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सामान्य अमरिकी रोज़ाना 97 डॉलर खर्च करता है, सामान्य चीनी 7 डॉलर एवं सामान्य भारतीय 1.8 डॉलर खर्च करता है। यह आंकड़े गोल्डमैन सैक्स डेटा एवं इंडियास्पेंड के विश्लेषण में सामने आए हैं।

वित्त वर्ष 2011-12 में जारी हुए सरकारी खर्च के आंकड़ों पर किए गए हमारे विश्लेषण के अनुसार, एक शहर या नगर में रहने वाला भारतीय रोज़ाना 88 रुपए (1.8 डॉलर) एवं गांव में रहने वाला भारतीय 48 रुपए (72 सेंट) खर्च करता है। गोल्डमैन सैक्स अध्ययन में 2013 के आंकड़ों को लिया गया है।

इतना ही गांवों एवं शहरों में रहने वाले भारतीय भोजन, कपड़े, किराया और अन्य दैनिक जरूरतों पर रोज़ाना खर्च करते हैं।

राज्य: औसत खर्च (प्रतिदिन प्रति व्यक्ति)

गांव में रहने वाले लोगों में, केरल में सबसे अधिक खर्च किया जाता है: प्रतिदिन 90 रुपए, जबकि गोवा के गांवों में रोज़ाना 80 रुपए और पंजाब में 78 रुपए खर्च किया जाता है। शहर में रहने वाले लोगों में, हरियाणा में रोज़ना खर्च सबसे अधिक हैं, 127 रुपए प्रतिदिन प्रति व्यक्ति खर्च किया जाता है जबकि केरल में प्रतिदिन 114 रुपए एवं दिल्ली में 110 रुपए खर्च किया जाता है।

आधे भारत का खर्च: भारत के औसत से कम

गांवों में रहने वाले आधे लोग, प्रति माह 1,198 रुपए से कम खर्च करते हैं, यानि कि प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 40 रुपए खर्च करता है जोकि गरीबी की हद का संकेत देता है। शहरों में रह रहे आधे गरीब लोग प्रति माह 2,019 रुपए या प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 67 रुपए खर्च करता है। गरीबों की खर्च की तुलना में शहरों में औसत खर्च 20 रुपए अधिक है – प्रति माह 2,630 रुपए या प्रति व्यक्ति प्रति दिन 87 रुपए। यह शहरी भारत में अमीर और गरीब के बीच असमानता को दर्शाता है। भारत में गरीबी रेखा, शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 47 रुपए एवं ग्रामीण इलाकों में 32 रुपए खर्च करने की क्षमता के रुप में परिभाषित किया गया है। कम से कम 363 मिलियन (या 3630 लाख) भारतीय या 30 फीसदी गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने पहले भी विस्तार से बताया है। विश्व बैंक द्वारा परिभाषित वैश्विक गरीबी रेखा 1.90 डॉलर (126 रुपए) है।

भारत के निचले आधे का खर्च (प्रतिदिन प्रति व्यक्ति)

उपर दिए गए आंकड़े, आधे गरीब भारतीयों के खर्च का संकेत देता है।

ग्रामीण दिल्ली को छोड़ कर, जहां सबसे गरीब आधे का खर्च औसत से अधिक है, सभी राज्यों में आधे गरीब लोगों का खर्च, औसत खर्च से कम है, जो कि देश की बढ़ती शहरी-ग्रामीण विभाजन को दर्शाता है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने पहले भी विस्तार से बताया है।

नोट: भारतीयों के लिए प्रतिदिन प्रति व्यक्ति गणना घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण 2011-12 के 68 वें दौर पर आधारित है। राष्ट्रीय नमूना सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा प्रति व्यक्ति मासिक खर्च सर्वेक्षण, प्रति व्यक्ति द्वारा किए गए रोज़ाना खर्च के लिए इस्तेमाल किया गया है। रुपए से डॉलर का रूपांतरण 2011-12 के दर से किया गया है।

(तिवारी इंडियास्पेंड के साथ विश्लेषक हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 4 अप्रैल 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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