बहराइच में वन विभाग को 51 दिन बाद बड़ी कामयाबी, पकड़ा गया पांचवां नरभक्षी भेड़िया

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में वन विभाग ने 51 दिनों के अथक प्रयास के बाद पांचवें नरभक्षी भेड़िये को पकड़ा, एक अभी भी फरार है। इन भेड़ियों के हमलों में 8 बच्चों और एक महिला की जान गई, जबकि लगभग 4 दर्जन लोग घायल हुए हैं। वन्यजीव विशेषज्ञ इस असामान्य व्यवहार के कारणों की जांच कर रहे हैं, जबकि स्थानीय प्रशासन सुरक्षा उपायों को मजबूत कर रहा है।

Update: 2024-09-11 10:22 GMT

बहराइच: वन विभाग को 51 दिन बाद आखिरकार एक बड़ी कामयाबी मिल ही गई है। टीम ने महसी के हरबख्श पुरवा में मंगलवार की सुबह-सुबह पांचवां भेड़िया पकड़ लिया। खास बात ये है कि यह भेड़िया उसी जगह पर पकड़ा गया है जहां पहले के चार भेड़िये पकड़े गए थे। अभी एक भेड़िए की तलाश जारी है।

50 गांवों में आतंक मचाने वाले इन भेड़ियों के हमले में अब तक 8 बच्चों और एक महिला की जान जा चुकी है और लगभग 4 दर्जन लोग घायल हुए हैं। हालांकि, प्रशासन अभी तक सिर्फ 35 लोगों के घायल होने की बात ही मान रहा है।

पिछले कई दिनों से भेड़ियों के खौफ से 50 गांवों में दहशत का माहौल बना हुआ था। इन्हें पकड़ने के लिए वन विभाग की 165 लोगों की टीम लगातार को काफी मशक्कत करनी पड़ी है। इस ऑपरेशन में बड़ी संख्या में राजस्व और पुलिस की टीम भी शामिल थी।

भेड़िया के आतंक से घिरे इलाके में फॉरेस्ट की टीम तीन जोन में तैनात थी और एक जोन सुरक्षित रखा गया। हर जोन का नेतृत्व डीएफओ स्तर के अधिकारी ने किया और महाप्रबंधक वन निगम संजय पाठक तीनों जोनों की निगरानी कर रहे थे। मुख्य वन संरक्षक मध्य जोन रेनु सिंह भी पिछले एक हफ्ते से बहराइच में कैंप में डेरा डाले हुई थी।

पुलिस के साथ-साथ ग्रामीणों ने भी भेडियों से बचाव के लिए तमाम प्रयास किए थे। गांव-गांव में घूम कर "जागते रहो" की आवाजें लगाकर लोगों को सतर्क किया और अगर कोई बाहर सोता दिखाई दिया तो उसे अन्दर सोने की हिदायत भी दी गई। खुद क्षेत्रीय विधायक सुरेश्वर सिंह बन्दूक लेकर गांव-गांव में चक्कर लगाते नजर आए। हादसे ज्यादातर उन घरों में हुए, जिनमें या तो दरवाजे नहीं थे या फिर घास-फूस के बने घरों को भेड़िए ने अपना निशाना बनाया। ऐसे घरों में उनके लिए शिकार करना बहुत आसान होता है।

महसी के ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारी हेमंत यादव ने जानकारी दी कि घटनाओं को कम करने के लिए 42 गांवों में 40 सोलर स्ट्रीट लाइट व 10 हाई मास्क लाइट लगाई गईं। साथ ही जिन घरों में दरवाजे नहीं थे, सरकार की तरफ से ऐसे 240 घरों में दरवाजे और 308 शौचालय बनवाए गए। गांव वालों ने भी समस्या से निजात पाने के लिए लगभग 800 विधुत स्ट्रीट लाइट अपने खर्चे से लगवाई।

बहरहाल तमाम इंतजाम और पांचवे भेड़िए के पकड़े जाने के बावजूद ग्रामीणों के सिर से खतरा पूरी तरह से टला नहीं है। वो अभी तक एक ओर भेड़िये के न पकड़े जाने से डर के साये में हैं। महाप्रबंधक वननिगम संजय पाठक ने कहा कि फिलहाल ग्रामीणों को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं। बचा हुआ भेड़िया पूरे ग्रुप के बिछड़ जाने के कारण अवसाद में होगा। अकसर देखा गया है कि ऐसी स्थितियों में वह रोते भी हैं और कभी-कभी गम में इनकी मृत्यु भी हो जाती है।

यह भी पढ़े: तराई के गांवों में ख़ौफ, आखिर इंसानों पर इतने हमलावर कैसे हो गये भेड़िये?

वन विभाग ने जहां भेड़ियों को पकड़ा है, वहां से कुछ ही दूरी पर घाघरा नदी बहती है और नदी के उस पार सीतापुर जनपद है। यह पूरा इलाका पठारी और सुनसान है, जो भेड़ियों के रहने के लिए आदर्श है। उन्हें यहां आसानी से अपना शिकार मिल जाता है। लेकिन बरसात के दौरान इनकी मांदों में पानी भर जाता है। वह भोजन की तलाश में आबादी की तरफ रुख कर लेते है।

महाप्रबंधक वन निगम संजय पाठक का मानना है कि शायद गलती से ही इन भेड़ियों ने पहले इंसान के बच्चे पर हमला किया होगा। एक बार इंसानी मांस मुंह लगने के बाद, वे उसके आदी हो गए। “भेड़िया समूह में रहता है और हो सकता है कि जिस भेड़िए ने इंसान का मांस खाया हो, उसने अपने झुंड के दूसरे साथियों को भी खिलाया हो और इस तरह धीरे-धीरे पूरा झुंड मानव भक्षी हो गया होगा।”

महाप्रबंधक वन निगम संजय पाठक ने बताया, “अगर भेड़ियों के बच्चों को नुकसान पहुंचाया जाए तो वे बदला लेते हैं। ऐसा अक्सर सुनने में आता है। कुछ दिन पहले अगल बगल की जिलों में भी ऐसी चर्चा जोरों पर थी। महसी के कुछ ग्रामीणों ने बताया भी था कि खेत जोतते समय भेड़िया का एक बच्चा मर गया था। हो सकता है, ये भेड़िये उसका बदला ले रहे हों। लेकिन यह सब सिर्फ संभावनाओं पर आधारित है। अभी तक इस बारे में कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।”

हम फीडबैक का स्वागत करते हैं। कृपया respond@indiaspend.org पर लिखें। हम भाषा और व्याकरण के लिए प्रतिक्रियाओं को संपादित करने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं।

Similar News