उत्तर प्रदेश: बाढ़ की चपेट में 22 जिलों के 1,400 से ज्यादा गांव, बचाव की क्या हैं तैयारियां?
उत्तर प्रदेश में इस समय 22 जिलों के 1,476 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। इन गांवों के 18 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। आम जनजीवन प्रभावित है तो वहीं कई जिलों में बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। ऐसे में राज्य सरकार इन हालातों से निपटने के लिए क्या कर रही है और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की वर्तमान स्थिति क्या है, इस पर एक रिपोर्ट।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 22 जिलों के 1,476 गांवों के 18 लाख से ज्यादा लोग इस समय बाढ़ की चपेट में हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान राज्य में बारिश से संबंधित घटनाओं में 70 लोगों की मौत हो गई है, जबकि विभिन्न जिलों में लगातार बारिश और प्रमुख नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण बाढ़ और विकराल रूप ले रहा। ऐसे में सवाल यह है कि अगर हालात और बिगड़ते हैं तो इससे निपटने के लिए राज्य कितना तैयार है?
गुरुवार 11 जुलाई को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने बाढ़ प्रभावित जिला श्रावस्ती का हवाई सर्वेक्षण किया। इसके बाद अपने बयान में उन्होंने कहा, “6 और 7 जुलाई को नेपाल और उत्तराखंड में भारी बारिश हुई। यह पहली बार है जब हमने जुलाई के पहले सप्ताह में इस क्षेत्र (श्रवास्ती) में बाढ़ देखी है।” इससे पहले बुधवार को योगी आदित्यनाथ ने लखीमपुर खीरी में बाढ़ प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया था।
70 मौत, 1476 से ज्यादा गांवों के 18 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित
प्रदेश में बारिश और प्रमुख नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण 22 जिलों में बाढ़ आ गई है। राहत आयुक्त कार्यालय की रिपोर्ट (14 जुलाई तक) के अनुसार 13 जिलों में अलग-अलग प्राकृतिक घटनाओं की वजह से 70 लोगों की मौत हो गई। चार जिलों में डूबने से 18 और 4 जिलों में सर्पदंश से छह लोगों की मौत हुई। 10 जिलों में बिजली गिरने से हुई 45 मौतों में प्रतापगढ़ में 14, सुल्तानपुर में 7, फतेहपुर और चंदौली में 6-6, प्रयागराज में 4, हमीरपुर और सोनभद्र में 2 और उन्नाव, अमेठी, इटावा, आजमगढ़ जिले में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई।
डूबने से 15 लोगों की मौत हुई जिनमें फतेहपुर में तीन, प्रतापगढ़ में चार, एटा, बांदा और फरुखाबाद जिले में दो-दो व्यक्ति की मौत हुई। अमेठी, बलरामपुर और बदायूं में एक-एक मौत शामिल है। सर्पदंश से पांच लोगों की मौत हुई जिसमें अमेठी में दो, ललितपुर, इटावा, बांदा और सोनभद्र जिले में एक-एक व्यक्ति शामिल हैं।
लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, कुशीनगर, शाहजहांपुर, बाराबंकी, सीतापुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बलिया, गोरखपुर, बरेली, आजमगढ़, हरदोई, अयोध्या, बहराइच, बदायूं, फर्रुखाबाद, बस्ती, देवरिया, उन्नाव, पीलीभीत, श्रावस्ती) के 1476 गाँव बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। इन गांवों के 1,476 गांवों में रहने वाले 18,00,335 लोग प्रभावित हुए हैं। 1,91,515 हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ़ में डूब गई है।
लखीमपुर खीरी में 280 गांवों में रहने वाले 186,598 लोग बाढ़ की चपेट में हैं। बलरामपुर में 35, कुशीनगर में 37, बस्ती में 1, शाहजहांपुर में 57, बाराबंकी में 10, सीतापुर में 16, गोंडा में 4 और सिद्धार्थनगर जिले में 226 गांव प्रभावित हैं।
इसी तरह बलिया में 4 गांव, गोरखपुर में 45, बरेली में 4, आजमगढ़ में 2 गांव, हरदोई में 117, अयोध्या में 7, बहराइच में 1, बदायूं में 8, फर्रुखाबाद में 13, देवरिया और उन्नाव में 1-1 गांव बाढ़ की चपेट में है।
स्कूल बंद, बस और ट्रेन संचालन प्रभावित
बाढ़ के कारण हरदोई में जिलाधिकारी ने 83 स्कूलों को 18 जुलाई तब बंद करने का आदेश दिया है। जिले में 117 से ज्यादा गांव प्रभावित हैं। बाढ़ की वजह से यातायात सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। लखनऊ से अलग-अलग इलाकों में चलने वाली बसों सहित अन्य डिपो की बसों का संचालन प्रभावित हुआ। 350 से अधिक बसों के संचालन रोकना पड़ा।
इसी तरह शाहजहांपुर में भी सोमवार 15 जुलाई को बाढ़ा प्रभावित क्षेत्रों में कक्षा 1 से आठवीं तक स्कूल बंद रहेंगे। बीएसए दिव्या गुप्ता ने बताया कि बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों के कुछ स्कूलों में पानी भर गया है और वहां जक जाने का रास्ता भी पानी से भरा है। इसी कारण छात्र हित को ध्यान में रखकर यह निर्णय किया गया है। इसको लेकर डीएम ने निर्देश दिए हैं। बाकी के विद्यालय यथावत संचालित रहेंगे।
लखनऊ में रोडवेज के जनसंपर्क अधिकारी अजीत कुमार सिंह ने बताया कि शाहजहांपुर रूट पर सड़कों पर जलभराव काफी रहा। इसकी वजह से दिल्ली व उत्तराखंड की ओर जाने वाली बसों को भी रोकना पड़ा।
कई ट्रोनों का संचालन भी प्रभावित हुआ है। पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर मंडल के पीलीभीत-शाही रेलखंड पर भारी वर्षा एवं बाढ़ के पानी से यातायात बाधित हो गया। सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह अनुसार 15074/076 टनकपुर-सिंगरौली-शक्तिनगर एक्सप्रेस शनिवार से, 15075/73 सिंगरौली-शक्तिनगर टनकपुर एक्सप्रेस 14 जुलाई से अगली सूचना तक कैंसिल रहेगी। ऐसे ही देहरादून से 14 से चलने वाली 15019 देहरादून-टनकपुर एक्सप्रेस टनकपुर की जगह बरेली सिटी में यात्रा समाप्त करेगी तथा वापसी में टनकपुर से 13 जुलाई से चलने वाली 15020 टनकपुर-देहरादून एक्सप्रेस टनकपुर की जगह बरेली सिटी से चलाई जाएगी।
बाढ़ की वजह?
श्रावस्ती में पत्रकारों से बात करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि
उत्तराखंड में हिमालय पर्वतमाला की तलहटी में लगातार बारिश और राप्ती, शारदा, घाघरा, बूढ़ी राप्ती और कुवानो नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण उत्तर प्रदेश में बाढ़ आई है।
उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त जीएस नवीन कुमार ने वर्षा की स्थिति से अवगत कराते हुए 14 जुलाई को बताया कि गत 24 घंटे में प्रदेश में 6.3 मिमी औसत वर्षा हुई है जो सामान्य वर्षा से 9.7 मिमी के सापेक्ष 64.9 प्रतिशत है। इस प्रकार प्रदेश में 01 जून 2024 से दिनांक 14 जुलाई, 2024 तक 239.2 मिमी0 औसत वर्षा हुई जो सामान्य वर्षा 209.4 मिमी0 के सापेक्ष 114.2 प्रतिशत है।
उन्होंने आगे बताया कि पिछले 24 घंटों में प्रदेश के 02 जनपदों (हमीरपुर एवं वाराणसी) में 30 मिमी या उससे अधिक वर्षा दर्ज की गई है। प्रदेश में रामगंगा, कुन्हरा, राप्ती, घाघरा, बूढ़ी राप्ती, रोहिन एवं क्वानो नदियाँ खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है।
बचाव के लिए क्या हो रहा?
प्रमुख सचिव राजस्व पी. गुरु प्रसाद ने बताया कि बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश को तीन भागों में बांटा गया है। इसमें 24 जिले अति संवेदनशील, 16 संवेदनशील और 35 सामान्य श्रेणी में शामिल हैं। इन जिलों में विशेष निगरानी के लिए टीमें गठित की गई हैं। अति संवेदनशील और संवेदनशील जिलों में बाढ़ से निपटने के लिए एनडीआरएफ की सात टीमें, एसडीआरएफ की 18 टीमें और पीएसी की 17 टीमें आसपास के जिलों में तैनात की गई हैं।
राज्य में अब तक कुल 551,949 लंच पैकेट और साथ ही 34,577 खाद्य सामग्री पैकेट भी वितरित किए गए हैं। 1,829 बाढ़ शरणालय, 569 पशु शिविर जिसमें चारे आदि की व्यवस्था और 519,121 पशु टीकाकरण, 1476-बाढ़ चौकियाँ, 1145-मेडिकल टीम गठित/स्थापित की गई है। इसके अलावा 2,182 नावों को भी बचाव कार्य के लिए लगाया गया है। अब तक कुल 13,026 व्यक्तियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है और कुल 151,957 क्लोरीन टैब्लेट व 123668 ओआरएस का वितरण किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं बाढ़ की स्थिति का जायजा ले रहे हैं। उन्होंने बाढ़ कार्यों में लापरवाही बरतने पर 5 एडीएम एफआर, 5 आपदा विशेषज्ञ से जवाब तलब किया है। अधिकारियों को 2 दिन में स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि संतोषजनक जवाब न मिलने पर कार्रवाई हो सकती है। सीएम ने लखनऊ, प्रतापगढ़ के अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है।
तत्काल मुआवजा देने के निर्देश
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि बाढ़ से प्रभावित परिवारों को खड़ी फसलों, घरों और मानव व मवेशियों की जान को हुए नुकसान के लिए तत्काल मुआवजा मिलेगा। पीलीभीत के पूरनपुर तहसील के अंतर्गत चंदिया हजारा गांव में बाढ़ पीड़ितों की एक सभा को संबोधित करते हुए सीएम ने त्वरित कार्रवाई और सहायता का आश्वासन दिया।
सीएम ने बाढ़ में एक सदस्य को खोने वाले प्रत्येक परिवार को तत्काल 4 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि मवेशियों की मौत पर 24 घंटे के भीतर मुआवजा दिया जाएगा। खड़ी फसलों को हुए नुकसान के लिए सर्वेक्षण किया जाएगा और राहत राशि प्रभावित किसानों के बैंक खातों में स्थानांतरित की जाएगी ताकि वे अपनी फसलों की फिर से खेती कर सकें।