दिल्ली की बेघर आबादी और हीटवेव का अनुभव
दिल्ली की सतह के तापमान और बेघर लोगों के स्थानिक विश्लेषण से पता चलता है कि शहर के बीच इलाकों में बसे बेघर लोग गर्मी और हीटवेव से सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
नई दिल्ली: दिल्ली के अधिकतर बेघर लोग शहर के बाहरी इलाकों और औद्योगिक क्षेत्रों में रहने की तुलना में शहर के बीच के इलाकों में रहते हैं, जहां की सतह का तापमान अपेक्षाकृत कम है। हालांकि गर्मियों के मौसम में उनका यहां पर रहना भी दूभर हो जाता है।
देश एक बार फिर भीषण गर्मी का सामना करने जा रहा है और इस साल अधिक हीटवेव दिनों का पूर्वानुमान है। ये पूर्वानुमान अधिकारियों द्वारा तैयारी और राहत उपाय करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।
स्वतंत्र विशेषज्ञों और उनके अनुमानों के मुताबिक दिल्ली में कम से कम 200,000-250,000 लोग बेघर हैं, जिनमें महिलाएं, बच्चे, ट्रांसजेंडर, वृद्ध, दिव्यांग और अन्य वंचित समूह शामिल हैं। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) दिल्ली में बेघरों की समस्या से निपटने वाली प्रमुख एजेंसी है, जो 195 आश्रयों का एक नेटवर्क संचालित करती है। इसमें मौजूदा सरकारी इमारतों में 82 स्थायी संरचनाएं, टिन शीट से बने 103 पोर्टा केबिन और एक 'विशेष अभियान' के तहत बनाए गए 10 आश्रय शामिल हैं। इन प्रयासों के बावजूद इन 195 आश्रयों की कुल क्षमता लगभग 16,675 बिस्तरों की है, जो शहर की बेघर व्यक्तियों की अनुमानित आबादी से लगभग 92% कम है।
दिल्ली में हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क द्वारा किए गए एक अध्ययन में शहर की बेघर आबादी पर अत्यधिक गर्मी के प्रभाव का पता लगाकर उनका मानचित्रण किया गया। इस अध्ययन में यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) की डेटा का उपयोग किया गया, जिसमें लैंडसैट 8 ऑपरेशनल लैंड इमेजरी/थर्मल इंफ्रारेड सेंसर (OLI/TIRS) सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग किया गया है। उच्च तापमान वाले क्षेत्रों को मानचित्र पर चमकीले लाल रंग में दर्शाया गया है, जो तापमान कम होने पर धीरे-धीरे पीले रंग में बदल जाता है।
बेघर लोगों के बड़े समूह मुख्य रूप से शहर के मध्य भाग में रहते हैं, जहां वाणिज्यिक केंद्र और रोजगार के अवसर अधिक हैं। उदाहरण के लिए कई बेघर लोग यमुना पुश्ता के मध्य भागों में रहते हैं, क्योंकि यह क्षेत्र एक महत्वपूर्ण श्रम केंद्र के रूप में विकसित है और यहां रोजगार के अवसर अधिक हैं। इसके अलावा निज़ामुद्दीन जैसे धार्मिक केंद्रों में भी उनकी उपस्थिति अधिक है, क्योंकि यहां ज़रूरतमंदों को दान मिलता है।
अध्ययनों से पता चलता है कि औद्योगिक क्षेत्रों की तुलना में इन क्षेत्रों में तापमान अपेक्षाकृत कम होता है। हालांकि इसका मतलब यह भी नहीं है कि इन क्षेत्रों में भीषण गर्मी नहीं पड़ती। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में आसिफ अली रोड, चावड़ी बाजार, आनंद पर्वत औद्योगिक क्षेत्र और सदर बाजार; दक्षिणी दिल्ली में बदरपुर और जैतपुर; यमुना किनारे और शहर के दक्षिण-पूर्व में स्थित शाहदरा जैसी जगहों पर ही सतह का तापमान 40-45 डिग्री सेल्सियस रहता है। अत्यधिक गर्मी के बावजूद बेघर व्यक्ति जीविका के सीमित विकल्पों के कारण केंद्रीय इलाकों की ओर आकर्षित होते हैं।
शहर के कुछ हिस्सों में ज़मीन की सतह का तापमान बहुत ज़्यादा पाया गया, जो मुख्य रूप से उत्तर और दक्षिण-पश्चिम में स्थित औद्योगिक क्षेत्रों से भी मेल खाते हैं। इसमें नजफ़गढ़, द्वारका, नारायणा, रोहिणी, मुंडका, बवाना और नरेला जैसे इलाके प्रमुख हैं।
अत्यधिक गर्मी बेघरों को कैसे प्रभावित करती है?
अत्यधिक गर्मी का मानव शरीर पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। इंडियास्पेंड ने फरवरी 2024 में एक रिपोर्ट की थी, जिसमें बेघर व्यक्तियों पर अत्यधिक गर्मी का प्रतिकूल प्रभाव और भी अधिक स्पष्ट हुआ था। मई-जून 2023 के दौरान दिल्ली के 102 बेघर व्यक्तियों पर हुए एक सर्वे में सड़कों पर रहने वाले लगभग सभी (99% व्यक्तियों) ने नींद न आने की शिकायत की थी।
अत्यधिक गर्मी के कारण होने वाली समस्याओं में हीटस्ट्रोक, हड्डियों में कमज़ोरी, आंखों से संबंधित समस्याएं, दस्त, त्वचा संबंधी समस्याएं- चकत्ते और जलन, बेचैनी, सांस लेने में कठिनाई, मतली, चक्कर आना, उल्टी, उच्च रक्तचाप, सिरदर्द, बुखार, खांसी, हैजा, बार-बार नाक से खून आना, भूख न लगना, पेट दर्द और संक्रमण शामिल है।
सीमित आय और अपर्याप्त बंदोबस्त के कारण इन चुनौतियों को कम करना एक और बड़ी बाधा है। बेघर व्यक्ति अत्यधिक गर्मी के प्रभाव को कम करने के लिए तिरपाल का उपयोग, बार-बार स्नान, पेड़ों और पार्कों के पास छाया की तलाश जैसे अस्थायी उपायों का सहारा लेते हैं।
दिल्ली ने पिछले साल अपना हीट एक्शन प्लान जारी किया था, जिसमें भेद्यता सूचकांक के माध्यम से हीट स्ट्रेस के सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की गई थी। यह भेद्यता सूचकांक स्वच्छता, पानी, बिजली, स्वास्थ्य, परिवहन, आवास, खाना पकाने, जागरूकता जैसे आदि कारकों पर विचार करता है। इस योजना ने अधिकतम हीट स्ट्रेस वाले 10 हॉटस्पॉट को चिन्हित किया: जहांगीरपुरी, प्रेम बारी पुल (आजादपुर मंडी के पास), शकूर की डांडी, ख्याला में झुग्गी, मायापुरी झुग्गी, इंदिरा कल्याण विहार, संजय कॉलोनी, विश्वास नगर और बुलंद मस्जिद झुग्गी।
एक अध्य्यन से पता चलता है कि दिल्ली के लगभग छह वार्ड अत्यधिक संवेदनशील हैं, जहाँ गर्मी की लहरों से निपटने के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। इन इलाकों में बेघर लोगों की भी अच्छी खासी तादाद है, जिससे सरकार को रणनीतिक राहत प्रदान करने की ज़रूरत पर बल मिलता है। हालांकि योजना में हीटवेव के प्रभावों को कम करने की रणनीतियों की रूपरेखा दी गई है, लेकिन यह बेघर व्यक्तियों की विशिष्ट आवश्यकताओं को संबोधित या समायोजित नहीं करती है।