कन्नौज: खुशबू के कारोबार पर बदलते मौसम की मार

उत्तर प्रदेश का ज‍िला कन्‍नौज इत्र नगरी के नाम पूरी दुन‍िया में जाना जाता है। लेकिन यहां का इत्र कारोबार बदलते मौसम की मार झेल रहा है। ज्‍यादा गर्मी की वजह से तापमान बढ़ रहा ज‍िसकी वजह से फूलों का उत्‍पादन कम हो रहा ज‍िसका असर इत्र के कारोबार पर पड़ रहा। देख‍िए वीड‍ियो स्‍टोरी

Update: 2024-08-27 07:21 GMT

कन्‍नौज। उत्तर प्रदेश राजधानी लखनऊ से लगभग 130 क‍िलोमीटर दूर बसा ज‍िला कन्‍नौज इत्र नगरी के नाम से पूरी दुन‍िया में जाना जाता है। कई दशकों से इस शहर में फूलों से बने शुद्ध इत्र का व्यापार होता आ रहा है। इत्र बनाने की परम्परा यहां सदियों से चली आ रही है, जिसके चलते ही इसे भारत की इत्र नगरी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां क‍ि म‍िट्टी में भी इत्र की खुशबू है। लेकिन प‍िछले कुछ वर्षों से खुशबू का ये व्‍यापार भी बदलते मौसम की मार झेल रहा है।

सुगंध एवं सुरस व‍िकास केंद्र के डायरेक्‍टर विनय शुक्ला भी मानते हैं कि हाल के वर्षों ज्‍यादा गर्मी की वजह से कन्‍नौज में फूलों का उत्‍पादन कम हुआ है। कन्‍नौज में लगभग 25 क‍िलोमीटर क्षेत्र में फूलों की खेती है और इत्र के कारोबाद से प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष रूप से लगभग एक लाख लोगों को रोजगार म‍िला है। सुगंध एवं सुरस व‍िकास केंद्र के अनुसार कन्‍नौज के इत्र का सालाना कारोबार लगभग 400 करोड़ रुपए का है और 693 गांवों के 1,687 इत्र कारखाना में इत्र बनाने का काम होता है।

बढ़ते तापमान की वजह से फूलों की खेती प्रभाव‍ित हो रही है। कन्‍नौज में फूलों की खेती करने वाले क‍िसानों ने बताया कि ज्‍यादा गर्मी की वजह से फूलों का उत्‍पादन प्रभाव‍ित हो रहा है। इसका सीधा असर इत्र के उत्‍पादन और व्‍यापार पर पड़ रहा।

“उत्‍पादन ग‍िर रहा। इस साल जून में तापमान इतना ज्‍यादा था कि जहां 10 किलो फूल न‍िकलता था, वहां मुश्‍किल से एक क‍िलो फूल न‍िकल पाया, और प‍िछले कुछ वर्षों से हो रहा।” कन्‍नौज में लगभग 4 बीघा खेत में बेला और मोंगरा की खेती करने वाले युवा किसान ह‍िमांचल बताते हैं।

इत्र के व्‍यापारी मोहम्‍मद अयाज कहते हैं कि हाल के वर्षों में ज्‍यादा तापमान की वजह से फूलों की खेती प्रभाव‍ित हुई है ज‍िसका असर उनके व्‍यापार पर पड़ा है।

“ज्‍यादा तापमान की वजह से फूलों का उत्‍पादन लगातार कम हुआ है। ऐसे में कई बार ऑर्डर होने के बावजूद वे सप्‍लाई नहीं कर पाते। ये द‍िक्‍कत हाल के वर्षों में ज्‍यादा बढ़ी है।” अयाज बताते हैं।

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