे गए थे। कृषि और वृक्षारोपण मजदूर 6.0 से अधिक एमईटी के साथ जुड़े थे।

हल्के एमईटी वाली नौकरियों के साथ महिलाओं और पुरुषों की औसत बीएमआई क्रमशः 1.58 किलोग्राम / m2 और 0.94 किलोग्राम / m2 अधिक थी, जो कि जोरदार एमईटी के साथ नौकरियों में कार्यरत थे। व्हाइट कॉलर नौकरियों के लिए औसत एमईटी 1.87 है, जबकि ब्लू कॉलर नौकरियों के लिए यह 3.23 है।

इसी प्रकार, शामिल गतिविधि के स्तर के आधार पर, निम्न-स्तर की गतिविधियों का औसत एमईटी 1.87 है, जबकि मध्यम-स्तरीय और उच्च-स्तरीय गतिविधियों में क्रमशः 2.78 और 3.42 का एमईटी है। अध्ययन में पाया गया कि जनसांख्यिकीय विशेषताओं, शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और अन्य घरेलू विशेषताओं को नियंत्रित करने के बाद भी कम गतिविधि वाली नौकरियों और उच्च बीएमआई के बीच संबंध महत्वपूर्ण रहे।

बीएमआई में वृद्धि से स्वास्थ्य के लिए खतरा

पुणे में रहने वाले एन्डोक्रनालजस्ट उदय फड़के कहते हैं “अमेरिका जैसे विकसित देशों में, कम आय वाले समूहों में अधिकतम मोटापा बढ़ रहा है, ऊपरी वर्गों में नहीं, क्योंकि फास्ट-फूड ज्वाइंट वास्तव में सस्ते भोजन परोसते हैं। हालांकि, यह भारत जैसे विकासशील देशों में अलग है जहां फास्ट-फूड प्वाइंटो में खाना सामाजिक स्थिति से जुड़ा है।”

फडके के अनुसार, एशियाई लोग मोटापे की पूर्व-मौजूदा स्थितियों, या पेट में वसा के अधिक संचय और अस्वस्थ जीवन शैली से उत्पन्न होने वाली वसा (अत्यधिक मोटापा) की संभावना रखते हैं।

उन्होंने कहा कि बीएमआई के स्तर में मामूली वृद्धि एक खतरा हो सकती है। इसके अलावा, बढ़ते बीएमआई के कारण खतरा उत्तरोत्तर बढ़ता है, 30 से 31 की वृद्धि- 20 से 21 की वृद्धि से अधिक खतरनाक है। "

शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में सरकार के कदम

इस पत्र में प्रस्तुत परिणामों से पता चलता है कि भारत में बीएमआई में वृद्धि संभवतया एक 'संरचनात्मक परिवर्तन' से प्रेरित है, जिसके कारण ब्लू-कॉलर क्षेत्र में रोजगार में गिरावट आई है।

अध्ययन उच्च बीएमआई स्तर जैसे कि शारीरिक गतिविधि और एक बेहतर आहार के साथ जुड़े व्यवहार जोखिम वाले कारकों से निपटने के लिए प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है। इस अध्ययन ने एक अभियान में सक्रिय दैनिक दिनचर्या के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की सिफारिश की है, जैसे कि टहलना आदि।

अध्ययन में बताया गया है कि स्थानीय सरकारें ऐसे वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, जो अपनी भूमि-उपयोग नीतियों के माध्यम से शारीरिक गतिविधियों के लिए अधिक अनुकूल हों। उदाहरण के लिए, बिल्डरों को नए विकास में पार्क और मनोरंजक सुविधाएं प्रदान करने के लिए बाध्य किया जा सकता है।

(रायबागी एक डेटा विश्लेषक हैं। वह कार्डिफ विश्वविद्यालय से कम्प्यूटेशनल और डेटा पत्रकारिता में ग्रैजुएट हैं और इंडियास्पेंड में इंटर्न हैं। ) यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 14 मार्च, 2019 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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