श्रमिक बच्चों की दसवीं कक्षा तक पहुंचने की संभावना 70% कम
हाल ही में लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में भाषण देते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि " भारत एकमात्र ऐसा देश है जो अशिक्षित और अस्वास्थ्यकर श्रम शक्ति के साथ एक वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की कोशिश कर रहा है।"
यंग लाइफ एसोसिएशन, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में आधारित एक टीम द्वारा एक अनुसंधान परियोजना के अध्ययन के अनुसार 12 वर्ष के उम्र के बच्चे जो प्रतिदिन तीन या उससे अधिक घंटे घरेलू काम करते हैं, उनकी माध्यमिक शिक्षा पूरी करने की संभावना 70 फीसदी कम होती है।
भारत में स्कूली शिक्षा के प्राथमिक स्तर के तहत कक्षा 1 से कक्षा 8 तक शामिल हैं एवं माध्यमिक शिक्षा के तहत कक्षा 9 एवं 10 आते है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2005 के अनुसार भारत में 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा मिलना मौलिक अधिकार में शामिल है।
प्राथमिक स्तर पर नामांकन 100 फीसदी है लेकिन प्राथमिक शिक्षा पूरी होने से पहले ही 10 फीसदी बच्चे स्कूली शिक्षा छोड़ कर बाहर हो जाते हैं।
शिक्षा के लिए जिला सूचना प्रणाली ( डीआईएसई ) के आंकड़ों के अनुसार माध्यमिक स्तर पर पुरे भारत का सकल नामांकन अनुपात 78 फीसदी है, यानि कि आयु वर्ग 15-16 वर्ष के 22 फीसदी बच्चे माध्यमिक स्तर पर स्कूल नहीं जाते हैं। डीआईएसई के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि हर 10 उच्च प्राथमिक ( कक्षा 6-8) स्कूलों के लिए भारत में केवल चार माध्यमिक ( कक्षा 9-10) स्कूल हैं।
States with Worst Gross Enrolment Ratios at Secondary Level | ||
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State | Gross Enrolment Ratio* at Secondary Level (%) | Dropout Rate at Secondary Level (%) |
Jammu & Kashmir | 66 | 15 |
Uttar Pradesh | 68 | 7 |
Bihar | 69 | 25 |
Jharkhand | 72 | 23 |
Andhra Pradesh | 72 | 13 |
All-India | 78 | 18 |
Source: District Information System for Education; *If there is late or early enrolment, or repetition of a grade, total enrolment can exceed the population of the age group that officially corresponds to the level of education, leading to ratios greater than 100%.
States with Best Gross Enrolment Ratios at Secondary Level | ||
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State | Gross Enrolment Ratio* at Secondary Level (%) | Dropout Rate at Secondary Level (%) |
Himachal Pradesh | 116 | 9 |
Delhi | 103 | 9 |
Kerala | 103 | 15 |
*Chhattisgarh | 102 | 23 |
Tamil Nadu | 92 | 12 |
All-India | 78 | 18 |
Source: District Information System for Education; Figures are for 2014-15. *If there is late or early enrolment, or repetition of a grade, total enrolment can exceed the population of the age group that officially corresponds to the level of education, leading to ratios greater than 100%. Relatively large states in India have been compared, and union territories and states with low population from the North-East have been excluded.
प्राथमिक स्तर पर, दोनों ही वर्ग के सबसे अच्छे और सबसे खराब नामांकन अनुपात माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने की दर में समान तरह की विविधताएं दिखाते हैं।
छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में माध्यमिक विद्यालय में उच्च नामांकन पाया गया है लेकिन स्कूल छोड़ने की दर भी अधिक ( 23 फीसदी ) ही है जबकि उत्तर प्रदेश में स्कूल छोड़ने का दर कम है हालांकि सकल नामांकन भी कम ही है।
लड़कों की तुलना में लड़कियों की माध्यमिक स्कूल शिक्षा पूरी करने की संभावना 45 फीसदी कम होती है
यंग लाइवस के अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार, लड़कों की तुलना में लड़कियों की माध्यमिक स्कूल शिक्षा पूरी करने की संभावना 45 फीसदी कम होती है।
लड़कियों की शिक्षा सीमित करने में समाजिक बंधन की मुख्य भुमिका होती है। अन्य अध्ययनों का हवाला देते हुए, यंग लाइवस ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “लड़कियों के स्कूल जाने के संबंध में जब भी दूरी की बात आती है, विशेष रूप से हाशिए पर और पिछड़े समुदाय अपनी पारंपरिक सोच के अनुसार लड़कियों की रक्षा एवं सुरक्षा को देखते हुए उन्हें दूर जाने की इजाज़त नहीं देते हैं। ”
केवल 66 फीसदी लड़कियों की सफलतापूर्वक माध्यमिक शिक्षा पूरी की है जबकि लड़कों के लिए यही आंकड़े 77 फीसदी दर्ज की गई है।
8 वर्ष की उम्र में अपेक्षाकृत कम पढ़ने या लिखने कौशल वाले बच्चों की तुलना में 8 साल की उम्र में अच्छा पढ़ने के कौशल की 1.7 गुना एवं अच्छे लेखन वाले बच्चों की 1.3 गुना अधिक माध्यमिक शिक्षा पूरी करने की संभावना पाई गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, 12 वर्ष की उम्र के बच्चे जो 3 या इससे अधिक घंटे घरेलू कामकाज करते हैं, उन बच्चों की माध्यमिक शिक्षा पूरी करने की संभावना 70 फीसदी कम हो जाती है जबकि 12 वर्ष के उन बच्चों को जिनको काम के बदले पैसे दिए जाते हैं, उनके माध्यमिक शिक्षा पूरी करने की संभावना 54 फीसदी कम हो जाती है।
बच्चे हो रहे हैं अकुशल मजदूरी के लिए मजबूर
यंग लाइवस अध्ययन कहता है, “ भारत, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर पर सार्वभौमिक नामांकन को साकार करने के करीब हो रहा है, देश में न्यायोचित सामाजिक विकास को प्राप्त करने और एक कुशल कार्यबल का निर्माण के लिए माध्यमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण महत्वपूर्ण है। ”
इंडियास्पेंड ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बच्चों के श्रम बल में जाने से किस प्रकार उनकी शिक्षा की ओर रुचि कम हो जाती है।
भारत की जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार, 5-14 वर्ष के आयु वर्ग में काम करने वाले बच्चों की संख्या लगभग 4.4 मिलियन है। यह बच्चे अकुशल श्रम बल का एक हिस्सा बन जाते हैं क्योंकि छोटी उम्र में वह कौशल और शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं।
इस आयु वर्ग के बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं वे कुशल श्रम शक्ति से बाहर होते हैं| गरीबी के कारण काम करने की मजबूरी एवं पढ़ने और लेखन कौशल के एक बार कम उम्र में विकसित नहीं होने से इन बच्चों के लिए आगे के प्रशिक्षण प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता जाता है।
हाल ही में शुरु किए गए कौशल विकास कार्यक्रम के पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण के लिए कुछ न्यूनतम पात्रता की आवश्यकता रखी गयी है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 29 कार्यक्रमों में से पांच कार्यक्रमों में 12वीं उत्तीर्ण कर चुके व्यक्ति ही प्रशिक्षण ले सकते हैं जबकि चार अन्य कार्यक्रमों में 12वीं से उपर शैक्षिक स्तर की आवश्यकता है।
Eligibility For Courses Under Prime Minister’s Skill Development Scheme | |
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Qualification | Number of courses available |
Above Grade 12 | 4 |
Grade 12 | 5 |
Grade 10 | 3 |
Grade 8 | 3 |
Below Grade 8 | 5 |
None | 1 |
Data unavailable | 8 |
Source: Ministry of Skill Development and Entrepreneurship
जबकि भारत की अकुशल श्रम शक्ति को सशक्त बनाने के उपायों को कार्यान्वित किया जा रहा है इस योजना के तहत स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या को समाप्त किया जा सकता है।
पारिभाषिक शब्दावली:
1) सकल नामांकन अनुपात : माध्यमिक शिक्षा ( कक्षा 9-12) में कुल नामांकन, ( उम्र पर ध्यान दिए बगैर ) दिए गए स्कूल-वर्ष में वरणीय अधिकारीक माध्यमिक विद्यालय उम्र की आबादी (14 17+ वर्ष) के प्रतिशत के रुप में व्यक्त किया गया।
2) औसत वार्षिक ड्रॉप आउट दर: माध्यमिक ग्रेड में ग्रेड - विशिष्ट ड्रॉप आउट दर की औसत एवं 2013-14 में ग्रेड - वार नामांकन और 2014-15 में ग्रेड – विशिष्ट रिपटर्स की संख्या ध्यान में रख कर गणना की जाती है।
( तिवारी इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक है। शर्मा इंडियास्पेंड के साथ इंटर्न हैं )
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 28 नवंबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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