अफगानिस्तान और अफ्रीका भारत की नई प्राथमिकताएं, लेकिन अब भी भूटान है विदेशी सहायता लिस्ट में शीर्ष पर
जून 2014 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान सुप्रीम कोर्ट का उद्घाटन किया तो भूटान के प्रधान मंत्री शेरिंग तोबगे ने उनकी मुक्त कंठ से सराहना की। वर्ष 2001 और वर्ष 2017 के बीच भूटान ने भारत की ओर से दो-तिहाई विदेशी सहायता प्राप्त की है।
17 साल तक भूटान भारतीय सहायता ( राशि और हिस्सेदारी ) का सबसे बड़ा लाभार्थी बना रहा। लेकिन पिछले नौ वर्षों में पारंपरिक विदेशी प्राप्तकर्ताओं नेपाल और बांग्लादेश को पीछे छोड़ते हुए अफगानिस्तान ने इसे दूसरे स्थान पर पहुंचा दिया है। यह जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय के आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण में सामने आई है।
हालांकि, विदेशी सहायता के रूप में भूटान के हिस्से में कमी हो रही है और अफ्रीकी देशों (एक समूह के रूप में सूचीबद्ध) के हिस्से में वृद्धि हो रही है।
लेकिन भूटान की भौगोलिक स्थिति, भारत पर उसकी निर्भरता और उसकी पनबिजली क्षमता की वजह से भारत की सूचि में वह अव्वल नंबर पर है।हालांकि वित्तीय वर्ष 2000-01 और 2016-17 के बीच सहायता आंकड़ों के मुताबिक, श्रीलंका और मालदीव के लिए भारतीय सहायता तेजी से बढ़ी है।
17 वर्षों में श्रीलंका को भारत से मिलने वाली सहायता में 13 और मालदीव में 9 गुना वृद्धि
Source: Notes on Demands for Grants for Ministry for External Affairs in Union Budgets1
हालांकि, इस अवधि के दौरान औसत सहायता में पर्याप्त उतार-चढ़ाव पर परदा गिरा हुआ है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में श्रीलंका की सहायता में 69 फीसदी सालाना की गिरावट आई जबकि वर्ष 2012-13 और 2009-10 में इसमें 118 फीसदी और 166 फीसदी की वृद्धि हुई है।
इसी तरह, वित्तीय वर्ष 2016-17 में मालदीव की सहायता में 45 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि वर्ष 2012-13 में 89 फीसदी की गिरावट हुई थी, जो कि इससे पिछले वर्ष की तुलना में 25 गुना ज्यादा थी। भारत से मिलने वाली सहायता से सबसे ज्यादा लाभान्वित अफगानिस्तान हुआ है।
भारत की ओर से विदेशों को सहायता, 2000-01 से 2016-17
पिछले 10 में से आठ वर्षों में, अफगानिस्तान दूसरे स्थान पर
वित्तीय वर्ष 2007-08 से पहले, विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान के लिए अलग सहायता देने की रिपोर्ट नहीं की थी। तब से अफगानिस्तान पिछले 10 में से आठ वर्षों में हिस्सेदारी के अनुसार दूसरा सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है।
पूर्व यानी 2007-08 की अवधि में तीन वर्षों को छोड़कर बाकी सभी वर्षों में नेपाल दूसरा सबसे बड़ा लाभार्थी था। तीव वर्षों तक बांग्लादेश दूसरा सबसे बड़ा लाभार्थी रहा। 17 वर्षों के हमारे विश्लेषण के अनुसार, मंत्रालय द्वारा रिपोर्ट किए गए 12 प्रमुख क्षेत्रों में अफगानिस्तान ने सबसे कम सहायता प्राप्त की है। आंकड़ों के अनुसार आवंटन राशि में एक-चौथाई से भी ज्यादा की गिरावट हुई है।
कैसे भारत की विदेशी सहायता प्राथमिकताएं में हुआ परिवर्तन, 2000-01 से 2016-17
Source: Notes on Demands for Grants for Ministry for External Affairs in Union Budgets1Note: Please choose 'Unique Colors' under the 'Color' dropdown, 'Foreign Aid (As % of total)' under the 'Size' dropdown. Year denoted is financial year.
जिन देशों को मंत्रालय की रिपोर्ट में एक समूह के रूप में पहचान है, उनमें अफ्रीकी देश महत्त्वपूर्ण लाभार्थी हैं। वर्ष 2000-01 और वर्ष 2016-17 के दौरान अफ्रीकी देशों में भारत की सहायता 57 गुना बढ़ी है। इसी अवधि के दौरान, हिस्सेदारी में 4.38 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई है। सभी क्षेत्रों में, देशों और देशों के समूहों में वर्ष 2003-04 और 2004-05 में, एक समूह के रुप में अफ्रीकी देश दूसरे सबसे बड़े प्राप्तकर्ता थे।
उतार-चढ़ाव की इस कहानी में एकमात्र स्थिर देश भूटान माना जा सकता है। लेकिन जब अन्य क्षेत्रों के अन्य देश इस समय अपना हिस्सा पा रहे हैं, तब भूटान के जल विद्युत क्षेत्र के लिए भारत की सहायता के बारे में प्रश्न उठाए जा रहे हैं। 17 वर्षों में शेयरों में बदलाव के बाद भी यह अफगानिस्तान की तुलना में बेहतर है। भारत की ओर से भूटान की सहायता 10.45 प्रतिशत अंकों से गिर रही है।
टिप्पणियां:
1. डेटा स्रोत: केंद्रीय बजट 2001-02, 2002-03, 2003-04, 2004-05, 2005-06, 2006-07, 2007-08, 2008-09 2009-10, 2010-11, 2011-12, 2012-13, 2013-14, 2014-15, 2015-16, 2016-17, 2017-18 में विदेश मामलों के मंत्रालय के लिए अनुदान मांग पर टिप्पणी
2. अफगानिस्तान के आंकड़े वित्तीय वर्ष 2007-08 से 2016-17 से लिए गए हैं। वित्तीय वर्ष 2007-08 के बाद मध्य एशियाई देशों का क्षेत्र में गिरावट हुई है। यूरेशियन देशों के आंकड़े वित्तीय वर्ष 2008-09 से 2016-17 के हैं । लैटिन अमेरिकी देशों के आंकड़े वित्तीय वर्ष 2007-08 से 2016-17 तक हैं मंगोलिया के आंकड़े वित्तीय वर्ष 2009-10 और 2011-12 से 2016-17 तक हैं।
3. मध्य एशियाई देशों में अजरबैजान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, उजबेकिस्तान शामिल हैं। यूरेशियन देशों में रूस, आर्मेनिया, अज़रबैजान, बेलारूस, कजाकिस्तान, जॉर्जिया, किर्गिज़, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, यूक्रेन, उजबेकिस्तान शामिल हैं।
(विवेक विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं। )
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 24 अप्रैल 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुई है।
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