भुगतान में देरी, कम मूल्य से परेशान यूपी की गोवंश सहभागिता योजना के किसान
गोवंश सहभागिता योजना के तहत छुट्टा पशु को पालने के लिए यूपी सरकार प्रतिदिन रुपये 30 देती है, मतलब एक महीने का रुपये 900।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में छुट्टा पशुओं की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने एक योजना शुरू की है। इसके तहत छुट्टा पशुओं को पालने वाले लोगों को सरकार प्रतिदिन रुपये 30 देती है, मतलब एक महीने का रुपये 900। हालांकि यह पैसा लोगों तक पहुंचने में छह महीने से एक साल से ज्यादा का वक्त लग रहा है। भुगतान की इस व्यवस्था से लोग खासे परेशान हैं।
उन्नाव जिले के सराएं गांव के रहने वाले चंद्र कुमार पटेल (51) ने गोवंश सहभागिता योजना से दो छुट्टा पशु लिए हैं। इनका भुगतान 20 महीने बाद बैंक खाते में आ पाया। चंद्र कुमार बताते हैं, "मैंने 6 फरवरी 2020 को गौशाला से दो गोवंश लिए, एक गाय और एक बैल। इसके बाद पेमेंट के लिए आठ बार मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की। ब्लॉक से लेकर जिला स्तर के सरकारी दफ्तर पर दौड़ भाग करने के बाद सितंबर 2021 में पेमेंट मिल सका।" 19 महीने बाद चंद्र कुमार के खाते में रुपये 30,720 आए हैं, जबकि दो गोवंश के हिसाब से करीब रुपये 36,000 आने चाहिए थे।
गोवंश सहभागिता योजना क्या है?
यूपी सरकार की कैबिनेट ने 'मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना' को 6 अगस्त 2019 को मंजूरी दी थी। योजना को मंजूरी देते वक्त यह तय हुआ था कि छुट्टा पशुओं को पालने वाले लोगों को हर तीन महीने पर भुगतान किया जाएगा और आगे चलकर हर महीने भुगतान होने लगेगा। हालांकि ऐसा हो नहीं पा रहा।
योजना को कैबिनेट में मंजूरी मिलने के दिन यूपी सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया था कि गोवंश सहभागिता योजना पर रुपये 109.5 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। योजना के पहले चरण में यह लक्ष्य रखा गया कि एक लाख गोवंश पालने के लिए दिए जाएंगे। फिलहाल सितंबर 2021 तक इस लक्ष्य का 98.21% हासिल कर लिया गया है।
उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग से इंडियास्पेंड को मिले आंकड़ों के मुताबिक, 25 सितंबर 2021 तक 98,205 गोवंश 53,522 लोगों को दिए गए हैं। राज्य में सबसे ज्यादा 5,040 गोवंश ललितपुर जिले में दिए गए, वहीं सबसे कम 19 गोवंश रामपुर जिले में दिए गए। योजना के तहत एक व्यक्ति चार गोवंश तक ले सकता है। गोवंश लेने वालों में मुख्य तौर पर किसान और पशुपालक हैं।
योजना की जरूरत क्यों पड़ी
एक सवाल यह भी है कि उत्तर प्रदेश में इस योजना की जरूरत क्यों पड़ी? दरअसल यूपी में छुट्टा पशुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। साल 2012 से 2019 के बीच सात सालों में छुट्टा पशुओं की संख्या 17.3% बढ़ गई। पशुगणना के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 2012 में 10 लाख से ज्यादा छुट्टा पशु थे, सात साल बाद 2019 में यह संख्या करीब 11.8 लाख हो गई। साल 2019 में आई 20वीं पशुगणना के मुताबिक, देश में राजस्थान के बाद सबसे ज्यादा छुट्टा पशु यूपी में मौजूद हैं।
उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग के अपर निदेशक (गोवंश), डॉ. जयप्रकाश कहते हैं, "छुट्टा पशुओं की देखभाल के लिए उत्तर प्रदेश में 5 हजार गौशालाएं चल रही हैं, इनमें करीब 6.22 लाख गोवंश रखे गए हैं। इसके अलावा बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना चलाई जा रही है, जिसमें एक लाख पशुओं को देने का लक्ष्य है। हम यह लक्ष्य करीब-करीब हासिल कर चुके हैं।"
इस योजना का लक्ष्य भले ही पूरा हो गया हो लेकिन असल दिक्कत इसके भगुतान से जुड़ी है। योजना से जुड़े लोग छह महीने से साल भर तक अपने भुगतान का इंतजार कर रहे हैं। एक बार गोवंश लेने के बाद ऐसा कोई नियम भी नहीं कि उसे छोड़ा जा सके। गोवंश को छोड़ने पर कार्यवाही का प्रावधान भी है। हालांकि अपर निदेशक डॉ. जयप्रकाश कहते हैं, "हम जिसे गोवंश देते हैं आमतौर पर वह छोड़ते नहीं हैं। ऐसे में किसी कार्यवाही का मामला भी सामने नहीं आया।"
'सत्यापन की वजह से भुगतान में देरी'
बाराबंकी जिले के गांधीनगर के रहने वाले रामसेवक (55) के बैंक खाते में इसी साल अगस्त में रुपये 4,530 आए हैं। रामसेवक बताते हैं, "करीब साल भर बाद भुगतान हुआ है। एक मुश्त पैसे आए हैं तो ठीक लग रहा है, लेकिन हर महीने आते रहें तो ज्यादा अच्छा रहेगा।"
पशुपालन विभाग के अधिकारी भी यह मानते हैं कि गोवंश सहभागिता योजना में भुगतान को लेकर ज्यादा वक्त लग रहा है। उन्नाव जिले के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रमोद कुमार सिंह बताते हैं, "पेमेंट में देरी सत्यापन की वजह से हो रही है। हमें यह देखना होता है कि जिन्हें गोवंश दिया गया है वो उसे रख रहे हैं या छोड़ दिया है। इसके लिए ग्राम विकास अधिकारी, लेखपाल के माध्यम से हर तीन महीने पर सत्यापन होता है। जब यह रिपोर्ट आती है तो पैसा भेजा जाता है।"
सत्यापन और फंड के देर से आने की बात पशुपालन विभाग के अपर निदेशक डॉ. जयप्रकाश भी कहते हैं। उनके मुताबिक, शासन से कुछ महीनों के अंतराल पर फंड आता है जो जिलाधिकारी के खाते में भेजा जाता है, वहां से सत्यापन के बाद जिसका नाम होता है उन्हें पैसा भेजा जाता है। इस पूरी प्रकिया में कई महीने लग जाते हैं।
एक पहलू यह भी है कि कई बार सत्यापन के दौरान गोवंश अपनी जगह पर नहीं पाए जाते, ऐसे में उस व्यक्ति का नाम काट दिया जाता है। इसके बाद व्यक्ति को आवेदन करना होता है कि उसने गोवंश रखा हुआ है। इसके बाद फिर कागजी कार्यवाही में वक्त लगता है। यही कारण है कि उन्नाव में करीब 1400 लोगों को गोवंश दिए गए हैं, लेकिन पैसा सिर्फ 400 से 500 लोगों के खाते में आ रहा है। यह जानकारी उन्नाव के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने दी है।
प्रतिदिन रुपये 30 बहुत कम
यूपी सरकार छुट्टा पशुओं को पालने के लिए प्रतिदिन रुपये 30 के हिसाब से भुगतान करती है। एक व्यक्ति चार गोवंश तक रख सकता है। ऐसे में महीने के रुपये 3,600 उसके खाते में आ सकते हैं। हालांकि ज्यादातर किसान और पशुपालक एक या दो ही गोवंश ले रहे हैं। वजह यह है कि प्रतिदिन रुपये 30 उन्हें कम लग रहा है।
उन्नाव जिले के सराएं गांव के रहने वाले चंद्र कुमार पटेल कहते हैं, "रुपये 30 पर्याप्त नहीं हैं। एक गाय पर करीब रुपये 60 प्रतिदिन खर्च होता है। इसमें खरी, भूसा, चोकर सब शामिल है। ऐसे में किसान अपनी जेब से खर्च कर रहा है।"
चंद्र कुमार पशुपालक हैं। उन्होंने बताया कि जब यह योजना आई थी तब उनका मन था कि इसके तहत और गोवंश पालेंगे, लेकिन भुगतान की दिक्कत को देखते हुए अब मन बदल गया है।
हालांकि कुछ ऐसे भी किसान हैं जो इस योजना से खुश नजर आते हैं। उन्नाव के वसैना गांव के रहने वाले राहुल कुमार (32) के पिता रमेश प्रसाद ने गोवंश सहभागिता योजना के तहत फरवरी 2020 में एक बैल लिया है। राहुल कहते हैं, "बैल लेने के बाद सितंबर 2021 में पहली बार भुगतान हुआ तो खाते में रुपये 15,690 रुपए हैं। एक मुश्त बड़ी रकम आ गई तो अच्छा है। इससे कुछ काम हो जाएगा। बैल से इक्क चला रहे हैं तो उसका भी फायदा है।"
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