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नवंबर 30, 2017 को जारी वर्ष 2016 के लिए राष्ट्रीय अपराध आंकड़ों से पता चलता है कि दो मिलियन से ज्यादा आबादी वाले 19 शहरों में से दिल्ली में हत्या, बलात्कार और अपहरण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं।

इसके अलावा, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत उच्चतम अपराध दर (प्रति 100,000 जनसंख्या 1,222.5 अपराध) दर्ज किया गया है। आंकड़ों के मुताबकि दिल्ली के बाद कोच्चि (757.9) और जयपुर (756.5) का स्थान रहा है।

वर्ष 2016 में शहरों में आईपीसी के तहत दर्ज किए गए अपराधों में दिल्ली की हिस्सेदारी करीब 39 फीसदी रहा है। इसके बाद बेंगलुरु (9 फीसदी) और मुंबई (8 फीसदी) का स्थान रहा है। दो वर्षों में, दिल्ली में आईपीसी अपराधों में 43 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह आंकड़े वर्ष 2014 में 139,707 से बढ़ कर वर्ष 2016 में बढ़कर 199,445 हुए हैं।

Source: Crime In India, 2016: National Crime Records Bureau

भारत के 19 शहरों में कम से कम 2,194 हत्या के मामले दर्ज हुए हैं। यह आंकड़े वर्ष 2014 की तुलना में 6 फीसदी कम है। वर्ष 2016 में, दिल्ली में प्रति 100,000 की आबादी पर 2.9 हत्या दर के साथ सबसे ज्यादा हत्या के करीब 479 मामले दर्ज हुए हैं। वर्ष 2016 में बिहार की राजधानी पटना में 195 मामलों के साथ हत्या की उच्चतम दर (9.5) की सूचना है। हालांकि ये आंकड़ें वर्ष 2014 की तुलना में 5 फीसदी कम हैं।

दो सालों में, अपहरण के मामलों में 30 फीसदी वृद्धि

महानगरों में अपहरण के मामलों में 30 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा वर्ष 2014 में 11,598 से बढ़ कर वर्ष 2016 में 15,541 हुआ है। वर्ष 2016 में, दिल्ली में सबसे ज्यादा (5, 925) अपहरण के मामले दर्ज हुए हैं। हर रोज करीब 16। इसके बाद सबसे ज्यादा आंकड़े मुंबई (1,949) और बेंगलुरु (974) के रहे हैं।

वर्ष 2016 में पटना में अपहरण के लिए उच्चतम दर की सूचना दी गई है। पटना के लिए ये आंकड़े प्रति 100,000 आबादी पर 40.2 मामलों का रहा है, जबकि राष्ट्रीय औसत 13.2 का रहा है। पटना के बाद दिल्ली (36.3) और लखनऊ (31.9) का स्थान रहा है।

दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ कम से कम 13,803 अपराध (आईपीसी और विशेष और स्थानीय कानून) हर दिन 38 मामले दर्ज किए गए हैं। मामलों और अपराध दर (प्रति 100,000 महिलाओं पर 182.1 अपराध) के संबंध में दिल्ली सबसे ऊपर है, जबकि इस संबंध में राष्ट्रीय औसत 77.2 का है। दिल्ली के बाद मुंबई में सबसे ज्यादा मामले (5,128 मामले) दर्ज किए गए हैं। 19 शहरों में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 9 फीसदी की वृद्धि हुई है। ये आंकड़े वर्ष 2014 में 38,385 से बढ़कर वर्ष 2016 में 41,761 हुए हैं।

वर्ष 2016 में, महिलाओं के खिलाफ अपराध में सबसे ज्यादा मामले पति या उनके रिश्तेदारों द्वारा की गई क्रूरता रही है, लगभग 29 फीसदी। इसके बाद शील भंग करने के इरादे से महिलाओं के खिलाफ अत्याचार (25 फीसदी), अपहरण (22 फीसदी) और बलात्कार (12 फीसदी) के मामले रहे हैं।

दिल्ली में पति या उनके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के सबसे ज्यादा मामले (3,645) दर्ज किए गए हैं, उसके बाद हैदराबाद (1,311) और जयपुर (1, 008) में ऐसे मामले ज्यादा दर्ज हुए हैं। अपराध दर के संदर्भ में, 100,000 महिलाओं पर 69.5 अपराधों के साथ जयपुर का प्रदर्शन बद्तर रहा है, जबकि इस संबंध में राष्ट्रीय औसत 22.6 है।

वर्ष 2016 में, 19 शहरों में दिल्ली में सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं, हर रोज करीब पांच। बलात्कार के लिए अपराध दर के संदर्भ में (प्रति 100,000 महिलाओं पर 26.3) दिल्ली का स्थान सबसे ऊपर रहा है। इस संबंध में राष्ट्रीय औसत 9.1 रहा है और दिल्ली के बाद जयपुर (22.8) और इंदौर (17.2) का स्थान रहा है।

वर्ष 2016 में, प्रति 100,000 महिलाओं पर 1.9 के अपराध दर के साथ दिल्ली ने सबसे अधिक दहेज की मौतों (144) के मामले दर्ज किए गए हैं। अपराध दर (7.9) के मामले में पटना का प्रदर्शन सबसे बद्तर रहा है। इस संबंध में राष्ट्रीय औसत 0.9 है और दिल्ली के बाद कानपुर (3.7) और लखनऊ (3) का स्थान रहा है।

19 महानगरों में आईपीसी के तहत जारी किए गए 515,635 अपराधों के अलावा, 2016 में विशेष और स्थानीय कानून (एसएलएल) के अंतर्गत 295,002 अपराध हुए हैं, जैसे कि मोटर वाहन अधिनियम, भूमि राजस्व अधिनियम और मनी लेंडर्स अधिनियम और महिलाओं और बच्चों के खिलाफ संबंधित अपराध। कुल 808,637 अपराध हुए हैं। यह आंकड़े 2015 की तुलना में 6.5 फीसदी ज्यादा हैं।

आईपीसी और एसएलएल दोनों अपराधों सहित कोच्चि से उच्चतम अपराध दर (प्रति 100,000 आबादी पर 2,531.1 अपराध) की सूचना दी गई है। कोच्चि के बाद नागपुर (1,714.6), चेन्नई (1,308.6), दिल्ली (1,263.9) और सूरत (1,243.3) का स्थान रहा है।

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(मल्लापुर विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड से जुड़े हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 1 दिसंबर 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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