उत्तर प्रदेश: चार साल में 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा तापमान, 700% बढ़े हीटवेव दिन, इस साल की क्या है तैयारी?
मौसम विभाग के अनुमानों के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार ने हीट वेव ऐक्शन प्लान 2025 तैयार किया है। ये कितना कारगर साबित हो पायेगा?;
मौसम विभाग के अनुमानों के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार ने हीट वेव ऐक्शन प्लान 2025 तैयार किया है। ये कितना कारगर साबित हो पायेगा?
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में इस साल भीषण गर्मी पड़ने वाली है। अप्रैल के बाद मई से जून तक सामान्य से अधिक तापमान और तीव्र लू चलने का अनुमान है। मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य का बुंदेलखंड क्षेत्र, जिसमें झांसी और चित्रकूटधाम मंडल के सात जिले शामिल हैं जहां लू का असर ज्यादा रहेगा, जिससे इंसानों के साथ-साथ पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ेगा।
अमौसी स्थित आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के अनुसार, "इन महीनों के दौरान पूरे उत्तर प्रदेश में सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान रहने की आशंका है। पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि दिन का तापमान लगातार 40 डिग्री सेल्सियस के निशान को पार करेगा।
"लखनऊ, कानपुर देहात, हमीरपुर, हरदोई आगरा जैसे जिलों में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ सकती है। इनके अलावा कन्नौज, झांसी, महोबा, इटावा, मैनपुरी जिलों के हिस्से भी शामिल हैं। साथ ही इससे थोड़ा कम वाले हिस्से में मुरादाबाद, बरेली, रामपुर, वाराणसी, प्रयागराज और मिर्जापुर आदि जिलों के हिस्से आ रहे हैं।"
इसके पीछे की वजह पर बात करते हुए वे कहते हैं कि वैश्विक स्तर पर देखें तो प्रशांत महासागरीय तटस्थ निनो की स्थिति है। साथ ही तटस्थ हिन्द महासागरीय द्विध्रुव परिस्थितियां हैं। यह एक बदलाव की बड़ी वजह है क्योंकि लगातार ज्यादा गर्मी या तापमान सामान्य से कम रहने वाली स्थितियां नहीं बन रही हैं।
हालांकि मौसम विभाग के अनुमानों के आधार पर ही प्रदेश सरकार के उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (UPSDMA) ने हीट वेव ऐक्शन प्लान 2025 तैयार किया है। इस रिपोर्ट में पिछले कुछ वर्षों की स्थिति का भी जिक्र है, जो बेहद चिंताजनक हैं।
चार साल में 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा तापमान
उत्तर प्रदेश में मौसम विभाग के स्टेशन आधारित रिपोर्ट देखें तो राज्य में 2021 से 2024 के बीच, यानी चार वर्षों में अधिकतम तापमान में लगभग 4 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी हुई है।
स्टेशन आधारित अधिकमत तापमान की रिपोर्ट। साभार- भारत मौसम विज्ञान विभाग
वर्ष 2024 और 2023 में बुंदेलखंड क्षेत्र के अंर्तगत आने वाला जिला झांसी सबसे गर्म रहा जहां अधिकतम तापमान 49 और 46.5 डिग्री सेल्सियस तक था। 2022 और 2021 में बांदा सबसे गर्म रहा जहां का अधिकतम तापमान 48 और 46.5 डिग्री सेल्सियस तक रहा। आगरा, झांसी और लखनऊ जैसे तीन प्रमुख शहरों के लिए अलग से सिटी हीटवेव एक्शन प्लान भी तैयार किए गए हैं।
ज्यादा गर्मी का असर काम, खेती किसानी, स्वास्थ्य पर तो पड़ता ही है, जान का जोखिम भी बढ़ जाता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जून के बीच जब तापमान चरम पर होता है, लखनऊ जिले में मौतों का आंकड़ा भी सर्वाधिक होता है। (नीचे चार्ट देखें)
वर्ष 2024 के दौरान देश का वार्षिक औसत तापमान 1991-2020 के औसत से +0.65°C अधिक था। इस प्रकार वर्ष 2024 को 1901 के बाद से रिकॉर्ड गर्म वर्ष माना गया। पांच सबसे गर्म वर्ष 2024 (+0.65°C), 2016 (+0.54°C), 2009 (+0.40°C), 2010 (+0.39°C) और 2017 (+0.38°C) हैं। 15 सबसे गर्म वर्षों में से 10 हाल के पंद्रह वर्षों (2010-2024) में देखे गए। पिछला दशक (2015-2024) भी रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दशक रहा। 1901-2024 के दौरान देश के औसत वार्षिक औसत तापमान में 0.68 डिग्री सेल्सियस/100 वर्ष की महत्वपूर्ण वृद्धि प्रवृत्ति देखी गई। इसी अवधि के दौरान अधिकतम (0.89 डिग्री सेल्सियस/100 वर्ष) और न्यूनतम (0.46 डिग्री सेल्सियस/100 वर्ष) तापमान में महत्वपूर्ण वृद्धि प्रवृत्ति देखी गई।
वर्ष 2024 के दौरान देश भर में औसत मासिक औसत तापमान मार्च को छोड़कर वर्ष के सभी महीनों के लिए सामान्य से ऊपर रहा (+0.22°C सामान्य के करीब)। अक्टूबर के दौरान देश भर में औसत मासिक तापमान 1901 के बाद से सबसे अधिक दर्ज किया गया (+1.23 डिग्री सेल्सियस) और जुलाई और सितंबर के दौरान दूसरा सबसे अधिक (क्रमशः +0.70 डिग्री सेल्सियस और +0.76 डिग्री सेल्सियस) था।
इसके अलावा नवंबर के दौरान औसत तापमान 1901 के बाद से तीसरा सबसे अधिक (^0.84 डिग्री सेल्सियस) और मई और अगस्त चौथा सबसे अधिक (क्रमशः +0.69 डिग्री सेल्सियस और +0.45 डिग्री सेल्सियस था) था। 2024 में देश भर में औसत मासिक अधिकतम तापमान नवंबर के लिए 1901 के बाद से दूसरा सबसे अधिक (+0.62 डिग्री सेल्सियस) था। 2024 में देश भर में मासिक न्यूनतम तापमान औसतन जुलाई, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर के दौरान +0.89°C, +0.59°C, +0.99°C और ^1.78°C के साथ 1901 के बाद से सबसे अधिक था और 1901 के बाद से फरवरी के लिए दूसरा सबसे अधिक दर्ज किया गया (+0.79°C)।
700 फीसदी तक बढ़े हीटवेव दिनों की संख्या
उत्तर प्रदेश भी भीषण गर्मी और लू के बढ़ते प्रभाव का सामना कर रहा है। मार्च से गर्मी शुरू हो जाती है और अप्रैल आते-आते तापमान 40 डिग्री को पार करने लगता है। पिछले 4 सालों की बात करें तो वर्ष 2024 में प्रदेश के 34 मौसम केंद्रों पर रिकॉर्ड 436 हीटवेव यानी लू के दिन दर्ज किए गए। जबकि 2023 में 90 दिन, 2022 में 397 दिन, 2021 में 62 दिन लू के दिन दर्ज किए गए। मतलब इन चार वर्षों के दौरान लू के दिनों में लगभग 700 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखी गई।
उत्तर प्रदेश में 2021 से 2024 के बीच हीटवेव दिनों की संख्या। साभार- UPSDMA
भारत में जब मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक और पहाड़ी इलाकों में 30 डिग्री या उससे अधिक हो जाता है तो उसे हीटवेव माना जाता है। अगर तापमान सामान्य से 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक हो या अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो जाए तो वह भी हीटवेव की श्रेणी में आता है। वहीं जब तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक या 47 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो तो उसे भीषण हीटवेव माना जाता है। अगर मौसम केंद्र पर लगातार दो दिन तक ये स्थितियां बनी रहती हैं तो वहां आधिकारिक तौर पर हीटवेव घोषित कर दिया जाता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि 2024 में 48 हजार से ज्यादा लोग हीट स्ट्रोक की चपेट में आकर अस्पताल पहुंचे। इनमें 5,731 मरीज उत्तर प्रदेश से थे। रिपोर्ट के मुताबिक कुल 48,156 संदिग्ध हीट स्ट्रोक मामलों में 269 की उपचार के दौरान मौत हो गई। इन्हें संदिग्ध हीटस्ट्रोक मौत (एसएचडी) की श्रेणी में रखा गया जबकि 161 लोगों की हीट स्ट्रोक की वजह से मौत होने की पुष्टि है। मौत की पुष्टि होने वालों में उत्तर प्रदेश के 52 लोग थे।
अगर एक मार्च 2023 से 25 जुलाई 2024 के बीच स्थिति देखें तो इन दो वर्ष में देश के 36 राज्यों में कुल 67,637 लोग गर्मी की चपेट में आकर अस्पताल पहुंचे जिनमें से 374 लोगों की उपचार के दौरान मौत हुई।
हीटवेव की वजह से मौतों का आंकड़ा। https://ncdc.mohfw.gov.in/
अंतर-सरकारी जलवायु परिवर्तन पैनल (IPCC) की कार्यकारी समूह की छठी आकलन रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि भारत पहले से ही घातक हीटवेव, बादल फटने, तूफान और सूखे जैसी स्थितियों का सामना कर रहा है और जलवायु संकट के साथ ये घटनाएं और भी तीव्र होने वाली हैं।
नई दिल्ली स्थित जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCCHH) की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पूर्वी पटेल ने रिपोर्ट में बताया कि साल 2024 में भीषण गर्मी और लू चलने की अवधि 77 दिन दर्ज की गई जिससे मार्च से लेकर जून माह के बीच देश के 17 राज्यों ने गर्म रातों का अनुभव किया। उत्तरी भारत के चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश ने बेमौसम रात के तापमान में काफी वृद्धि महसूस की। चंडीगढ़, दिल्ली और हरियाणा ने 15 से लेकर 18 जून तक लगातार चार "गंभीर गर्म रात" का सामना किया। सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक अहम जोखिम है जो एक नई चरम सीमा को दर्शा रहा है क्योंकि इन क्षेत्रों में रात का तापमान सामान्य स्तर तक गिरने में विफल रहा।
“हम भीषण गर्मी या हीट वेव के प्रभावों के बारे में जानते हैं। शिशुओं, बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों, विकलांग लोगों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों पर इसके परिणाम गंभीर हैं। स्वास्थ्य को लेकर भी कई तरह के प्रभावों की जानकारी सामने है। लेकिन भारत में व्यवसायिक तौर पर पीड़ितों के बारे में बहुत सीमित डाटा उपलब्ध है।” उन्होंने आगे बताया।
भारतीय मौसम विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने पिछले दिनों एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया, “भारत में आमतौर पर अप्रैल और जून के बीच चार से सात दिन तक लू चलती है। लेकिन इस साल सर्दी के महीने में ही कई राज्यों में लू चली। इस साल कई क्षेत्रों में भीषण गर्मी पड़ सकती है।”
“राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक और तमिलनाडु के उत्तरी भागों में सामान्य से अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है।
महापात्रा ने कहा, "पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा सहित कुछ राज्यों में इस अवधि के दौरान 10 से 11 दिन तक लू चल सकती है।"
वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जानकारी दी गई कि भारत के लिए साल 2024 सबसे ज्यादा गर्म सालों में से एक था। बीते साल देश में 554 दिन हीटवेव का असर रहा। 554 हीटवेव डे से मतलब देश में हीटवेव की कुल घटनाओं से है। हीटवेव दिनों की गणना कैलेंडर के दिनों से नहीं होती बल्कि लू चलने की घटनाओं की गिनती से होती है।
वर्ष 2025 में हीटवेव पहले ही शुरू हो गई। 2024 में ओडिशा में पहली हीटवेव 5 अप्रैल को देखी गई। लेकिन 2025 में कोंकण और तटीय कर्नाटक में 27-28 फरवरी को हीटवेव की स्थिति दर्ज की गई।
क्या है उत्तर प्रदेश का हीट वेव एक्शन प्लान?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबंधित विभागों को गर्मी के मौसम से पहले एक व्यापक हीट वेव एक्शन प्लान लागू करने का निर्देश दिया है।
उत्तर प्रदेश में मार्च से जून 2024 के बीच एक दशक से अधिक समय में सबसे अधिक हीट वेव देखी गई।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, अप्रैल से मध्य मई तक तापमान सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है। इसे देखते हुए, राज्य सरकार ने स्वास्थ्य, शहरी विकास, श्रम, पशुपालन और ग्रामीण विकास विभागों के सहयोग से एक बहुस्तरीय रणनीति तैयार की है।
उत्तर प्रदेश हीट वेव एक्शन की मुख्य बातें:
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने नागरिकों को हीटवेव स्थितियों से बचाने के साथ-साथ जोखिम को कम करने के उद्देश्य से तीन मुख्य प्राथमिकताओं को रेखांकित किया है-
तैयारी,
संसाधन आवंटन,
आपातकालीन प्रतिक्रिया रणनीतियां
राज्य सरकार जल्द ही जिलों में अपनी ‘राज्य हीटवेव कार्य योजना’ को लागू करेगी। इसने आसन्न हीटवेव को राज्य स्तरीय आपदा घोषित किया है।
कार्य योजना में आगरा, झांसी और लखनऊ के लिए विशेष शहर-विशिष्ट उपाय शामिल हैं।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने अपने कार्यालय से एक आधिकारिक बयान के अनुसार हीटवेव स्थितियों से जुड़े जोखिमों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए जन जागरूकता अभियान की आवश्यकता पर जोर दिया है।
राज्य ने पूरे राज्य में मौसम संबंधी चेतावनियाँ जारी करने के लिए एक प्रणाली स्थापित की है। यह अभियान मोबाइल ऐप ‘सचेत’ के साथ-साथ राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा एकीकृत प्रारंभिक चेतावनी पोर्टल पर उपलब्ध है।
प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए, योगी प्रशासन के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) ने सभी विभागों, हितधारकों और जिला अधिकारियों के साथ बैठकें और प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए हैं।
राज्य ने नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं, जिसमें राहत आयुक्त राज्य स्तर पर प्रयासों की देखरेख करते हैं और एडीएम (एफ/आर) जिला स्तर पर हीटवेव प्रतिक्रिया का प्रबंधन करते हैं।
राज्य ने हीटवेव की स्थिति से संबंधित जानकारी और सहायता प्रदान करने के लिए राहत आयुक्त कार्यालय में एक समर्पित नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है।
लोगों को ज़रूरत पड़ने पर तुरंत मदद मिल सके, यह सुनिश्चित करने के लिए एक समर्पित हेल्पलाइन, 1070 सक्रिय की गई है।
उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (UPSDMA) की प्रोजेक्ट डायरेक्टर कनीज फातिमा बताती हैं, "हीटवेव में किस तरह से मृत्यु दर बढ़ रही है और उसको एक्शन प्लान के माध्यम से किस तरह से कम किया जा सकता है, हम इसी क्रम में काम कर रहे हैं। आने वाले दिनों में चिन्हित जिलों के लोगों को गर्मी से बचने के लिए यह प्लान तैयार किया गया है। इस प्लान को सभी विभागों द्वारा इंप्लीमेंट करते हुए लोगों की जान बचानी है।"